प्रकाश मेहरा
नई दिल्ली: देशभर में हर्षोल्लास के साथ बीते शुक्रवार 26 जनवरी को 75वां गणतंत्र दिवस मनाया गया। अपने 25 वें वर्ष के आसपास के एक दाग को अगर छोड़ दिया जाए, तो भारतीय गणतंत्र की यात्रा मिसाल रही है। आज स्वतंत्रता हमारी रगों में दौड़ रही है, पर क्या हम गणतंत्र को ठीक वैसे ही याद करते हैं, जैसे करना चाहिए? गणतंत्र की नींव में एक ऐसा संविधान है, जिसकी रचना देश की स्वतंत्रता और समाज की मुक्ति के लिए तपस्या करने वालों ‘ने मिलकर की थी। कुल 17 सत्रों में संविधान सभा की बैठकें हुई थीं और 114 दिन तो केवल मसौदे पर विचार हुआ था।
विवाद और विषय के पोर-पोर पर पहुंचकर विद्वान, दार्शनिक नेताओं ने विचार किया था और उसके बाद देश को एक सुविचारित संविधान और सुगठित गणतंत्र नसीब हुआ। क्या हमें गणतंत्र के लिए की गई मेहनत याद है? क्या वह तपस्या याद है, जो डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद और डॉक्टर भीमराव आंबेडकर के नेतृत्व में संभव हुई थी ? संविधान द्वारा दी गई स्वतंत्रता का आनंद लेते हुए हमें गणतंत्र का ध्यान जरूर रखना चाहिए। गणतंत्र शब्द हमें अपने कर्तव्य या उत्तरदायित्व के लिए स्वतः प्रेरित करता है।
माधवपुरम गांव में ध्वजारोहण
वहीं गणतंत्र दिवस के मौके पर राजधानी दिल्ली में भी बड़े ही हर्षोउल्लास के साथ मनाया गया इसी के चलते दिल्ली के भीकाजी कामा प्लेस स्थित माधवपुरम गांव में भी प्रेम सिंह टोकस द्वारा ध्वजारोहण किया गया। इसके साथ ही गांव वासियों ने आजादी का जश्न मनाया इस कार्यक्रम के बाद सभी को लड्डू वितरण किया गया। इस समारोह में मथुरा प्रसाद,रामवीर सिंह टोकस,प्रेम सिंह टोकस,ललित टोकस,नवीन टोकस,पवन टोकस,भगत सिंह टोकस (पूर्व पार्षद),पहल मीडिया ग्रुप के संपादक शूरवीर सिंह नेगी आदि मौजूद रहे।
क्या कहते हैं पहल के संपादक
पहल मीडिया ग्रुप के संपादक कहते है कि “एक कथन सही है संविधान द्वारा दी गई स्वतंत्रता का आनंद लेते हुए गणतंत्र का ध्यान जरूर रखना चाहिए। गणतंत्र शब्द हमें अपने कर्तव्य या उत्तरदायित्व के लिए स्वतः प्रेरित करता है।आज हर सभा में हां में हां मिलाने वाले मिल जाते हैं, पर अपनी संविधान सभा में ऐसा कोई नहीं था।”
शिक्षा के द्वारा व्यक्ति के व्यक्तित्व का विकास होता है, व्यक्तित्व के उत्तम विकास के लिए शिक्षा का स्वरूप आदर्शों से युक्त होना चाहिए। हमारी माटी में आदर्शों की कमी नहीं है. शिक्षा द्वारा ही हम नवयुवकों में राष्ट्र प्रेम की भावना जाग्रत कर सकते हैं : प्रकाश मेहरा