Upgrade
पहल टाइम्स
  • होम
  • दिल्ली
  • राज्य
  • राष्ट्रीय
  • विश्व
  • धर्म
  • व्यापार
  • खेल
  • मनोरंजन
  • गैजेट्स
  • जुर्म
  • लाइफस्टाइल
    • स्वास्थ्य
    • फैशन
    • यात्रा
  • विशेष
    • साक्षात्कार
  • ईमैगजीन
  • होम
  • दिल्ली
  • राज्य
  • राष्ट्रीय
  • विश्व
  • धर्म
  • व्यापार
  • खेल
  • मनोरंजन
  • गैजेट्स
  • जुर्म
  • लाइफस्टाइल
    • स्वास्थ्य
    • फैशन
    • यात्रा
  • विशेष
    • साक्षात्कार
  • ईमैगजीन
No Result
View All Result
पहल टाइम्स
No Result
View All Result
  • होम
  • दिल्ली
  • राज्य
  • राष्ट्रीय
  • विश्व
  • धर्म
  • व्यापार
  • खेल
  • मनोरंजन
  • गैजेट्स
  • जुर्म
  • लाइफस्टाइल
  • विशेष
  • ईमैगजीन
Home राष्ट्रीय

राहुल गांधी के सवाल तो पुराने ही हैं?

पहल टाइम्स डेस्क by पहल टाइम्स डेस्क
February 8, 2023
in राष्ट्रीय, विशेष
A A
rahul gandhi
26
SHARES
868
VIEWS
Share on FacebookShare on Whatsapp

मृगांक शेखर


राहुल गांधी (Rahul Gandhi) पहले कहा करते थे, वो बोलेंगे तो भूकंप आ जाएगा. बोलते तो वो पहले भी रहे हैं, लेकिन पहले कभी भी भूकंप जैसी कोई चीज महसूस नहीं हुई – अभी अभी क्यों लगता है जैसे भूकंप आ गया हो! रह रह कर बार बार झटके भी आ रहे हैं, जबकि वो तो कुछ खास बोले भी नहीं!

इन्हें भी पढ़े

Harak Singh Rawat attacks BJP, Trivendra Rawat replies

हरक सिंह रावत का BJP पर वार, 27 करोड़ चंदा विवाद से सियासत गरमाई, त्रिवेंद्र रावत का जवाब!

August 26, 2025

BJP नहीं देगी कोई बड़ा सरप्राइज? जानें नए अध्यक्ष पर क्या है नया अपडेट

August 26, 2025
PM Modi

चीन से पहले जापान क्यों जा रहे PM मोदी, SCO समिट में क्या है प्लान?

August 26, 2025
Saurabh Bharadwaj

AAP नेता और दिल्ली के पूर्व मंत्री सौरभ भारद्वाज के घर ईडी के छापे!

August 26, 2025
Load More

अगर राहुल गांधी कुछ नया नहीं बोले तो कैसे मान लें कि राहुल गांधी ने कुछ बोला भी है? लेकिन जिस तरीके से एक एक करके बीजेपी (BJP) नेताओं ने मोर्चा संभाल लिया है, ऐसा लगता है जैसे वाकई राहुल गांधी ने भूकंप ला दिया हो. ऐसा क्यों लगता है?

राहुल गांधी ने तो ‘सूट बूट की सरकार’ वाले नारे लगाने भी कम कर दिये थे. कांग्रेस नेता को कभी कभी ज्यादा गुस्सा आता तो बस ‘हम दो हमारे दो’ बोल कर हल्के हो जाया करते थे. और जब से गौतम अदानी ने अपने इंटरव्यू में साफ साफ तौर पर बोल दिया कि गुजरात से आने के कारण ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ उनका नाम जोड़ दिया जाता है. उसके बाद से तो जब भी राहुल गांधी बोलते, ‘हम दो…’ काफी लोग तो यही समझ लेते रहे कि वो अपनी दादी पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के परिवार नियोजन कार्यक्रम को लेकर कुछ समझाने की कोशिश कर रहे हैं.

जब राहुल गांधी ने राजस्थान में अदानी ग्रुप (Adani Group) की तरफ से निवेश पर यू टर्न ले लिया. जब राहुल गांधी ने जयपुर में गौतम अदानी और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के हंसते हंसते हाथ मिलाने को लेकर भी बुरा नहीं माना – बल्कि तारीफ ही कर डाली थी, तो बीजेपी खेमे में भी राहत ही महसूस की गयी होगी.

और ये सब भी भारत जोड़ो यात्रा की ही बातें हैं, जिसके प्रसंग का जिक्र कर राहुल गांधी संसद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को घेर कर सवाल पूछ रहे हैं. जब बीजेपी के लोग सबूत मांगने लगते हैं तो राहुल गांधी कह देते हैं, ये सवाल तो उनके हैं ही नहीं – ये तो उधार के सवाल हैं.

अदानी ग्रुप के फायदे और नुकसान पर चल रही बहस के बीच राहुल गांधी बीजेपी की मोदी सरकार से जनता के सवाल पूछने का दावा कर रहे हैं. वे सवाल जो लोगों ने भारत जोड़ो यात्रा के दौरान राहुल गांधी से पूछे थे. राहुल गांधी की मानें तो पूरी यात्रा के दौरान बार बार गौतम अदानी को लेकर लोगों ने कांग्रेस नेता से असलियत जानने की कोशिश की.

सड़क पर चलते चलते, चूंकि वो खुद लोगों को नहीं बता पाये, इसलिए संसद पहुंच कर पूछ रहे हैं – लेकिन मुश्किल ये है कि लोगों को अब भी सवालों का जवाब नहीं मिल रहा है. और ऐसा भी लगता है जैसे कभी नहीं मिल सकेगा.

आखिर मिलेगा भी तो कैसे? जब कांग्रेस की सरकार में गौतम अदानी के निवेश करने पर सवाल खत्म हो जाता हो, तो कैसे उम्मीद लगायी जाये? गौतम अदानी तो कारोबारी हैं. जैसे वो अशोक गहलोत के सामने निवेश का प्रस्ताव रखते हैं, आगे चल कर अगर कांग्रेस की सरकार बनती है तो भी वो वही करेंगे – और फिर राहुल गांधी सवाल पूछना बंद कर देंगे.

तब बीजेपी नेता या अरविंद केजरीवाल या ममता बनर्जी या नीतीश कुमार जैसे नेता सवाल पूछा करेंगे? ये भी जरूरी नहीं कि सवाल गौतम अदानी को लेकर ही पूछे जायें. कल को गौतम अदानी की जगह कोई और भी हो सकता है. दस्तूर तो यही है.

संसद में ऐसा पहला मौका तो नहीं कहेंगे, लेकिन ऐसा कम ही देखा गया है जब कांग्रेस आक्रामक हो और सत्ताधारी बीजेपी को जैसे तैसे बचाव के रास्ते खोजने पड़ रहे हों. बीजेपी को बहुत मेहनत नहीं करनी पड़ती, कांग्रेस को घेरने के लिए मुद्दे तो मिल ही जाते हैं, लेकिन फिर वही पुरानी कहानी याद दिलायी जाने लगती है. जैसे, यूपीए की सरकार भी भ्रष्टाचार से घिरी हुई थी. जैसे पूरा गांधी परिवार जमानत पर छूटा हुआ है – लेकिन गांधी परिवार के ऐसा होने से किसी को वही सब करने का अधिकार थोड़े ही मिल जाता है.

बीजेपी राहुल गांधी से क्यों परेशान होने लगी?
ऐसा ही भाषण तो राहुल गांधी ने पिछली मोदी सरकार के खिलाफ लाये गये अविश्वास प्रस्ताव के दौरान दिया था. और जिस चीज को लेकर भारत जोड़ो यात्रा करते रहे, उसी मंत्र को लेकर वो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सीट तक गये और फिर गले भी मिले. बाद में राहुल गांधी ने जो किया, वो बार बार याद दिलाने की जरूरत नहीं लगती.

वो जादू की झप्पी और राहुल गांधी का आंख मारना! एक बात ये भी रही कि राहुल गांधी के सामने जादू की झप्पी देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सदन में मौजूद भी नहीं थे. न ही केंद्रीय मंत्री अमित शाह. और शायद बीजेपी ने पहले से कोई खास रणनीति नहीं तैयार की थी – और जब राहुल गांधी ने बोलना शुरू किया तो बीजेपी खेमे में बहुत बेचैनी महसूस की गयी, जबकि ये कोई नयी बात नहीं थी.

क्या राहुल गांधी के बदले तेवर से बीजेपी डरने लगी है?

फिर राहुल गांधी ने जादू की बातें शुरू कर दी. राहुल गांधी ने अपना वही बयान ट्विटर पर पिन किया हुआ है. प्रधानमंत्री मोदी से राहुल का सवाल रहा, ‘2014 में अदानी जी का नेटवर्थ आठ बिलियन डॉलर था… वो 2022 में 140 बिलियन डॉलर कैसे हुआ?’

और इसे ही जादू बताते हुए राहुल गांधी ट्विटर पर लिखते हैं कि प्रधानमंत्री मोदी को तो गोल्ड मेडल मिलना चाहिये, ‘प्रधानमंत्री के जादू ने 2014 में 609वें रैंक वाले अदानी को दुनिया का दूसरा सबसे अमीर व्यक्ति बना दिया… राजनीति और व्यापार के ऐसे रिश्ते से मित्र का बिजनेस कैसे बढ़ायें… मोदी जी को ‘गोल्ड मेडल’मिलना चाहिये.

संसद में ऐसा कम ही देखने को मिला है जब विपक्ष सुना रहा हो, और सत्ता पक्ष सुन रहा हो, खासकर 2014 के बाद. पहले विपक्ष लगातार सत्ता पक्ष को कठघरे में खड़ा किये रहता था – और तब अक्सर देखने आता रहा कि मनमोहन सिंह सरकार को जवाब देते नहीं बनता था. जैसे तब 2जी स्पेक्ट्रम से लेकर कोयला घोटाले तक आरोपों की झड़ी लगी रहती थी, ठीक वैसे ही अभी अदानी ग्रुप के कारोबार को लेकर सवाल उठाये जा रहे हैं.

ऐसा कई बार हुआ है कि राहुल गांधी सदन में करीब करीब ऐसे ही बोलते देखे गये हैं, और उसके बाद बीजेपी के तेज तर्रार नेताओं की तरफ से पलटवार भरे बौछार के बाद राहुल गांधी चले जाते रहे हैं. मामला शांत हो जाता है – लेकिन हर बार वैसा ही हो ये भी जरूरी तो नहीं.

पूरे 50 मिनट राहुल गांधी हावी दिखे, और बीजेपी नेता बेबस. एक बार तो राहुल गांधी की बातों पर यकीन भी होने लगा. ये वो राहुल गांधी नहीं हैं. भारत जोड़ो यात्रा के दौरान राहुल गांधी ने बताया था कि पुराने राहुल गांधी को वो मार चुके हैं. आखिर ऐसी क्या बात रही कि बीजेपी नेता परेशान होने लगे थे? आखिर अचानक ऐसा क्या हो गया था, जो सत्ता पक्ष का आत्मविश्वास डिगा हुआ नजर आ रहा था?

हिंडनबर्ग रिपोर्ट के बाद लगता है राहुल गांधी के सवाल भी दमदार हो गये हैं. हिंडनबर्ग रिपोर्ट के जरिये ऐसे सवाल उठाये गये हैं जिनके जवाब देना अदानी ग्रुप के लिए भारी पड़ रहा है. ऐसे सवाल जिनके जवाब देने के बाद भी अदानी ग्रुप को राष्ट्रवादी होने को लेकर विक्टिम कार्ड खेलना पड़ रहा है. जैसे फंस जाने पर कुछ नेता कभी अपने धर्म तो कभी अपनी जाति की दुहाई देने लगते हैं.

ये सब क्या वास्तव में इसलिए देखने को मिल रहा है क्योंकि भारत जोड़ो यात्रा के बाद राहुल गांधी पूरी तरह बदल गये हैं? देखने से तो वो काफी दिनों से बदले बदले लग रहे हैं, लेकिन प्रदर्शन में भी निखार आने लगा है क्या?

क्या ये सब इसलिए सामने आ रहा है क्योंकि हिंडनबर्ग रिपोर्ट के बाद लोगों का भरोसा अदानी ग्रुप को लेकर थोड़ा कम हुआ है – ग्रुप के शेयरों का गिरना तो ऐसे ही संकेत देता है. या फिर इसलिए क्योंकि हिंडनबर्ग रिपोर्ट के आने के बाद से बीजेपी के लिए ऐसे आरोपों को काउंटर करना मुश्किल होने लगा है?

अदानी को लेकर राहुल गांधी के सवाल
अव्वल तो वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पहले ही बोल चुकी थीं कि अदानी मामले से सरकार का कोई लेना देना नहीं है. संसदीय कार्यमंत्री प्रह्लाद जोशी भी पहले ही अपनी तरफ से मुद्दे को खारिज कर चुके थे – ये तोहमत भी मढ़ चुके थे कि विपक्ष के पास कोई मुद्दा नहीं है.

लेकिन सीन काफी बदला बदला था, जैसा यूपीए सरकार के दौरान लोक सभा में सुषमा स्वराज और राज्य सभा में अरुण जेटली को देखा जाता था. जैसे विपक्ष के सवाल और इल्जाम पर सत्ता पक्ष को सांप सूंघ जाता हो. राहुल गांधी और उनके पीछे बैठे कांग्रेस के जो नेता था वे बार-बार सत्ता पक्ष के लिए वैसी ही मुश्किलों की बौछार करने लगे थे.

असल में हिंडनबर्ग रिपोर्ट आने के बाद से राहुल गांधी का आत्मविश्वास सातवें आसमान पर पहुंचा हुआ लगता है. अगर रिपोर्ट के बावजूद अदानी के शेयरो पर कोई असर नहीं हुआ होता तो इतना बवाल शायद ही हो पाता – और राहुल गांधी के सवालों पर सवाल उठाकर बीजेपी की टीम मुद्दे को फटाफट किनारे लगा चुकी होती.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विदेश दौरों का जिक्र कर राहुल गांधी सवाल पूछ रहे थे. राहुल गांधी जानना चाहते थे, ‘आखिर मोदी के ठीक उसके बाद अदानी वहां क्यों गये थे?’ राहुल गांधी ने अपने तरीके से ये भी समझाने की कोशिश की कि कैसे मोदी की विदेश यात्रा के बाद अदानी को विदेशी ठेके मिलते गये. राहुल गांधी का दावा है कि प्रधानमंत्री के इजरायल दौरे के बाद गौतम अदानी भी वहां नजर आये – और फिर उनको डिफेंस का कॉन्ट्रैक्ट मिला. राहुल गांधी का ये भी दावा है कि गौतम अदानी को ऐसे काम करने का कोई अनुभव नहीं है.

राहल गांधी के सवाल सुन कर सत्ता पक्ष की तरफ से रूल बुक का जिक्र शुरू हो गया था. कानून मंत्री रह चुके और लालू प्रसाद के खिलाफ चारा घोटाले के मुकदमे को अंजाम तक पहुंचाने वाले रविशंकर प्रसाद स्पीकर को ये समझाने की कोशिश करते देखे गये कि राहुल गांधी को ऐसे आरोप लगाने से पहले नोटिस देना होगा – लेकिन एक दिन तो सबका होता है, वो राहुल गांधी का दिन था. स्पीकर ओम बिड़ला ने भी राहुल गांधी को बहुत टोका नहीं. बीजेपी नेता इसलिए भी ज्यादा मुश्किल में लग रहे थे.

राहुल गांधी ने भी जो सवाल पूछे, यही समझाया कि ये उनके सवाल नहीं हैं. ये सवाल उनके हैं जो भारत जोड़ो यात्रा के दौरान उनसे मिले थे. मतलब, राहुल गांधी ये समझाने में सफल रहे कि वो सदन में देश सवाल उठा रहे हैं. देश की जनता का सवाल उठा रहे हैं.

राहुल गांधी का कहना था, जब मैं भारत में सड़कों पर घूम रहा था तब मुझसे कई युवाओं ने कहा कि हम भी अदानी की तरह बनना चाहते हैं… स्टार्टअप करना चाहते हैं – और फिर अपनी बात को ऐसे पेश किया जैसे युवा भी जानना चाहते हैं कि कैसे किसी भी बिजनेस में घुस कर तुरंत तरक्की पाई जाये?

इन्हें भी पढ़ें

  • All
  • विशेष
  • लाइफस्टाइल
  • खेल
Air Force india

वायुसेना में ‘हथियार प्रणाली शाखा’ की क्या है जरूरत, यह कैसे करेगी काम?

October 8, 2022

सॉफ्ट हिंदुइज्म कार्ड से हार्ड हिंदुत्व को चुनौती

June 13, 2023
WCL

सीआईएल की स्वर्ण जयंती वर्ष के अवसर पर WCL ने शुरू किया ‘हैप्पी स्कूल परियोजना’

January 25, 2025
पहल टाइम्स

पहल टाइम्स का संचालन पहल मीडिया ग्रुप्स के द्वारा किया जा रहा है. पहल टाइम्स का प्रयास समाज के लिए उपयोगी खबरों के प्रसार का रहा है. पहल गुप्स के समूह संपादक शूरबीर सिंह नेगी है.

Learn more

पहल टाइम्स कार्यालय

प्रधान संपादकः- शूरवीर सिंह नेगी

9-सी, मोहम्मदपुर, आरके पुरम नई दिल्ली

फोन नं-  +91 11 46678331

मोबाइल- + 91 9910877052

ईमेल- pahaltimes@gmail.com

Categories

  • Uncategorized
  • खाना खजाना
  • खेल
  • गैजेट्स
  • जुर्म
  • दिल्ली
  • धर्म
  • फैशन
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • राजनीति
  • राज्य
  • राष्ट्रीय
  • लाइफस्टाइल
  • विशेष
  • विश्व
  • व्यापार
  • साक्षात्कार
  • सामाजिक कार्य
  • स्वास्थ्य

Recent Posts

  • हरक सिंह रावत का BJP पर वार, 27 करोड़ चंदा विवाद से सियासत गरमाई, त्रिवेंद्र रावत का जवाब!
  • BJP नहीं देगी कोई बड़ा सरप्राइज? जानें नए अध्यक्ष पर क्या है नया अपडेट
  • कल से चालू ट्रंप के 50 फीसदी टैरिफ का मीटर, क्‍या होगा जीडीपी का

© 2021 पहल टाइम्स - देश-दुनिया की संपूर्ण खबरें सिर्फ यहां.

  • होम
  • दिल्ली
  • राज्य
  • राष्ट्रीय
  • विश्व
  • धर्म
  • व्यापार
  • खेल
  • मनोरंजन
  • गैजेट्स
  • जुर्म
  • लाइफस्टाइल
    • स्वास्थ्य
    • फैशन
    • यात्रा
  • विशेष
    • साक्षात्कार
  • ईमैगजीन

© 2021 पहल टाइम्स - देश-दुनिया की संपूर्ण खबरें सिर्फ यहां.