प्रकाश मेहरा
एक्जीक्यूटिव एडिटर
नई दिल्ली: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 9 जुलाई की रेसिप्रोकल टैरिफ डेडलाइन को लेकर बयान दिया कि यह तारीख लचीली है और इसे बदला जा सकता है। उन्होंने कहा, “हमारा मन, हम जो चाहें कर सकते हैं। हम इस समयसीमा को बढ़ा या घटा सकते हैं। मैं चाहता हूं कि इसे छोटा किया जाए। मेरा मन है कि सभी देशों को चिट्ठी भेज दूं- बधाई हो, अब आप 25 फीसदी टैरिफ भरेंगे।” यह बयान व्हाइट हाउस में पत्रकारों से बातचीत के दौरान आया।
रेसिप्रोकल टैरिफ क्या है ?
रेसिप्रोकल टैरिफ एक ऐसी नीति है, जिसमें अमेरिका उन देशों पर उतना ही आयात शुल्क लगाता है, जितना वे अमेरिकी सामानों पर लगाते हैं। ट्रंप ने अप्रैल 2025 में लगभग सभी विदेशी आयातों पर यह टैरिफ लागू किया था, लेकिन 10% से अधिक टैरिफ पर 90 दिनों की छूट दी गई थी, जो 8 जुलाई को समाप्त हो रही है। इस छूट का मकसद देशों को व्यापार वार्ता के लिए समय देना था।
भारत के संदर्भ में ट्रंप का बयान !
ट्रंप ने भारत के साथ व्यापार समझौते की बात कही, जिसमें सभी व्यापारिक अवरोधों को हटाने की इच्छा जताई। उन्होंने कहा, “हम भारत के साथ एक ऐसी डील पर पहुंचने जा रहे हैं, जहां हमें वहां जाकर व्यापार करने का अधिकार होगा। अभी यह प्रतिबंधित है।” हालांकि, उन्होंने इसे “अकल्पनीय” बताते हुए कहा कि यह आसान नहीं होगा। भारत और अमेरिका के बीच फरवरी 2025 में हुए समझौते के तहत 2025 के शरद ऋतु तक प्रारंभिक व्यापार समझौता पूरा करने और 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को 500 अरब डॉलर तक बढ़ाने का लक्ष्य है।
डेडलाइन की लचीलापन!
व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलीन लेविट ने कहा कि 8-9 जुलाई की डेडलाइन “कोई बहुत जरूरी नहीं” है और इसे जरूरत के हिसाब से बदला जा सकता है। अगर देश बातचीत के लिए नहीं आते, तो ट्रंप उन्हें सीधे एक डील भेज सकते हैं। अमेरिकी ट्रेजरी सचिव स्कॉट बेसेंट ने भी संकेत दिया कि व्यापार समझौते सितंबर (लेबर डे) तक पूरे हो सकते हैं, अगर प्रगति सकारात्मक रही।
अन्य देशों पर क्या पड़ेगा प्रभाव !
ट्रंप ने यूरोपीय यूनियन से आयात पर 50% तक टैरिफ की चेतावनी दी है। अमेरिका ने हाल ही में चीन के साथ एक व्यापार समझौता पूरा किया है। कनाडा और मेक्सिको पर 1 फरवरी 2025 से 25% टैरिफ लागू करने की घोषणा की गई थी।
ट्रंप की टैरिफ नीति ने वैश्विक बाजारों में हलचल मचा दी है। निवेशकों को उम्मीद है कि लचीली नीति से व्यापार में बाधा कम होगी, जिससे शेयर बाजारों में उछाल देखा गया। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि टैरिफ से आयातित सामानों की कीमतें बढ़ सकती हैं, जिससे महंगाई और व्यापारिक रिश्तों पर असर पड़ सकता है।
अमेरिका भरोसेमंद आर्थिक भागीदार !
भारत ने अपनी नीति स्वायत्तता बनाए रखते हुए अमेरिका को भरोसेमंद आर्थिक भागीदार माना है। भारतीय अधिकारियों के अनुसार, भारत ट्रंप की नीतियों का सामना करने के लिए आत्मनिर्भरता बढ़ाने पर ध्यान दे रहा है, जैसा कि कोविड के बाद रक्षा उत्पादन में देखा गया।
ट्रंप की टैरिफ नीति और उनकी “हम जो चाहें कर सकते हैं” वाली टिप्पणी उनकी अप्रत्याशित शैली को दर्शाती है। भारत समेत कई देशों के साथ व्यापार वार्ताएं तेज हो रही हैं और डेडलाइन में बदलाव की संभावना बनी हुई है। भारत के लिए यह एक चुनौती और अवसर दोनों है, क्योंकि वह व्यापार समझौतों के जरिए अपनी स्थिति मजबूत करने की कोशिश कर रहा है।