नई दिल्ली: अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति एवं रिपब्लिकन पार्टी की ओर से राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप पर जानलेवा हमले के बाद सीक्रेट सर्विस की आलोचना हो रही है। रिपब्लिकन नेता सुरक्षा एजेंसी पर लापरवाही और जांच धीमे गति से करने का दावा कर रहे हैं। रिपब्लिकन नेताओं ने राष्ट्रपति जो बाइडेन से सीक्रेट सर्विस के काम की समीक्षा करने की भी मांग कर रहे हैं। बता दें कि सीक्रेट सर्विस के कंधों पर मौजूदा एवं पूर्व राष्ट्रपति की सुरक्षा की जिम्मेदारी होती है। अमेरिकी राष्ट्रपति एवं पूर्व राष्ट्रपति हमेशा सीक्रेट सर्विस के तेजतर्रार एवं काबिल एजेंटों के सुरक्षा घेरे में रहते हैं। अमेरिका की यह सीक्रेट सर्विस होमलैंड सेक्युरिटी (गृह मंत्रालय) के तहत आती है।
राष्ट्रपति एवं पूर्व राष्ट्रपति की सुरक्षा करने के अलावा यह एजेंसी आपराधिक जांच एवं जाली करेंसी और आर्थिक अपराधों की भी जांच करती है। साल 1901 में राष्ट्रपति विलियम मैकेन्ली की हत्या के बाद इस एजेंसी पर राष्ट्रीय स्तर के नेताओं, उनके परिवार एवं अमेरिका पहुंचने वाले विदेशी नेताओं की सुरक्षा की जिम्मेदारी भी दे दे गई। अमेरिका जब अपने गृह युद्ध के अंतिम दौर से गुजर रहा था तो उस समय अमेरिका में आधी करेंसी के जाली होने का अनुमान था। इसकी जांच के लिए 1865 में डिपार्टमेंट ऑफ ट्रेजरी के अधीन सीक्रेट सर्विस की स्थापना हुई। जाली नोटों पर बहुत हद तक रोक लगाने के बाद सीक्रेट सर्विस संघीय अपराधों एवं तस्करी जैसे अपराधों की जांच करती रही।
बाद में इसके हिस्से की जांच FBI को दिया गया
आगे चलकर 1908 में जब फेडरल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (FBI) का जब गठन हुआ तो सीक्रेट सर्विस के जांच के दायरे को सीमित कर दिया गया। फिर भी साइबर क्राइम सहित बैंकिंग एवं वित्तीय सेक्टर के अपराधों की जांच सीक्रेट सर्विस करती रही। कुछ समय बाद सीक्रेट सर्विस के सेवाओं का दायरा बढ़ाते हुए उसे राजनीति की दिग्गज हस्तियों एवं सरकारी अधिकारियों की सुरक्षा की जिम्मेदारी भी दे दे गई। एजेंसी को जिन राजनीतिक हस्तियों की सुरक्षा की जिम्मेदारी मिली उनमें राष्ट्रपति, उप राष्ट्रपति, राष्ट्रपति का परिवार, विदेश से आने वाले राष्ट्राध्यक्ष और चुनाव से 120 दिन पहले राष्ट्रपति एवं उप राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार शामिल हैं।
बिना वारंट किसी को भी गिरफ्तार कर सकते हैं इसके एजेंट्स
सीक्रेट सर्विस के एजेंट अपने साथ अत्याधुनिक हथियार लेकर चलते हैं। देश के खिलाफ होने वाले किसी भी अपराध के लिए वे बिना वारंट किसी को भी गिरफ्तार कर सकते हैं। रिपोर्टों की मानें तो सीक्रेट सर्विस में करीब 3,200 एजेंट्स काम करते हैं। इनमें से करीब 1,300 एक्टिव एजेंट्स हैं जबकि 2000 के करीब तकनीकी, पेशेवर और प्रशासनिक कार्यों से जुड़े हैं। इस सयम सीक्रेट सर्विस की डाइरेक्टर किम्बर्ली चीटल हैं। चीटल साल 1995 में इस सीक्रेट सर्विस से जुड़ीं। वह सितंबर 2022 से इस पद पर हैं और एजेंसी की 27वां डाइरेक्टर हैं। उन्होंने जेम्स एम मुरे की जगह ली। इससे पहले सीक्रेट सर्विस में वह असिस्टेंट राइरेक्टर थीं। असिस्टेंट राइरेक्टर की भूमिका में आने से पहले वह अटलांटा में एजेंसी की स्पेशल एजेंड इन चार्ज थीं।
विदेशों में जासूसी का काम करती है CIA
सीक्रेट सर्विस का कामकाज एफबीआई से अलग है। संघीय सरकार द्वारा उपलब्ध कराई गई खूफिया सूचनाओं एवं जानकारियों के आधार पर यह एजेंसी अपनी जांच को आगे बढ़ाती है। एफबीआई में काम करने वाले लोग अमेरिकी न्याय विभाग के अधीन आते हैं। वहीं, सेंट्रल इंटेलिजेंस एजेंसी (CIA) का कामकाज घरेलू नहीं बल्कि विदेशी होता है। सीआईए अमेरिका से बाहर राष्ट्रपति से जुड़े वैश्विक मुद्दों एवं दुनिया के अन्य देशों के बारे में खूफिया सूचनाएं जुटाती है। इस एजेंसी का काम अमेरिकी हितों के लिए जासूसी करना भी है। सीआईए के एजेंट्स राष्ट्रीय सुरक्षा पर नीति बनाने वाले लोगों और राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद को भी अपनी खुफिया जानकारियां उपलब्ध कराती है। सीआईए सीधे राष्ट्रपति के निर्देशों का पालन करती है। एफबीआई भ्रष्टाचार और घरेलू आतंकवाद के मामलों को भी देखती है।