स्पेशल डेस्क
पहलगाम: पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले में 26 लोगों की मौत और 17 लोगों के घायल होने की खबर है, जिसने देश में व्यापक आक्रोश और बहस छेड़ दी है। इस हमले को कई लोग ‘हिंदू नरसंहार’ के रूप में देख रहे हैं, क्योंकि आतंकियों ने कथित तौर पर हिंदुओं को चुन-चुनकर निशाना बनाया। सरकार की प्रतिक्रिया और सुरक्षा व्यवस्था पर विपक्ष, जनता, और विभिन्न हस्तियों ने तीखे सवाल उठाए हैं।
हिंदू नरसंहार कैसे हुआ ?: यति नरसिंहानंद
वहीं इन सभी सवालों के जवाब मांगने के लिए पीएम नरेंद्र मोदी के आवास की ओर पद यात्रा कर रहे महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद और महामंडलेश्वर अन्नपुर्णा भारती को जिला मुख्यालय गाज़ियाबाद के सामने पुलिस ने रोक लिया। इस पर महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी ने गहन आक्रोश प्रदर्शित करते हुए कहा कि “तथाकथित हिंदूवादी सरकार अपने अलावा किसी भी हिंदूवादी को अपनी बात कहने भी नहीं देना चाहती इसीलिए हमारी आवाज हर तरह से कुचली जा रही है।सनातन धर्म की सबसे बड़ी धार्मिक संस्थाओं श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़ा और निरंजनी अखाड़े के दो जिम्मेदार महामंडलेश्वर बहुत ही शांति के साथ अपने प्रधानमंत्री से मिलने और कीड़े मकौड़ों की तरह मरते हुए हिंदुओं के दर्द को प्रधानमंत्री तक पहुंचाने उनके आवास तक जा रहे थे।”
उन्होंने कहा “पूरी पदयात्रा में नाम मात्र के लोग सम्मिलित थे और कोई शोर शराबा या हो हल्ला पदयात्रा में नहीं था। फिर भी सैकड़ों की तादात में पुलिस कर्मियों ने जिला मुख्यालय के सामने पदयात्रियों पर अपनी गुंडा ताकत दिखाते हुए उन्हें रोक दिया। इससे वर्तमान सरकार में हिंदुओं की असली औकात का पता चलता है।”
सरकार के सामने क्या है चुनौती ?
हालांकि इस मुद्दे को लेकर प्रकाश मेहरा कहते हैं कि “सरकार के सामने चुनौती है कि वह न केवल अपराधियों को सजा दे, बल्कि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए सुरक्षा तंत्र को मजबूत करे। जनता का गुस्सा और विश्वास बनाए रखने के लिए पारदर्शी और त्वरित कार्रवाई जरूरी है।”
पहलगाम हमला न केवल एक आतंकी घटना है, बल्कि इसने धार्मिक और राजनीतिक संवेदनशीलता को भी उजागर किया है। सरकार ने कठोर कदम उठाए हैं, जैसे सिंधु जल संधि का निलंबन और NIA जांच, लेकिन सुरक्षा चूक और इंटेलिजेंस की नाकामी जैसे सवालों ने उसकी विश्वसनीयता पर सवाल उठाए हैं।