स्पेशल डेस्क/पटना : बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के दूसरे चरण की नामांकन प्रक्रिया के दौरान एक के बाद एक नामांकन पत्र रद्द हो रहे हैं। यह सिलसिला गठबंधनों की आंतरिक कलह, दस्तावेजों में तकनीकी खामियों और चुनाव आयोग के सख्त नियमों की वजह से तेज हो गया है। पहले चरण में ही 467 नामांकन रद्द हो चुके थे, और अब दूसरे चरण में भी बड़े दलों को झटका लग रहा है। आइए विस्तार में एक्जीक्यूटिव एडिटर प्रकाश मेहरा से समझते हैं—क्या है कारण, प्रक्रिया और घटनाएं।
नामांकन रद्द क्यों हो रहे हैं ?
प्रमुख कारण चुनाव आयोग के अनुसार, नामांकन रद्द होने के पीछे ज्यादातर तकनीकी और कागजी खामियां हैं। छोटी-मोटी गलतियां (जैसे फॉर्म में मामूली त्रुटि) को नजरअंदाज किया जाता है, लेकिन गंभीर कमियां ठोस कानूनी आधार पर नामांकन खारिज कर देती हैं।
मुख्य कारण निम्न हैं कारण
दस्तावेजों में त्रुटिया अधूरे फॉर्म…नामांकन पत्र (फॉर्म 2B), हलफनामा, फॉर्म A/B (पार्टी अधिकृति) या जमानत राशि में गलती। समय पर सुधार न करना। मढ़ौरा से LJP की सीमा सिंह का फॉर्म B अधूरा।
प्रस्तावक (Proposer) की कमी
मान्यता प्राप्त पार्टी के उम्मीदवार को 1 प्रस्तावक चाहिए, लेकिन गैर-मान्यता प्राप्त या निर्दलीय को 10। कम होने पर रद्द। सुगौली से VIP की शशि भूषण सिंह के पास सिर्फ 1 प्रस्तावक।
अयोग्यता प्रमाणपत्र
जाति प्रमाणपत्र अवैध, राज्य निवासी न होना, या आपराधिक/वित्तीय अयोग्यता। आरक्षित सीट पर गलत प्रमाणपत्र। मोहनिया से RJD की श्वेता सुमन का SC प्रमाणपत्र UP का, बिहार में अमान्य।
गठबंधन कलह और बागी उम्मीदवार
सीट बंटवारे में देरी से सिंबल गड़बड़ी या बागी फाइलिंग। कुशेश्वरस्थान से VIP के गणेश भारती का सिंबल रद्द, अब निर्दलीय।
अन्य तकनीकी खामियां
चुनाव चिह्न (सिंबल) की जानकारी अधूरी, समय पर दाखिल न करना, या गलत शपथ। बसपा/JD(U) के कई बागी उम्मीदवारों के नामांकन रद्द।
ये कारण जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के तहत आते हैं। आयोग स्पष्ट करता है कि नामांकन रद्द केवल ठोस कानूनी आधार पर होता है, न कि छोटी तकनीकी गलतियों पर।
गठबंधनों की देरी से नामांकन में जल्दबाजी हुई, जिससे ये चूकें बढ़ीं।
नामांकन रद्द कैसे होता है ?
चुनाव आयोग की प्रक्रिया पारदर्शी और समयबद्ध है। बिहार चुनाव 2025 में दो चरण हैं (पहला 6 नवंबर, दूसरा 11 नवंबर), और नामांकन इसी आधार पर चल रहा है। नामांकन दाखिल (Filing): उम्मीदवार निर्वाचन अधिकारी (RO) के पास फॉर्म 2B, हलफनामा, जमानत (SC/ST के लिए ₹2,500, सामान्य के लिए ₹10,000), प्रस्तावक और पार्टी फॉर्म जमा करते हैं। अधिकतम 2 सीटों से लड़ सकते हैं। पहले चरण: 10-17 अक्टूबर; दूसरा: 15-21 अक्टूबर।
जांच (Scrutiny): अगले दिन RO सभी दस्तावेजों की जांच करता है। उम्मीदवार/प्रतिनिधि मौजूद रह सकते हैं। कोई खामी मिले तो तुरंत बताई जाती है, लेकिन सुधार का समय सीमित (कुछ घंटे)। RO का फैसला अंतिम, लेकिन अपील का रास्ता खुला।
रद्दीकरण (Rejection): अगर फॉर्म अधूरा, अयोग्यता या गलत सूचना साबित हो, तो RO नामांकन रद्द घोषित करता है। सूची आयोग की वेबसाइट पर अपलोड। गलत जानकारी पर बाद में चुनाव भी रद्द हो सकता है।
अपील (Appeal): RO का फैसला हाईकोर्ट में चुनौती दे सकते हैं (48 घंटे में), या आयोग को पुनर्विचार याचिका। लेकिन बहाली मुश्किल, क्योंकि नामांकन वापसी की अंतिम तारीख निकल चुकी होती है। कुछ मामलों में निर्दलीय लड़ सकते हैं।
नाम वापसी (Withdrawal): रद्द न होने पर 21-22 अक्टूबर तक वापस ले सकते हैं। यह प्रक्रिया सुनिश्चित करती है कि केवल योग्य उम्मीदवार मैदान में रहें। पहले चरण में 121 सीटों पर 1,976 वैध नामांकन बचे।
नामांकन रद्द के बाद जांच में क्या ?
एक के बाद एक झटके पहले चरण (18 अक्टूबर जांच) 467 रद्द। मढ़ौरा (सारण) से LJP (NDA) की सीमा सिंह का नामांकन फॉर्म B की खामी से रद्द—NDA बिना लड़े हार गया।कुशेश्वरस्थान (दरभंगा) से VIP (महागठबंधन) के गणेश भारती का सिंबल रद्द।
दूसरे चरण (21-22 अक्टूबर जांच): सुगौली (मोतिहारी) से VIP के शशि भूषण सिंह (पूर्व RJD विधायक) का नामांकन प्रस्तावक कमी से रद्द—महागठबंधन बिना लड़े हार। RJD बागी ओम प्रकाश चौधरी का भी।
ताजा झटका (22 अक्टूबर)
मोहनिया (कैमूर, SC आरक्षित) से RJD की श्वेता सुमन का नामांकन SC प्रमाणपत्र अमान्य (UP मूल) होने से रद्द। BJP की शिकायत पर जांच हुई; श्वेता रोते हुए साजिश का आरोप लगाया। पश्चिम चंपारण के बगहा में 9 नामांकन रद्द।
ये रद्दीकरण गठबंधनों के लिए सबक NDA और महागठबंधन दोनों को नुकसान, लेकिन निर्दलीय उम्मीदवारों को फायदा। कुल 243 सीटों पर 14 नवंबर नतीजे।