शिमला: पहाड़ी राज्य हिमाचल में एयर पॉल्यूशन का सबसे बड़ा कारण व्हीकल पॉल्यूशन का सामने आया है. यह खुलासा स्टेट पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड द्वारा करवाई गई स्टडी में हुआ है. प्रदेश में व्हीकल की संख्या लगातार बढ़ रही है, इससे डस्ट पॉल्यूशन भी बढ़ रहा है. साल-दर-साल व्हीकल की संख्या बढ़ती जा रही है, जिसकी वजह से एयर के साथ डस्ट पॉल्यूशन भी बढ़ रहा है. हालांकि, विशेषज्ञों की मानें तो एयर पॉल्यूशन के कई फेक्टर हैं, लेकिन व्हीकल और डस्ट पॉल्यूशन इसमें प्रमुख हैं.
प्रदेश में व्हीकल की संख्या बढ़ रही है, लेकिन सड़कों की लंबाई व चौड़ाई अधिकतर स्थानों पर पहले जैसी है. पहले एक किलोमीटर एरिया में जहां सौ वाहन होते थे. उसी एरिया में वाहनों की संख्या बढ़कर अब एक हजार हो गई है. दूसरी बड़ी बात की जहां भी जाम लगता है तो लोग वाहनों को बंद नहीं करते, बल्कि स्टार्ट ही रखते हैं. ऐसे में बढ़ते वाहनों के कारण भी एयर पॉल्यूशन बढ़ रहा है.
ई-व्हीकल की ओर सरकार ने बढ़ाया कदम
अब सरकारों ने ई-व्हीकल की ओर कदम बढ़ा दिया है, लेकिन वर्तमान में चल रहे पेट्रोल व डीजल वाहनों को एकदम से बाहर नहीं किया जा सकता है. ऐसे में सरकार के ई-व्हीकल को लेकर किए जा रहे प्रयासों के भविष्य में सार्थक परिणाम सामने आ सकते हैं. विशेषज्ञों की मानें तो जाम में भी लोग गाडियां बंद न करके स्टार्ट रखते हैं, जिससे वाहनों का प्रदूषण वातावरण में रहता है.
वायु प्रदूषण के दो बड़े कारण
वाहनों के चलते समय सड़कों के किनारे की धूल-मिटटी भी उड़ती है. प्रदेश में वायु प्रदूषण के दो बड़े कारण हैं, जिसमें एक वाहन प्रदूषण और दूसरा सड़क किनारे की मिट्टी हवा या गाड़ियों के चलने की वजह से उड़ती है. प्रदेश के प्रमुख जिलों में यही दो कारण वायु प्रदूषण के प्रमुख हैं. औद्योगिक एरिया बद्दी, बरोटीबाला, नालागढ़, कालाअंब व पांवटा साहिब में भी डस्ट पाल्यूशन ज्यादा रहता है.
पुरानी बसों को हटाया जा रहा
जानकार बताते हैं कि केंद्र सरकार के निर्णय के अनुसार डीजल वाहनों को कटआफ किया जा रहा है. डीजल वाहनों की रजिस्ट्रेशन भी 15 साल से ऊपर नहीं रहेगी. साथ ही इलेक्ट्रिक वाहनों की ओर सरकार मूव कर रही है. पुरानी बसों को भी ऑफ द रोड किया जा रहा है. ई-व्हीकल के चलते पाल्यूशन लेवल में कमी आने की पूरी संभावना है.
पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड धर्मशाला के सीनियर साइंटिफिक ऑफिसर संजीव शर्मा ने बताया कि पॉल्यूशन बोर्ड द्वारा करवाई गई स्टडी में यह सामने आया कि प्रदेश में वायु प्रदूषण के लिए सबसे ज्यादा रिस्पांसिबल वाहनों का प्रदूषण है. इसके साथ वायु प्रदूषण का दूसरा कारण सड़क किनारे की मिटटी हवा या गाड़ियों के चलते की वजह से उड़ती है, वो भी वातावरण में रहती है.