Pushpa Singh
Author, counselor, teacher, life and happiness coach
नई दिल्ली : कौन कहता है की समस्याएं सुंदर नहीं होती, बस हम समस्याओं में छपी सुंदरता देख नहीं पाते, क्योंकि हमें कभी ठीक से देखना सिखाया ही नहीं जाता। आजकल हम देख रहे हैं कि हर इंसान जिंदगी को आसान बनाने पर तुला हुआ है मैं जिंदगी को आसान बनाने की विरोध में बिल्कुल नहीं हूं बस इतना कहना चाहती हूं कि जिंदगी के अपने ही कुछ नियम , कायदे कानून होते हैं । उसकी अपनी एक प्रणाली होती है। जिंदगी को आसान और बनाने की प्रक्रिया नई नही है सदियों से चली आ रही है ये सोच। जिंदगी सरल तब बनती है जब हम समय पर सही निर्णय देते हैं, लोगों की पहचान सही से कर पाते हैं।
जीवन हमेशा से चुनौतियों से भरा रहा है और हमेशा चुनौतियों से भरा ही रहेगा ।हमें हमेशा यही सिखाया और बताया जाता है कि जिंदगी अच्छी तभी होती है जब हमे सब कुछ आसानी से मिल जाता है । जब तक जीवन में हर चीज आसानी से मिल जाए तब तक जीवन अच्छा ही लगता है, परंतु उसका सही अर्थ नहीं मालूम होता। जिंदगी के सही मायने तब दिखाई देते हैं जब हमारा सामना जीवन की चुनौतियों से होता है हम क्यों भूल जाते हैं कि जीवन में हर कदम पर चुनौती है। ऐसे में हम घबरा जाते हैं ,चुनौतियों से लड़ने की शिक्षा परिवारों में नहीं दी जाती हम बच्चों को हमेशा कंफर्ट जोन देने में अधिक विश्वास रखते हैं, इसलिए भी आज के बच्चे आज का इंसान अंदर से इतना कमजोर हो चुका है कि चुनौतियों का सामना करने की बजाय वह आत्महत्या करना पसंद करता है।
इंसान को यह भी समझना और जानना होगा की समस्याएं जो चुनौतियों के रूप में हमारे सामने आती हैं वह हमें बनाने और संवारने आती है। हमारा घबराना लाजमी है क्योंकि चुनौतियों से निपटना उनसे जूझना हमें कभी सिखाया ही नहीं जाता ।चुनौतियों को चांस में हम कैसे बदल सकते हैं । जब हमे चुनौतियों को चांस में बदलने की शिक्षा और सलाह सही समय पर लेते हैं या वह सलाह हमें कहीं से मिल जाती है तब हमें एक नई ऊर्जा मिल जाती है , एक नई रहा मिल जाती है उसे समय हमारी आंखों और बुद्धि से सारे पर्दे है जाते हैं एक नई ऊर्जा का संचार होता है और आगे के रास्ते साफ़-साफ़ दिखाई देने लगते हैं। चुनौतियों को चांस में बदलने की सबसे पहली शर्त यह है कि आपका ध्यान चांस पर्व होना चाहिए चुनौती पर नहीं ,फिर देखो रास्ते कैसे मिलते हैं । जीवन का आनंद लीजिए को कुछ है वो आज में है।
एक कहानी जिसमें दो भाई है दोनो ही गरीबी के दौर से गुजर रहे थे। एक का कहना था कि ये हमारा नसीब है ,जबकि दूसरे की सोच में बदलाव की बात आ गई। उसने सोचा गरीबी में पैदा तो हुआ लेकिन गरीबी में मरूंगा नही और न ही कभी अपने बच्चो को कहूंगा कि जितनी चादर हो उतने ही पैर पसारो। इंसान जब जन्म लेता है तो किसी उद्देश्य के साथ आता है। मेरा सबसे पहले उद्देश्य गरीबी को दूर करना है। जिसने हमे जकड़ा हुआ है। उसने दिन रात मेहनत की हर वो काम किया जिससे गरीबी दूर हो सकती है। अपनीब्रात दिन की मेहनत से उसने खुद को धनवान बना लिया। जिसने बदलाव की सोच रखी उसने बहुत कुछ देखा होता है।