उज्जैन: हिंदू धर्म में भगवान शिव शीघ्र प्रसन्न होने वाले देवता कहलाते हैं. महादेव का स्वभाव भोला है. इसलिए उन्हें भोलेनाथ भी कहा जाता है. ऐसा कहा जाता है कि जो भी भक्त पूर्ण श्रद्धाभाव से भगवान शिव की पूजा-करता है. उसकी मनोकामना अवश्य पूरी होती है.
सावन के महीने में भगवान शिव को नियमित रूप से बेल पत्र चढ़ाने से शिव जी की अनन्य कृपा की प्राप्ति होती है. उज्जैन के ज्योतिष रवि शुक्ला से जानते है. भगवान शिव को बेल पत्र क्यों प्रिय है?. बेल पत्र चढ़ाने में किन बातों को ध्यान रखना चाहिए.
क्यों प्रिय है भोलेनाथ को बेलपत्र
शिवपुराण के अनुसार, समुद्र मंथन से निकले विष के कारण संसार पर संकट मंडराने लगा था. भगवान शिव ने सृष्टि की रक्षा के लिए उस विष को गले में धारण कर लिया. इससे शिव के शरीर का तापमान बढ़ने लगा और पूरी सृष्टि आग की तरह तपने लगी. इस कारण धरती के सभी प्राणियों का जीवन कठिन हो गया. सृष्टि के हित में विष के असर को खत्म करने के लिए देवताओं ने शिव जी को बेल पत्र खिलाए. बेल पत्र खाने से विष का प्रभाव कम हो गया है. यहां तब से ही शिव जी को बेल पत्र चढ़ाने की प्रथा बन गई.
आखिर क्या है बेलपत्र का महत्व
बेलपत्र में तीन पत्तियां एक साथ जुड़ी होती हैं. जिसको लेकर कई तरह की मान्यताएं प्रचलित हैं. तीन पत्तों को कहीं त्रिदेव (सृजन, पालन और विनाश के देव ब्रह्मा, विष्णु और शिव) तो कहीं तीन गुणों (सत्व, रज और तम) तो कहीं तीन आदि ध्वनियों (जिनकी सम्मिलित गूंज से ऊं बनता है) का प्रतीक माना जाता है. बेलपत्र की इन तीन पत्तियों को महादेव की तीन आंखें या उनके शस्त्र त्रिशूल का भी प्रतीक माना जाता है.
बेलपत्र चढ़ाने के नियम
- भगवान शिव को हमेशा उल्टा बेलपत्र यानी चिकनी सतह की तरफ का भाग स्पर्श कराते हुए ही बेलपत्र चढ़ाएं.
- बेलपत्र को हमेशा अनामिका,अंगूठे और मध्यमा अंगुली की मदद से चढ़ाएं एवं मध्य वाली पत्ती को पकड़कर शिवजी को अर्पित करें.
- ध्यान रहे भगवान शिव को ऐसा बेलपत्र अर्पण करें जो बिल्कुल भी कटा फटा न हो.