अल्मोड़ा। बहुत टेंशन है भाई…, एक तरफ शादी की सालगिरह है, तो दूसरी तरफ लोकभा चुनाव 2024 चुनाव भी निपटाने हैं। दोनों जिम्मदारियां निभानी भी जरूरी हैं। सालगिरह नहीं मनाई तो पत्नी से विवाद होना तय है और चुनाव ड्यूटी नहीं दी तो नौकरी से हाथ धोने की पूरी संभावना है। ऐसे में हालात ‘आगे कुआं पीछे खाई’ जैसे हो गए हैं।
ऐसे ही रोचक किस्से इन दिनों सरकारी दफ्तरों में चर्चा का विषय बने हुए हैं। चुनाव ड्यूटी से नाम हटाने का आवेदन करने वाले कर्मचारी एक दूसरे से अपनी-अपनी मन की बात कह रहे हैं। एक कहता है कि सरकारी कर्मचारी को मार्च-अप्रैल में कभी शादी नहीं करनी चाहिए, क्योंकि हर तीसरे या पांचवे साल चुनाव होते हैं।
घर में कलेश होता है। इधर हर बार चुनाव ड्यूटी लगती है, उधर घर में पत्नी नाराज होती है। ऐसे में टेंशन हो जाती है कि पत्नी को मनाऊं या चुनाव को निपटाऊं। वहीं, दूसरे कर्मचारी कहते हैं कि आप तो अगले साल सालगिरह मना लोगे।
यहां तो साले की शादी है। पत्नी का पहले ही फरमान था कि तीन दिन पहले ही कार्यक्रम में शामिल हो जाएंगे, लेकिन यहां शादी तक अटेंड नहीं हो पा रही है। पत्नी समझने को तैयार नहीं है। ऐसे में आए दिन कलेश हो रहा है।
795 आवेदन में से 405 हुए खारिज
जिले में 4176 कर्मचारियों की चुनाव में ड्यूटी लगी है। ड्यूटी से राहत के लिए 795 कर्मचारियों ने आवेदन किया था। इनमें से 405 कर्मियों के आवेदन खारिज हुए, जबकि 390 को स्वीकृति मिली। स्वीकृति पाने वालों में 94 स्वास्थ्य स्वास्थ्य और 296 पारिवारिक, शादी समारोह, उम्र या अन्य कारणों वाले कर्मचारी शामिल हैं।
जनेऊ संस्कार में नहीं गए तो परिजन नाराज
शिक्षा विभाग के एक कर्मचारी बताते हैं कि 19 अप्रैल का हल्द्वानी में दो भतीजों का जनेऊ संस्कार है। बीते एक माह से तैयारी चल रही है। कार्यक्रम को निपटाने की पूरी जिम्मेदारी मेरे कंधे पर है, लेकिन ड्यूटी चुनाव में लग गई। आवेदन किया तो इजाजत नहीं मिली। ऐसे में परिजन नाराज हो रहे हैं।
बीमारी की दलील भी नहीं आ रही काम
चुनाव ड्यूटी से छुटकारा पाने के लिए कर्मचारी बीमारी की भी दलील दे रहे हैं। जिला निर्वाचन आयोग की ओर से आवेदक कर्मचारी को जांच के लिए अस्पताल भेज दिया जा रहा है। यहां जांच में रिपोर्ट नॉर्मल आने पर कर्मचारियों के आवेदन सिरे से खारिज हो रहे हैं। हालांकि, स्वास्थ्य विभाग इसका डाटा तैयार कर रहा है।