डॉ रमेश पोखरियाल ‘निशंक’
जून 2013 की मध्याह्न बादल फटने से विनाशकारी बाढ़ के कारण भयंकर केदारनाथ विभिषिका के कारण बडे स्तर पार भूस्खलन हुआ , मलबे ने नदियों को अवरुद्ध कर दिया, जिससे बड़े पैमाने पर बाढ़ आ गई। बाढ़ का मुख्य दिन 16 जून 2013 था। आपदा के बाद में मंदिर गया तो पता चला दस हजार से अधिक लोग हताहत हुए। प्रधानमंत्री मोदी जो उस समय गुजरात के मुख्यमंत्री थे तो उस समय उन्होंने मंदिर पुनर्निर्माण की पेशकश की। तब तो नहीं पर कुछ वर्ष बाद भगवान् शंकर ने प्रधानमंत्री को यह मौका दिया और केदारनाथ के अनन्य भक्त के रूप में प्रधानमंत्री ने व्यक्तिगत रूप से बकेदारनाथ विकास परियोजना की आधारशिला ही नहीं रखी बल्कि पूरे पूरे समर्पण से सभी कार्य पूर्ण भी कराये। मंदिर क्षेत्र विकास आदि शंकराचार्य की मूर्ति का निर्माण भी करवाया जहाँ शंकराचार्य की ‘समाधि’ स्थित है । “सरस्वती रिटेनिंग वॉल आस्थापथ और घाट, मंदाकिनी रिटेनिंग वॉल आस्थापथ, तीर्थ पुरोहित हाउस और मंदाकिनी नदी पर गरुड़ चट्टी पुल सहित कई अन्य प्रमुख पुनर्विकास परियोजनाओं पर भी सफलता पूर्वक कार्य कर इस दिव्यधाम को अधिक सुरक्षित एंड सुविधाजनक बनाया गया है । इसके प्रधानमंत्री के निर्देश पर बद्रीनाथ धाम के साथ-साथ इसके आसपास के क्षेत्रों को भी मॉडल के रूप में विकसित करने की योजना बनाई गयी है। प्रधानमंत्री का मानना है कि कि माणा गांव और उसके आसपास के क्षेत्रों को ग्रामीण पर्यटन के लिए विकसित करने पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार को 9.7 किमी लंबी गौरीकुंड-केदारनाथ रोपवे परियोजना की नींव रखने के बाद उत्तराखंड के बद्रीनाथ मंदिर पहुंचे हैं। रोपवे यात्रा के समय को वर्तमान के 6-7 घंटे से घटाकर लगभग 30 मिनट कर देगा।
उन्होंने गोविंदघाट-हेमकुंड साहिब रोपवे की आधारशिला भी रखी। यह लगभग 12.4 किमी लंबा होगा और यात्रा का समय लगभग 45 मिनट तक कम कर देगा। पीएमओ के एक बयान में कहा गया है कि रोपवे फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान के प्रवेश द्वार घांघरिया को जोड़ेगा। पीएम ने बद्रीनाथ के लिए नया मास्टर प्लान भी सुनिश्चित किया है,इसे लगभग 2,430 करोड़ रुपये की लागत से विकसित किया जाएगा और इसका उद्देश्य परिवहन का पर्यावरण अनुकूल साधन प्रदान करना है। रोपवे से क्षेत्र में धार्मिक पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा। इसके अलावा, लगभग 1,000 करोड़ रुपये की सड़क चौड़ीकरण परियोजनाओं – मान-टू-माना पास (NH07) और जोशीमठ-से-मलारी (NH107B) – की आधारशिला रखी जाएगी।
कुछ दिवस पूर्व नरेंद्र मोदी ने सोमवार को संभल में कल्कि धाम की आधारशिला रखते हुए कहा कि जो कभी ”कल्पना से परे” था, वह अब हकीकत बन गया है । उन्होंने आज कहा, “यह सांस्कृतिक पुनर्जागरण का एक अद्भुत क्षण है जहां हमने अयोध्या में राम मंदिर का भव्य उद्घाटन, अबू धाबी में एक और मंदिर, काशी विश्वनाथ मंदिर का नवीनीकरण और काशी के परिवर्तन को देखा है। उन्होंने कहा, “तीर्थयात्रा केंद्र बनाए जा रहे हैं और साथ ही मेडिकल कॉलेजों का भी निर्माण किया जा रहा है। यह भारत के सांस्कृतिक जागरण और उसके विकास का भी क्षण था। “22 जनवरी को जब राम मंदिर खोला गया, तो मानो एक नए युग, का सूत्रपात हुआ । राम आज का वर्तमान है तो कल्कि मंदिर भविष्य की तैयारी है। गायतव्य है कि सांभाळ मे स्थापित होणे वाला कल्कि अवतार के इस भव्य मंदिर भगवान विष्णु मंदिर में गर्भगृह होगा जिसमें सभी दस अवतारों वक्ते दर्शन एक साथ हो।
प्रधानमंत्री ने कहा कि देश अब नेतृत्व कर रहा है, अनुसरण नहीं कर रहा है. “अब हम दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था हैं। सांस्कृतिक जागृति प्रधानमंत्री मोदी की सरकार ने वास्तव में मंदिरों के जीर्णोद्धार और विकास सहित भारत की समृद्ध सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत को पुनर्जीवित करने और बढ़ावा देने के उद्देश्य से कई पहलों का समर्थन किया है। ‘राष्ट्रीय चेतना के मंदिर’-अयोध्या के राम मंदिर का उद्घाटन करते हुए पीएम मोदी ने कहा- यह सिर्फ एक दिव्य मंदिर नहीं है. यह भारत की दृष्टि, दर्शन और दिशा का मंदिर है। यह राम के रूप में राष्ट्रीय चेतना का मंदिर है। राम भारत की आस्था हैं, भारत की नींव हैं। संभल उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि अयोध्या में राम मंदिर के उद्घाटन के बाद मुस्लिम देश में हिंदू मंदिर का निर्माण एक सपने के सच होने जैसा है। “दुनिया को नए भारत से उम्मीद है, ऐसा ही क्षण आज संभल में देखने को मिल रहा है।” ये प्रयास राष्ट्रीय गौरव और पहचान को बढ़ावा देने के साधन के रूप में, इसके मंदिरों सहित भारत की सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित और बढ़ावा देने पर सरकार के फोकस को दर्शाते हैं।उज्जैन में 350 करोड़ रुपये के लागत वाले महाकाल लोक कॉरिडोर का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हिंदू मंदिरों को उनके अतीत के गौरव को लौटाने के अथक अभियान का हिस्सा है। देखा जाए तो 2014 में पदभार संभालने के बाद से, उन्होंने कई पुनर्स्थापना परियोजनाएं देखी हैं, जैसे काशी विश्वनाथ धाम से लेकर सोमनाथ मंदिर तक। गृह मंत्री अमित शाह ने 2021 में कहा था। “एक समय था जब लोगों को मंदिरों में जाने में शर्म आती थी लेकिन यह सब हो गया है।” प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में परिवर्तन हुआ। मोदी सरकार पूरी निष्ठा और सम्मान के साथ ‘भूल गए’ केंद्रों के नवीनीकरण और पुनर्स्थापना के लिए निडर होकर काम कर रही है।पीएम मोदी के नेतृत्व में सरकार ने वाराणसी में लगभग 400 इमारतों और घरों को उनके मालिकों के साथ आपसी समझौते से अधिग्रहित किया। काशी विश्वनाथ मंदिर के पुनर्निर्माण परियोजना के हिस्से के रूप में इन संरचनाओं को ध्वस्त कर दिया गया था। इस प्रक्रिया में, सरकार ने कहा कि उचित प्राचीनता वाले 40 मंदिरों का जीर्णोद्धार किया जा रहा है। काशी विश्वनाथ गलियारा अब भगवान शिव को समर्पित मंदिर को गंगा नदी से जोड़ता है। काशी विश्वनाथ मंदिर पर आक्रमणकारियों के आदेश पर हमले का इतिहास रहा है। ज्ञातव्य है कि वर्तमान मंदिर का पुनर्निर्माण मराठा रानी अहिल्याबाई होल्कर ने करवाया था। अधिकारियों द्वारा बताया गया जब प्रधानमंत्री ने संयुक्त अरब अमीरात के शीर्ष नेतृत्व से स्वामी नारायण मंदिर हेतु जमीन का अनुरोध किया तो मिनटों में उन्हें जमीन दे दी गयी।
प्रधानमंत्री मोदी जी यह भी कहा, कि ‘‘आजादी के बाद सोमनाथ मंदिर के पुनर्निर्माण तक का विरोध किया गया था और इस तरह की सोच दशकों तक देश पर हावी रही। ‘‘जो काम सोमनाथ से शुरू हुआ था, वो अब एक अभियान बन गया है। आज काशी में विश्वनाथ धाम की भव्यता भारत के अविनाशी वैभव की गाथा गा रही है। आज महाकाल महालोक हमारी अमरता का प्रमाण दे रहा है।’’ ‘‘आज केदारनाथ धाम भी विकास की नई ऊंचाइयों को छू रहा है। बुद्ध सर्किट का विकास करके भारत एक बार फिर दुनिया को बुद्ध की तपोभूमि पर आमंत्रित कर रहा है। देश में राम सर्किट के विकास के लिए भी तेजी से काम हो रहा है और अगले कुछ सप्ताह में अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण भी पूरा होने जा रहा है।’’
संसद के उद्घाटन से पूर्व तमिलनाडु के अधीनम संतों से विधि-विधान पूर्वक अनुष्ठान कराया एवं धार्मिक अनुष्ठान के बाद संतों ने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी को धर्म दंड के रूप सेंगोल दिया जिसे संसद भवन में स्थापित किया गया है। वास्तव में यह सब हमारे सभ्यता तथा लोकतंत्र में धर्म और न्याय को प्रतिपादित करता है। सम्पूर्ण विश्व में भारत एक ऐसा राष्ट्र है जो ‘वसुधैव कुटुंबकम’ की भावना से ओतप्रोत होकर सदियों से विश्व के लिए आर्थिक समृद्धि और भौतिक विकास के लिए समर्पित है। पी एम मोदी जी के कुशल नेतृत्व में सरकार, समाज और संतगण, सब साथ मिलकर परंपरागत मूल्य आधारित जीवन शैली अपनाकर भारत पूरी मानवता का सर्वागीण विकास सुनिश्चित कर सांस्कृतिक अभ्युदय के नए युग का सूत्रपात कर रहा है ।