Upgrade
पहल टाइम्स
  • होम
  • दिल्ली
  • राज्य
  • राष्ट्रीय
  • विश्व
  • धर्म
  • व्यापार
  • खेल
  • मनोरंजन
  • गैजेट्स
  • जुर्म
  • लाइफस्टाइल
    • स्वास्थ्य
    • फैशन
    • यात्रा
  • विशेष
    • साक्षात्कार
  • ईमैगजीन
  • होम
  • दिल्ली
  • राज्य
  • राष्ट्रीय
  • विश्व
  • धर्म
  • व्यापार
  • खेल
  • मनोरंजन
  • गैजेट्स
  • जुर्म
  • लाइफस्टाइल
    • स्वास्थ्य
    • फैशन
    • यात्रा
  • विशेष
    • साक्षात्कार
  • ईमैगजीन
No Result
View All Result
पहल टाइम्स
No Result
View All Result
  • होम
  • दिल्ली
  • राज्य
  • राष्ट्रीय
  • विश्व
  • धर्म
  • व्यापार
  • खेल
  • मनोरंजन
  • गैजेट्स
  • जुर्म
  • लाइफस्टाइल
  • विशेष
  • ईमैगजीन
Home राष्ट्रीय

सीवी रमन के बाद किसी भारतीय वैज्ञानिक को क्यों नहीं मिला नोबेल पुरस्कार, जानिए वजह

पहल टाइम्स डेस्क by पहल टाइम्स डेस्क
October 8, 2025
in राष्ट्रीय
A A
cv raman
19
SHARES
627
VIEWS
Share on FacebookShare on Whatsapp

नई दिल्ली : 95 साल हो गए हैं जब किसी भारतीय ने भारत में काम करते हुए साइंस (फिजिक्स, केमेस्ट्री या मेडिसिन) में नोबेल पुरस्कार जीता हो. 1930 में सी.वी. रमन को फिजिक्स का नोबेल पुरस्कार मिला, जो किसी भारतीय वैज्ञानिक को मिला अब तक का एकमात्र सम्मान है. तीन और भारतीय मूल के वैज्ञानिकों ने यह पुरस्कार जीता है.

हरगोविंद खुराना को 1968 में मेडिसिन के लिए, सुब्रह्मण्यम चंद्रशेखर को 1983 में फिजिक्स के लिए और वेंकटरमन रामकृष्णन को 2009 में केमिस्ट्री के लिए नोबेल दिया गया. लेकिन इन तीनों ने अपना काम भारत से बाहर किया था और जब उन्हें सम्मानित किया गया तब वे भारतीय नागरिक नहीं थे. आखिर ऐसा क्यों है कि पिछले 95 सालों में इतनी तरक्की करने के बाद भी हमारे किसी वैज्ञानिक को नोबेल पुरस्कार नहीं मिला.

इन्हें भी पढ़े

highway

10,000 KM के 25 ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे बना रही सरकार!

October 9, 2025
Amit Shah

गृहमंत्री अमित शाह ने Gmail को कहा अलविदा, जानें क्या है नया Email एड्रेस?

October 8, 2025

सड़क सुरक्षा पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा कदम, इन मुद्दों पर सख्ती का दिया निर्देश

October 8, 2025
Amit Shah

पीएम मोदी के नेतृत्व में करोड़ों लोगों के जीवन में आया बदलाव : अमित शाह

October 7, 2025
Load More

भारत में चुनौतियां

भारत में वैज्ञानिक और शोध क्षमताओं के विकास में कई बड़ी बाधाएं हैं. जिनके कारण हमारी वैज्ञानिक प्रतिभा को पूरी तरह से निखरने का मौका नहीं मिल पाता है. भारत में मूलभूत रिसर्च पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया जाता है. अनुसंधान (Research) के लिए सरकारी धन बहुत कम है. काम में अत्यधिक नौकरशाही (Bureaucracy) और लालफीताशाही है, जिससे रिसर्च धीमी हो जाती है. निजी क्षेत्र (Private Sector) के पास रिसर्च में निवेश और योगदान के लिए पर्याप्त प्रोत्साहन और अवसर नहीं हैं.

देश के विश्वविद्यालयों में शोध और अनुसंधान की क्षमताएं लगातार कमजोर हो रही हैं. इन चुनौतियों का नतीजा यह है कि बहुत कम संस्थान ही अत्याधुनिक शोध में लगे हुए हैं. जनसंख्या के अनुपात में भारत में शोधकर्ताओं की संख्या वैश्विक औसत से पांच गुना कम है. यही कारण है कि भारत में नोबेल पुरस्कार जैसे बड़े सम्मान जीतने की क्षमता रखने वाले वैज्ञानिकों या शोधकर्ताओं का समूह काफी छोटा है.

नॉमिनेट हुए लेकिन नहीं मिला सम्मान

ऐसा नहीं है कि भारत से विज्ञान के नोबेल के लिए कोई और दावेदार नहीं रहा है. कई वैज्ञानिकों को इन पुरस्कारों के लिए नॉमिनेट किया गया है. कुछ अन्य वैज्ञानिकों ने अभूतपूर्व वैज्ञानिक उपलब्धियां तो हासिल कीं, लेकिन उन्हें कभी नॉमिनेट नहीं किया गया. नोबेल पुरस्कार के लिए किसी को भी नॉमिनेट नहीं किया जा सकता. हर साल सैकड़ों से हजारों लोगों के एक चुनिंदा समूह को संभावित उम्मीदवारों को नॉमिनेट करने के लिए आमंत्रित किया जाता है. इसलिए पुरस्कार के लिए नामांकन का अर्थ है कि नामांकित वैज्ञानिक ने कम से कम कुछ सम्मानित साथियों की नजर में नोबेल-योग्य काम किया है. नामांकित उम्मीदवारों के नाम कम से कम 50 साल बाद तक सार्वजनिक नहीं किए जाते. और यह डेटा भी नियमित रूप से नहीं, बल्कि समय-समय पर ही अपडेट किया जाता है.

किसी भारतीय वैज्ञानिक को देश का नागरिक रहते हुए नोबेल पुरस्कार जीते 95 साल हो चुके हैं.

फिजिक्स और केमेस्ट्री पुरस्कारों के लिए नामांकन 1970 तक उपलब्ध हैं, जबकि मेडिकल पुरस्कारों के लिए नामांकन 1953 तक ही जारी किए गए हैं. सार्वजनिक की गई नामांकन सूचियों में शामिल लगभग 35 भारतीयों में से छह वैज्ञानिक हैं. मेघनाद साहा, होमी भाभा और सत्येंद्र नाथ बोस को फिजिक्स के लिए नामांकित किया गया था, जबकि जीएन रामचंद्रन और टी. शेषाद्रि को केमेस्ट्री के लिए नामांकित किया गया था. मेडिकल के लिए एकमात्र भारतीय उपेंद्रनाथ ब्रह्मचारी को नामांकित किया गया था. सभी छह लोगों को अलग-अलग नामांकनकर्ताओं द्वारा कई बार नामांकित किया गया था. उस दौरान भारत में रहने और काम करने वाले कुछ ब्रिटिश वैज्ञानिकों के नाम भी नामांकन सूची में हैं.

जिन्हें नहीं मिल पाया नोबेल

कई भारतीय वैज्ञानिक ऐसे हैं जिन्हें उनके अभूतपूर्व योगदान के बावजूद या तो नोबेल पुरस्कार से वंचित रखा गया या उनके काम को पहचान नहीं मिली. यह एक विवादास्पद विषय रहा है. यह एक सबसे बड़ी चूक मानी जाती है कि जगदीश चंद्र बोस को नोबेल पुरस्कार नहीं मिला. उन्होंने 1895 में वायरलेस कम्युनिकेशन का प्रदर्शन किया था और ऐसा करने वाले वे पहले व्यक्ति थे. लेकिन, 1909 में गुग्लिल्मो मार्कोनी और फर्डिनेंड ब्राउन को फिजिक्स का नोबेल पुरस्कार उसी काम के लिए मिला जो बोस उनसे बहुत पहले कर चुके थे.

पादप शरीरक्रिया विज्ञान (Plant Physiology) में भी बोस का काम अत्यंत महत्वपूर्ण था, फिर भी उन्हें इस पुरस्कार के लिए कभी नामांकित भी नहीं किया गया. के.एस. कृष्णन भी ऐसे ही एक वैज्ञानिक थे जिनके पास नोबेल पुरस्कार का मजबूत दावा था, पर उन्हें यह सम्मान नहीं मिला. वह सी.वी. रमन की प्रयोगशाला में उनके छात्र और घनिष्ठ सहयोगी थे. उन्हें रमन इफेक्ट (Raman Scattering Effect) का सह-खोजकर्ता माना जाता है. इस खोज के लिए रमन को 1930 में नोबेल पुरस्कार दिया गया, जबकि कृष्णन को कभी नामांकित नहीं किया गया.

दो बार इग्नोर हुए सुदर्शन

ई.सी.जी. सुदर्शन को इस पुरस्कार से सबसे अधिक विवादास्पद रूप से वंचित रखा गया. उन्हें एक बार नहीं, बल्कि दो बार (1979 और 2005 में) भौतिकी के नोबेल पुरस्कार से वंचित किया गया. जिन कार्यों के लिए ये पुरस्कार दिए गए थे, सुदर्शन का योगदान उनमें सबसे मौलिक और आधारभूत था. हालांकि, सुदर्शन 1965 में अमेरिकी नागरिक बन गए थे, और उनके अधिकांश महत्वपूर्ण शोध कार्य अमेरिका में हुए थे. उनका निधन 2018 में हुआ. सॉलिड स्टेट केमेस्ट्री में सीएनआर राव के काम को लंबे समय से नोबेल पुरस्कार के योग्य माना जाता रहा है, लेकिन उन्हें भी अब तक यह सम्मान नहीं मिला है.

653 लोगों में से 150 से ज्यादा यहूदी

भारत अकेला ऐसा देश नहीं है जिसका नोबेल पुरस्कारों में रिकॉर्ड निराशाजनक रहा है. चीन या इजरायल जैसे देश, जहां वैज्ञानिक अनुसंधान के लिए कहीं ज्यादा पैसा दिया जाता है, वहां विज्ञान के नोबेल पुरस्कारों की संख्या आश्चर्यजनक रूप से कम है. फिजिक्स, केमेस्ट्री या मेडिकल के लिए नोबेल पुरस्कार जीतने वाले 653 लोगों में से 150 से ज्यादा यहूदी समुदाय से हैं, जो एक आश्चर्यजनक रूप से उच्च अनुपात है. लेकिन यहूदियों की मातृभूमि माने जाने वाले इजरायल ने विज्ञान में केवल चार नोबेल पुरस्कार जीते हैं, और वे भी केमेस्ट्री के लिए. यह इस तथ्य के बावजूद है कि विज्ञान और टेक्नॉलाजी में किसी देश की क्षमताओं को मापने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले सभी सामान्य संकेतकों पर इजराइल का स्थान बहुत ऊंचा है. दुनिया भर में अपनी वैज्ञानिक क्षमता के लिए इसे मान्यता प्राप्त है.

अमेरिका और यूरोप का दबदबा

विज्ञान के नोबेल पुरस्कारों में अमेरिका और यूरोप के वैज्ञानिकों का दबदबा रहा है. जिनमें से कई बेहतर वैज्ञानिक बुनियादी ढांचे और इको-सिस्टम की तलाश में दूसरे देशों से आए हैं. फिजिक्स पुरस्कार के 227 विजेताओं में से केवल 13, केमेस्ट्री पुरस्कार के 197 विजेताओं में से 15 और मेडिकल पुरस्कार के 229 विजेताओं में से केवल 7 एशिया, अफ्रीका या दक्षिण अमेरिका से आए हैं. वास्तव में, उत्तरी अमेरिका और यूरोप के अलावा, केवल नौ देश ऐसे हैं जिनके शोधकर्ताओं ने विज्ञान में नोबेल पुरस्कार जीता है. सबसे ज्यादा संख्या जापान से आया है, जिसके पास 21 नोबेल पुरस्कार हैं.

भारत के वैज्ञानिक क्यों है पीछे?

यह सच है कि वैज्ञानिक पुरस्कारों में कभी-कभार क्षेत्रीय या नस्लीय पक्षपात की शिकायतें आती रही हैं. इसके बावजूद, इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि अमेरिका और यूरोप में शोध और अनुसंधान का माहौल अद्वितीय और बेमिसाल है. अन्य देशों की तुलना में भारत वैज्ञानिक क्षमताएं विकसित करने या अनुसंधान के लिए फंडिंग आवंटित करने में चीन, दक्षिण कोरिया और इजरायल जैसे देशों से काफी पीछे है. वैज्ञानिक अनुसंधान के लिए एक मजबूत इको-सिस्टम और पर्याप्त सरकारी समर्थन के अभाव में भारत के लिए भविष्य में और अधिक नोबेल पुरस्कार जीतने की संभावनाएं मुख्य रूप से उसके वैज्ञानिकों की व्यक्तिगत प्रतिभा और जुगाड़ पर ही निर्भर रहेंगी, न कि सिस्टम के समर्थन पर.

इन्हें भी पढ़ें

  • All
  • विशेष
  • लाइफस्टाइल
  • खेल

कानूनी लड़ाई में क्यों पिछड़ी कांग्रेस?

April 4, 2023

टाइम्स दिनभर: ‘सिस्टम’ फेल…भविष्य से कब तक ‘खेल’?

June 13, 2024
Siddaramaiah DK Shivakumar

क्या कर्नाटक कांग्रेस में गहरा रहा असंतोष?

August 1, 2023
पहल टाइम्स

पहल टाइम्स का संचालन पहल मीडिया ग्रुप्स के द्वारा किया जा रहा है. पहल टाइम्स का प्रयास समाज के लिए उपयोगी खबरों के प्रसार का रहा है. पहल गुप्स के समूह संपादक शूरबीर सिंह नेगी है.

Learn more

पहल टाइम्स कार्यालय

प्रधान संपादकः- शूरवीर सिंह नेगी

9-सी, मोहम्मदपुर, आरके पुरम नई दिल्ली

फोन नं-  +91 11 46678331

मोबाइल- + 91 9910877052

ईमेल- pahaltimes@gmail.com

Categories

  • Uncategorized
  • खाना खजाना
  • खेल
  • गैजेट्स
  • जुर्म
  • दिल्ली
  • धर्म
  • फैशन
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • राजनीति
  • राज्य
  • राष्ट्रीय
  • लाइफस्टाइल
  • विशेष
  • विश्व
  • व्यापार
  • साक्षात्कार
  • सामाजिक कार्य
  • स्वास्थ्य

Recent Posts

  • आईसीसी रैंकिंग में कौन हैं नंबर वन, ये है टी20 इंटरनेशनल की टॉप 5 टीम
  • बिहार चुनाव : तेजस्वी यादव ने किया ‘हर घर सरकारी नौकरी’ का वादा
  • शुभमन गिल दिल्ली में रचेंगे महाकीर्तिमान, ऐसा करने वाले बनेंगे पहले कप्तान

© 2021 पहल टाइम्स - देश-दुनिया की संपूर्ण खबरें सिर्फ यहां.

  • होम
  • दिल्ली
  • राज्य
  • राष्ट्रीय
  • विश्व
  • धर्म
  • व्यापार
  • खेल
  • मनोरंजन
  • गैजेट्स
  • जुर्म
  • लाइफस्टाइल
    • स्वास्थ्य
    • फैशन
    • यात्रा
  • विशेष
    • साक्षात्कार
  • ईमैगजीन

© 2021 पहल टाइम्स - देश-दुनिया की संपूर्ण खबरें सिर्फ यहां.