नई दिल्ली : गुजरात में जोरदार जीत के साथ भारतीय जनता पार्टी ने 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए हुंकार भर दी है। हालांकि, उसके इस सफर में अभी कई छोटे-बड़े पड़ाव आने वाले हैं। अब से लेकर अगले लोकसभा चुनाव के बीच कुल नौ राज्यों में चुनाव होने वाले हैं। जाहिर सी बात है, भाजपा की नजर इन चुनावों पर होगी। इन चुनावों में जीत हासिल करके वह आगामी लोकसभा चुनाव के लिए अपनी तैयारी और पुख्ता करना चाहेगी। आइए जानते हैं कौन हैं वह नौ राज्य जहां अगले कुछ महीनों में होने वाले हैं विधानसभा चुनाव…
नागालैंड, सीटें 60, कार्यकाल का अंत मार्च 2023
नागालैंड में फिलहाल भाजपा समर्थित सरकार है। यहां पर पिछला विधानसभा चुनाव साल 2018 में लड़ा गया था। तब नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक पीपुल्स पार्टी (एनडीपीपी) और भाजपा ने मिलकर लड़ा था। चुनाव के बाद पीपुल्स डेमोक्रेटिक अलायंस (पीडीए) नाम से सरकार बनी थी, जिसमें एनडीपीपी के नेफ्यू रियो मुख्यमंत्री बने थे। नागालैंड में भाजपा ने 12 सीटों पर जीत हासिल की थी।
मेघालय, सीटें 60, कार्यकाल का अंत मार्च 2023
मेघालय में नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) का शासन है। यहां पर मुख्यमंत्री कोनराड संगमा हैं। यहां पर साल 2018 में चुनाव हुए थे। एनपीपी को चुनाव में क्षेत्रीय दलों के साथ-साथ भाजपा का भी समर्थन मिला था। हालांकि 60 में से 53 सीटों पर एनपीपी ने अकेले दम पर चुनाव लड़ा था। हाल ही में यहां के मुख्यमंत्री संगमा ने घोषणा की है कि उनकी पार्टी आगामी चुनाव अकेले दम पर लड़ेगी। इसके लिए उसने 58 उम्मीदवारों के नाम तय कर लिए गए हैं। हालांकि उन्होंने यह भी कहा था कि उनकी पार्टी एनडीए को अपना समर्थन जारी रखेगी।
त्रिपुरा, 60 सीटें, कार्यकाल का अंत मार्च 2023
भाजपा ने 2018 में यहां पर वामदलों के शासन का अंत किया था और सत्ता में आई थी। इस साल 14 मई को भाजपा ने एक अप्रत्याशित परिवर्तन करते हुए यहां पर बिप्लब देब को मुख्यमंत्री पद से हटाकर माणिक साहा को सीएम बनाया था। वहीं, यहां पर कांग्रेस और सीपीआई-एम के बीच बातचीत चल रही है और उम्मीद जताई जा रही है कि दोनों के बीच गठबंधन हो सकता है। वहीं, आदिवासी तिप्रा मोथा पार्टी भाजपा के सहयोगी आईपीएफटी से आदिवासी वोट छीनने की कोशिश करेगी।
कर्नाटक, 224 सीटें, कार्यकाल का अंत मई 2023
पिछली बार यहां चुनाव के बाद कांग्रेस और जेडीएस के बीच गठबंधन हुआ था और तब एचडी कुमारस्वामी मुख्यमंत्री बने थे। इसके चलते भाजपा बहुत नजदीक आकर भी यहां सत्ता से दूर रह गई थी। हालांकि 14 महीने के अंदर ही भाजपा के पुराने खिलाड़ी बीएस येदियुरप्पा ने अपना जादू चलाया और जेडी-एस व कांग्रेस सरकार को गिराकर नई सरकार बनाई। बीते साल जुलाई में भाजपा ने यहां पर येदियुरप्पा को हटाकर बसवराज बोम्मई को सीएम बनाया था।
मिजोरम, 40 सीटें, कार्यकाल का अंत दिसंबर 2023
मिजो नेशनल फ्रंट के नेता जोरामथांगा दिसंबर 2018 में इस प्रदेश के मुख्यमंत्री बने थे। तब उनकी पार्टी ने कांग्रेस का सफाया करके जीत हासिल की थी। कांग्रेस यहां पर लाल थानावाला के नेतृत्व में दो बार शासन कर चुकी थी।
छत्तीसगढ़, 90 सीटें, कार्यकाल का अंत जनवरी 2024
इस राज्य में जीत हासिल करना कांग्रेस के लिए बहुत बड़ी बात थी। बीते विधानसभा चुनाव में भूपेश बघेल ने इसे मुमकिन करके दिखाया था। तब कांग्रेस ने छत्तीसगढ़ की 90 सीटों में से 68 पर जीत हासिल की थी। इसके साथ ही उसने यहां पर भाजपा को सत्ता से दूर किया था। हालिया उपचुनाव में कांग्रेस ने यहां की एसटी-आरक्षित सीट भानुप्रतापपुर पर कब्जा किया था। यह भाजपा की उपचुनावों में लगातार पांचवीं हार थी।
मध्य प्रदेश, 230 सीटें, कार्यकाल का अंत जनवरी 2024
मध्य प्रदेश में कड़े मुकाबले के बाद बीते चुनाव में कांग्रेस ने तीन बार के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को यहां सत्ता से दूर किया था। हालांकि कांग्रेस अपनी जीत का जश्न बहुत देर तक नहीं मना सकी। मार्च 2020 में कांग्रेस के दिग्गज नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने 22 विधायकों के साथ पार्टी का दामन छोड़ दिया। इसके साथ ही कमलनाथ सरकार गिर गई और शिवराज सिंह चौहान एक बार फिर सत्ता में वापस आ गए। हालांकि इस बार भी दिग्विजय सिंह और कमलनाथ जैसे बड़े नेताओं के रहते कांग्रेस को खारिज करना आसान नहीं होगा।
राजस्थान, 200 सीटें, कार्यकाल का अंत जनवरी 2024
राजस्थान में सत्ता परंपरागत रूप से भाजपा और कांग्रेस के बीच आती-जाती रही है। अशोक गहलोत के नेतृत्व में कांग्रेस ने यहां पर 2018 में वसुंधरा राजे सिंधिया के नेतृत्व वाली कांग्रेस को यहां मात दी थी। कांग्रेस को 99 और भाजपा को 73 सीटें मिली थीं। इस बार जहां कांग्रेस का दावा है कि वह यहां पर सत्ता बदलने की परंपरा को तोड़ेगी, वहीं दूसरी तरफ उसकी अंदरूनी लड़ाई पार्टी के लिए सिरदर्द बनी हुई है।
तेलंगाना, 119 सीटें, कार्यकाल का अंत जनवरी 2024
केसीआर के नाम से मशहूर के चंद्रशेखर राव ने दिसंबर 2018 में तेलंगाना में जोरदार जीत हासिल की थी। इसके बाद वह यहां के मुख्यमंत्री बने थे। उधर भाजपा की लगातार कोशिश है कि वह तेलंगाना में अपनी पकड़ को मजबूत बनाए। उधर केसीआर ने अपनी पार्टी तेलंगाना राष्ट्र समिति का नामकरण भारत राष्ट्र समिति करके बड़े इरादों का संकेत दिया है।