Upgrade
पहल टाइम्स
  • होम
  • दिल्ली
  • राज्य
  • राष्ट्रीय
  • विश्व
  • धर्म
  • व्यापार
  • खेल
  • मनोरंजन
  • गैजेट्स
  • जुर्म
  • लाइफस्टाइल
    • स्वास्थ्य
    • फैशन
    • यात्रा
  • विशेष
    • साक्षात्कार
  • ईमैगजीन
  • होम
  • दिल्ली
  • राज्य
  • राष्ट्रीय
  • विश्व
  • धर्म
  • व्यापार
  • खेल
  • मनोरंजन
  • गैजेट्स
  • जुर्म
  • लाइफस्टाइल
    • स्वास्थ्य
    • फैशन
    • यात्रा
  • विशेष
    • साक्षात्कार
  • ईमैगजीन
No Result
View All Result
पहल टाइम्स
No Result
View All Result
  • होम
  • दिल्ली
  • राज्य
  • राष्ट्रीय
  • विश्व
  • धर्म
  • व्यापार
  • खेल
  • मनोरंजन
  • गैजेट्स
  • जुर्म
  • लाइफस्टाइल
  • विशेष
  • ईमैगजीन
Home राज्य

कांग्रेस को बिहार में खतरा क्यों मानने लगे हैं तेजस्वी यादव?

पहल टाइम्स डेस्क by पहल टाइम्स डेस्क
February 26, 2023
in राज्य, विशेष
A A
Tejashwi Yadav
19
SHARES
632
VIEWS
Share on FacebookShare on Whatsapp

मृगांक शेखर


बिहार में महागठबंधन की रैली (Mahagathbandhan Purnia Rally) से एक दिन पहले ही रायपुर में कांग्रेस (Congress) का राष्ट्रीय अधिवेशन शुरू हो चुका है, लेकिन तारीखों के टकराव के बावजूद कांग्रेस नेता रैली के मंच पर मौजूदगी दर्ज कराने जा रहे हैं. और ये सिर्फ कांग्रेस की दरियादिली की वजह से ही हो रहा है, न कि महागठबंधन के नेता और बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) के प्रयासों से. बताते हैं कि बिहार कांग्रेस अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह स्पेशल प्लेन से रायपुर से रैली के लिए रवाना होंगे – और हर सूरत में महागठबंधन की पूर्णिया रैली में शामिल होंगे.

इन्हें भी पढ़े

कांग्रेस पार्षद अनवर कादरी

‘Love Jihad’ फंडिंग मामले में फरार कांग्रेस पार्षद की तलाश जारी!

July 31, 2025

‘एक पेड़ मां के नाम’: दिल्ली के सरस्वती कैंप में वृक्षारोपण कार्यक्रम, समाज को दिया पर्यावरण संरक्षण का संदेश!

July 31, 2025
yogi adityanath

सीएम युवा योजना बनी आत्मनिर्भरता की सीढ़ी

July 31, 2025
CM Nitish

सीएम नीतीश ने बुद्ध सम्यक दर्शन संग्रहालय एवं स्मृति स्तूप वैशाली का किया उद्घाटन

July 31, 2025
Load More

कांग्रेस के इस विशेष प्रयास की वजह राजनीतिक विरोधियों के बीच किसी भी तरह का गलत मैसेज जाने देने से रोकना है. वरना, जैसी की खबर आ रही है, तेजस्वी यादव के अड़ियल रवैये के चलते तो ये असंभव ही लग रहा था.

बताते हैं कि अखिलेश प्रसाद सिंह ने आरजेडी से गुजारिश की थी कि रैली की तारीख कोई और रख ली जाये, क्योंकि कांग्रेस के सारे ही सीनियर नेता राष्ट्रीय अधिवेशन में तब व्यस्त होंगे – लेकिन उनकी इस मांग पर जरा भी ध्यान नहीं दिया गया.

हाल ही में पटना में सीपीआई-एमएल लिबरेशन का राष्ट्रीय सम्मेलन हुआ था, जिसमें एक जिम्मेदार गठबंधन सहयोगी की तरह कांग्रेस ने भी मौजूदगी दर्ज करायी थी. रैली में जो बातें हुईं वे तो अपनी जगह रहीं, कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद के माध्यम से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के मैसेज देने की कोशिश – और जवाब में सलमान खुर्शीद का तेजस्वी यादव की तरफ देखते हुए ‘आई लव यू’ बोलने की झिझक का जिक्र ज्यादा चर्चा में रहा.

बिहार की जिम्मेदारी मिलने के बाद से ही अखिलेश प्रसाद सिंह खासे एक्टिव देखे जा रहे हैं. और माना जा रहा है कि ये सब तेजस्वी यादव को फूटी आंख नहीं सुहा रहा है. तेजस्वी यादव असल में नहीं चाहते कि कांग्रेस किसी भी तरीके से इतनी मजबूत हो जाये कि 2020 के विधानसभा चुनावों की आगे भी ज्यादा सीटों की डिमांड करने लगे – और उसमें भी उन इलाकों से जहां मुस्लिम आबादी ज्यादा तादाद में है.

तेजस्वी को कांग्रेस से क्या दिक्कत हो सकती है
2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में तेजस्वी यादव ने कांग्रेस को महागठबंधन में 70 सीटें दी थी. बल्कि ये समझा गया कि कांग्रेस ने तेजस्वी यादव से ये सीटें ले ली थी. जब तक सीटों की डिमांड पूरी नहीं हुई, राहुल गांधी गठबंधन के लिए तैयार भी नहीं हो रहे थे. खबर ये भी रही कि प्रियंका गांधी ने आखिरी क्षणों में मोलभाव कर सीटों पर सहमति बनायी थी.

लेकिन चुनाव नतीजे आते ही आरजेडी नेताओं ने कांग्रेस के खिलाफ धावा बोल दिया था. खास तौर पर राहुल गांधी और प्रियंका गांधी आरजेडी नेताओं के निशाने पर थे. हां, तेजस्वी यादव की तरफ से कोई बयान नहीं आया था.

असल बात तो ये है कि तेजस्वी यादव और कांग्रेस के रिश्ते की मौजूदा तस्वीर ऐसी ही है!

आरजेडी को गुस्सा इस बात से आ रहा था क्योंकि कांग्रेस 70 में से 19 सीटों ही जीत पायी थी. स्ट्राइक रेट के हिसाब से देखा गया तो कांग्रेस फिसड्डी साबित हुई थी. तेजस्वी यादव ने सीपीआई-एमएल को 20 सीटें दी थी, और वो 12 सीटें जीतने में सफल रही. लेफ्ट दलों को कुल 16 सीटें मिली थी.

एक बात तो है कि कांग्रेस को लेकर आरजेडी के भीतर गुस्सा भरा पड़ा है. ये गुस्सा फूट फूट कर निकलता भी दिखायी पड़ता है. जब बिहार में तारापुर और कुशेश्वर स्थान की दो विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हो रहे थे तो लालू यादव ने कांग्रेस के तत्कालीन प्रभारी भक्तचरण दास को ‘भकचोन्हर’ बोल दिया था – और काफी तनावपूर्ण माहौल हो गया था, लेकिन बाद में लालू यादव ने ही सोनिया गांधी के साथ बातचीत करके मामले को रफा दफा भी कर लिया.

लालू यादव पहले भी और अब भी बिहार से बाहर कांग्रेस के साथ मिल कर ही राजनीति करने के पक्षधर रहे हैं. ऐसा लालू यादव और सोनिया गांधी दोनों के ही एक दूसरे के प्रति मदद के बढ़े हाथों की वजह से होता आया है.

जैसे तेजस्वी यादव और कई आरजेडी नेताओं को जबरन सीटें लेकर चुनावों में खराब प्रदर्शन का गुस्सा भरा पड़ा है, वैसे ही लालू यादव को कन्हैया कुमार को कांग्रेस में लेने से नाराजगी है. लालू यादव नहीं चाहते कि बिहार में तेजस्वी यादव का हमउम्र कोई नेता खड़ा हो, वैसे भी कन्हैया कुमार की बात आते ही तेजस्वी यादव के कद को लेकर तरह तरह की चर्चाएं होने लगती हैं. लालू यादव इसलिए कन्हैया कुमार के नाम पर भी जहर पीने को तैयार हो गये, जब उनको लगा कि कन्हैया कुमार को कांग्रेस में लाने का फैसला राहुल गांधी का रहा, सोनिया गांधी का नहीं.

जहां तक महागठबंधन की रैली और कांग्रेस अधिवेशन के एक ही टाइम होने की बात है, तो बताते हैं कि कांग्रेस का अधिवेशन पहले से तय किया जा चुका था. महागठबंधन की रैली की तारीख तो हाल फिलहाल ही तय हुई बतायी जा रही है.

ध्यान देने पर मालूम होता है कि महागठबंधन की रैली भी अमित शाह की रैली को देख कर ही तय की गयी लगती है. 25 फरवरी को ही अमित शाह बिहार के बाल्मीकि नगर में बीजेपी की रैली को संबोधित करने जा रहे हैं, और उसी दिन पूर्णियां में महागठबंधन की भी रैली होने जा रही है.

महागठबंधन ने तारीख तो अमित शाह की ताजा रैली के हिसाब से चुनी है, जगह उनकी ही पुरानी रैली वाली चुनी गयी है. 23 सितंबर, 2022 को नीतीश कुमार के एनडीए छोड़ने के बाद जब अमित शाह ने बिहार का पहला दौरा किया था, तो उनकी रैली पूर्णिया में ही हुई थी.

महागठबंधन की रैली से जुड़ी कई ऐसी बातें भी सामने आ रही हैं जिससे कांग्रेस और आरजेडी के खराब होते रिश्ते के सबूत के तौर पर देखा जा रहा है – और ऐसा ही एक सबूत है, रैली के पोस्टर पर राहुल गांधी की तस्वीर न होना.

साथ ही ऐसे भी कयास लगाये जा रहे हैं कि रैली के मंच से ही नीतीश कुमार को महागठबंधन के प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार भी घोषित किया जा सकता है. स्थानीय चर्चाओं के साथ साथ कुछ मीडिया रिपोर्ट में भी ऐसी बातों को जगह मिली है.

नीतीश कुमार के साथ साथ ये भी माना जा रहा है कि तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री बनाये जाने का भी संकेत दिया जा सकता है. ये दोनों ही मामले एक दूसरे से इतने गहरे जुड़े हैं जो महागठबंधन में विवाद की वजह बन सकते हैं.

प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार की घोषणा किया जाना न तो कांग्रेस को पंसद आएगा और न ही नीतीश कुमार को ही. नीतीश कुमार तो प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार की घोषणा राहुल गांधी या मल्लिकार्जुन खड़गे के मुंह से ही सुनना चाहेंगे.

महागठबंधन के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार की घोषणा का साफ साफ मतलब तो एक ही निकलता है – बिहार से बोरिया बिस्तर बांध कर नीतीश कुमार की विदायी करने की कोशिश. ऐसा होने पर ही तेजस्वी यादव के मुख्यमंत्री बनने का रास्ता साफ हो सकेगा.

अव्वल तो ऐसी संभावना कम ही लगती है, लेकिन मान लेते हैं कि ऐसा होता भी है तो नीतीश कुमार खुद ही नामंजूर कर देंगे – क्योंकि बगैर किसी मजबूत आधार के वो मुख्यमंत्री की कुर्सी तो नहीं ही छोड़ने वाले हैं. जब तक कि नीतीश कुमार के लिए पलटी मार मार कर मुख्यमंत्री बने रहने की संभावना बची हुई हो.

और कांग्रेस को भला नीतीश कुमार का प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाया जाना पसंद कैसे आएगा? मल्लिकार्जुन खड़गे पहले ही साफ कर चुके हैं कि 2024 में कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्ष की सरकार बनेगी.

विपक्ष की सरकार बनने के दावे का मतलब तो यही हुआ कि प्रधानमंत्री भी कांग्रेस का ही बनेगा. और कांग्रेस के प्रधानमंत्री बनने का मतलब राहुल गांधी के अलावा कोई और नाम तो है नहीं!

क्या कांग्रेस मुस्लिम वोट बैंक के लिए खतरा है?
फिलहाल बिहार में महागठबंधन के पास एक ही सांसद है और वो भी 2019 में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीतने वाले – मोहम्मद जावेद. याद रहे 2019 में तेजस्वी यादव आरजेडी के लिए एक भी सीट नहीं ला सके थे.

मोहम्मद जावेद भी किशनगंज लोक सभा सीट से चुने गये हैं, जहां मुस्लिम वोटर का दबदबा है और सीमांचल का इलाका है. किशनगंज के अलावा कटिहार, अररिया और पूर्णिया – ये सभी सीमांचल क्षेत्र में ही आते हैं.

ये वही इलाका है जहां के वोटर का दिल जीतने की होड़ मची हुई है. 2019 जैसी मुश्किल परिस्थिति में चुनाव जीतने वाली कांग्रेस का तो पहला हक बनता है ही, बीजेपी की भी नजर टिकी हुई है. कैसे मुस्लिम वोटों का बंटवारा हो और महागठबंधन का खेल खराब किया जा सके.

बिहार में सत्ता परिवर्तन के बाद अमित शाह के पहले दौरे को भी एक तरह से बीजेपी के चुनावी प्रयासों की शुरुआत के तौर पर ही देखा गया – और नीतीश कुमार और लालू यादव की नयी दोस्ती को टारगेट करने के लिए केंद्रीय मंत्री और बीजेपी नेता अमित शाह ने सीमांचल को भी चुना.

ध्यान देने वाली बात ये है कि सीमांचल के इलाके से ही 2020 के विधानसभा चुनाव में असदुद्दीन ओवैसी के खाते में AIMIM के पांच विधायक चुन कर आये थे. एक विधायक तो अब भी ओवैसी का झंडा उठाये हुए है, लेकिन चार विधायकों को नीतीश कुमार ने आरजेडी ज्वाइन करा दिया है.

अभी जो स्थिति है, उसके मुताबिक बिहार की 243 सीटों में से 24 सीटें सीमांचल से आती हैं. खास बात ये है कि इस इलाके से कांग्रेस और आरजेडी दोनों के पास पांच-पांच सीटें हैं. जेडीयू के हिस्से के चार विधायक सीमांचल से ही आते हैं, जबकि बीजेपी के आठ. एक विधायक सीपीआई-एमएल का भी है.

संसदीय सीटों की बात करें तो किशनगंज कांग्रेस के पास है, जबकि जेडीयू के पास पूर्णिया और कटिहार की दो सीटें – बीजेपी के पास अररिया लोक सभा सीट है.

 

इन्हें भी पढ़ें

  • All
  • विशेष
  • लाइफस्टाइल
  • खेल

भाजपा का हल्ला और कांग्रेस की चुप्पी!

May 9, 2023
G20 country flags arranged in a conference room. 3D illustration.

जनता की अध्यक्षता: क्यों जी20 भारत, प्रत्येक नागरिक के लिए मायने रखता है?

December 4, 2022
Digital Rupee

घर-घर पहुंचने लगी डिजिटल रुपये की खनक!

February 8, 2023
पहल टाइम्स

पहल टाइम्स का संचालन पहल मीडिया ग्रुप्स के द्वारा किया जा रहा है. पहल टाइम्स का प्रयास समाज के लिए उपयोगी खबरों के प्रसार का रहा है. पहल गुप्स के समूह संपादक शूरबीर सिंह नेगी है.

Learn more

पहल टाइम्स कार्यालय

प्रधान संपादकः- शूरवीर सिंह नेगी

9-सी, मोहम्मदपुर, आरके पुरम नई दिल्ली

फोन नं-  +91 11 46678331

मोबाइल- + 91 9910877052

ईमेल- pahaltimes@gmail.com

Categories

  • Uncategorized
  • खाना खजाना
  • खेल
  • गैजेट्स
  • जुर्म
  • दिल्ली
  • धर्म
  • फैशन
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • राजनीति
  • राज्य
  • राष्ट्रीय
  • लाइफस्टाइल
  • विशेष
  • विश्व
  • व्यापार
  • साक्षात्कार
  • सामाजिक कार्य
  • स्वास्थ्य

Recent Posts

  • मालेगांव फैसले के बाद कांग्रेस सांसद के विवादित बोल- हिंदू आतंकवादी हो सकते हैं
  • डोनाल्ड ट्रंप ने भारत में किन उद्योगों के लिए बजाई खतरे की घंटी!
  • इस नेता ने लगाया था देश का पहला मोबाइल फोन कॉल, हेलो कहने के लग गए थे इतने हजार

© 2021 पहल टाइम्स - देश-दुनिया की संपूर्ण खबरें सिर्फ यहां.

  • होम
  • दिल्ली
  • राज्य
  • राष्ट्रीय
  • विश्व
  • धर्म
  • व्यापार
  • खेल
  • मनोरंजन
  • गैजेट्स
  • जुर्म
  • लाइफस्टाइल
    • स्वास्थ्य
    • फैशन
    • यात्रा
  • विशेष
    • साक्षात्कार
  • ईमैगजीन

© 2021 पहल टाइम्स - देश-दुनिया की संपूर्ण खबरें सिर्फ यहां.