रंगों का त्योहार होली आने वाली है। होली भारत के सबसे प्रमुख हिंदू पर्वों में से है। होली मनाने के लिए लोग रंगों से खेलते हैं, लेकिन एक होली ऐसी भी होती है, जो फूलों से खेली जाती है। आज ही के दिन फूलों की होली खेलने की परंपरा है। प्रतिवर्ष फूलों से होली के त्योहार को फुलेरा दूज के तौर पर मनाते हैं। फुलेरा दूज भारतीय पर्व है, जो मथुरा बरसाना में बहुत धूमधाम से मनाई जाती है। इस वर्ष फुलेरा दूज 2023 21 फरवरी को मनाया जा रहा है। इसे होली के शुभारंभ के तौर पर मनाते हैं। अगर आप फुलेरा दूज के मौके पर फूलों की होली का आनंद लेना चाहते हैं तो बरसाना जा सकते हैं। आइए जानते हैं फुलेरा दूज मनाने के लिए मथुरा बरसाना के सफर की पूरी जानकारी।
क्यों मनाया जाता है फुलेरा दूज
भगवान विष्णु के अवतार श्री कृष्ण और राधा रानी की प्रेम कहानी काफी प्रचलित है। कहते हैं कि कान्हा एक बार बहुत व्यस्त होने के कारण राधा जी से मिलने न जा सके। इसपर राधा जी उदास हो गईं और उनकी उदासी से फूल, जंगल सूखने लगे। इस पर जब कान्हा का राधा जी के हालात पता चले तो वह उन्हें मिलने पहुंचे। कन्हैया को देख राधारानी बहुत खुश हो गईं, और मुरझाए फूल फिर से खिल उठे। इन्हीं खिले फूलों से राधा रानी संग गोपियों ने कान्हा संग होली खेली। तब से इस दिन को फुलेरा दूज के तौर पर मनाया जाने लगा।
बरसाना में फुलेरा दूज
राधा रानी बरसाना में रहती हैं, इसलिए बरसाना के लोग फुलेरा दूज मनाते हैं और फूलों से होली खेलते हैं। आप फूलों की होली खेलने और अद्भुत नजारे के लिए बरसाना और वृंदावन जा सकते हैं। बांके बिहारी के मंदिर में भी इस दिन काफी भीड़ उमड़ती है।
कैसे पहुंचे बरसाना
दिल्ली या आसपास के रहने वाले हैं तो कुछ घंटों का सफर तय करके बरसाना जा सकते हैं। दिल्ली से बरसाना 158 किमी की दूरी पर है, जहां पहुंचने में लगभग 4 घंटे का समय लगता है। मथुरा से बरसाना 45 किमी दूर है। हवाई मार्ग, सड़क मार्ग या रेल मार्ग से आप आसानी से बरसाना पहुंच सकते हैं।
पर्यटन स्थल
बरसाना जा रही रहे हैं तो एक दो दिन की छुट्टी लेकर जाएं। आसपास भी कई सारे खूबसूरत पर्यटन स्थल है। बरसाना के पास मथुरा, वृंदावन और गोकुल धाम हैं , जहां कई कृष्ण मंदिर हैं। इन मंदिरों की कहानी कान्हा के बचपन से जुड़ी है।