स्पेशल डेस्क/ नई दिल्ली : कांग्रेस सांसद और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने हाल ही में कर्नाटक और महाराष्ट्र के चुनावों में मतदाता सूची में बड़े पैमाने पर धांधली और “वोट चोरी” का आरोप लगाया। इन आरोपों के जवाब में कर्नाटक के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (CEO) और चुनाव आयोग (EC) ने कड़ा रुख अपनाते हुए राहुल गांधी को सबूत के साथ शपथ पत्र (हलफनामा) जमा करने की मांग की है। आइए, इस पूरे मामले की विस्तृत रिपोर्ट एग्जीक्यूटिव एडिटर प्रकाश मेहरा से समझते हैं।
राहुल गांधी के आरोप
राहुल गांधी ने 7 अगस्त को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कर्नाटक के बेंगलुरु सेंट्रल लोकसभा सीट के अंतर्गत महादेवपुरा विधानसभा क्षेत्र का हवाला देते हुए दावा किया कि वोटर लिस्ट में गड़बड़ी मतदाता सूची में हजारों फर्जी मतदाता शामिल हैं, जिनके पते गलत हैं, जैसे “हाउस नंबर जीरो” या पिता के नाम के कॉलम में अंग्रेजी अक्षर (जैसे ITSDLHUG) दर्ज हैं।
महादेवपुरा में धांधली इस सीट पर 6.5 लाख वोटों में से करीब 1 लाख वोटों की “चोरी” हुई। कांग्रेस की जांच में 11,965 डुप्लीकेट वोटर, 40,009 फर्जी पते वाले वोटर, 10,452 एक ही पते पर बल्क वोटर, और 4,000 फर्जी फोटो वाले वोटर मिले।
#VoteChori हमारे लोकतंत्र पर Atom Bomb है। pic.twitter.com/jcLvhLPqM6
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) August 7, 2025
चुनाव आयोग की भूमिका
राहुल ने दावा किया कि चुनाव आयोग भारतीय जनता पार्टी (BJP) के लिए वोट चोरी करा रहा है। उन्होंने कहा कि उनके पास “100% पुख्ता सबूत” हैं और ये सबूत “परमाणु बम” की तरह हैं, जो जल्द ही सार्वजनिक किए जाएंगे। राहुल ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में 1 करोड़ नए वोटरों के जुड़ने और लोकसभा व विधानसभा चुनावों के परिणामों में अंतर का हवाला देते हुए धांधली का शक जताया। उन्होंने कहा कि डिजिटल वोटर लिस्ट और सीसीटीवी फुटेज की मांग करने पर आयोग ने सहयोग नहीं किया।
चुनाव आयोग का पलटवार
कर्नाटक के मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने 7 अगस्त 2025 को राहुल गांधी को पत्र लिखकर जवाब दिया और निम्नलिखित बिंदु उठाए शपथ पत्र की मांग आयोग ने राहुल से कहा कि “वे अपने आरोपों के समर्थन में फर्जी मतदाताओं के नाम, पते, पार्ट नंबर, और सीरियल नंबर के साथ शपथ पत्र पर हस्ताक्षर करें। यदि वे ऐसा नहीं करते, तो उन्हें अपने बयान वापस लेने होंगे, वरना कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
आयोग ने दावा किया कि “मतदाता सूची जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 और मतदाता पंजीकरण नियम 1960 के तहत पारदर्शी तरीके से तैयार की गई थी। ड्राफ्ट वोटर लिस्ट नवंबर 2024 में और फाइनल लिस्ट जनवरी 2025 में कांग्रेस सहित सभी दलों को दी गई थी, लेकिन कांग्रेस ने तब कोई आपत्ति दर्ज नहीं की।
Letter to Shri Rahul Gandhi, Hon'ble Member of Parliament and Hon'ble Leader of the Opposition in Lok Sabha
Expecting the signed declaration and oath@ECISVEEP pic.twitter.com/7CLG100V2r— Chief Electoral Officer, Karnataka (@ceo_karnataka) August 7, 2025
राहुल गांधी और कांग्रेस प्रतिनिधिमंडल को 8 अगस्त को दोपहर 1 से 3 बजे के बीच मिलने का समय दिया गया है ताकि वे अपने सबूत पेश कर सकें।
आरोपों को भ्रामक बताया
चुनाव आयोग ने राहुल के आरोपों को “बेबुनियाद, तथ्यहीन और धमकाने वाला” करार दिया। आयोग ने कहा कि वह रोज-रोज के ऐसे निराधार आरोपों को नजरअंदाज करता है और अपने कर्मचारियों को निष्पक्ष व पारदर्शी तरीके से काम करने का निर्देश देता है। आयोग ने स्पष्ट किया कि चुनाव परिणामों को केवल हाईकोर्ट में चुनाव याचिका के जरिए चुनौती दी जा सकती है।
❌The statements made are Misleading #ECIFactCheck
✅Read the details in the image attached 👇 https://t.co/746fmzkCvl pic.twitter.com/gvhEXXto8I
— Election Commission of India (@ECISVEEP) August 7, 2025
पिछले विवाद महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश
राहुल ने पहले भी महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश के चुनावों में धांधली का आरोप लगाया था। उन्होंने 7 जून 2025 को एक लेख में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 में गड़बड़ी का दावा किया था, जिसका जवाब आयोग ने 24 दिसंबर 2024 को अपनी वेबसाइट पर दिया था।
आयोग ने 12 जून 2025 को राहुल को पत्र लिखकर मुलाकात का न्योता दिया था, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने राहुल के आरोपों का समर्थन करते हुए कहा कि उनके पास बेंगलुरु ग्रामीण में 60,000 से अधिक मतदाताओं की हेराफेरी का दस्तावेजी सबूत है।
राहुल गांधी का जवाब
राहुल गांधी ने शपथ पत्र की मांग पर कहा, “मैं एक नेता हूं। जो मैं सार्वजनिक रूप से कहता हूं, वही मेरा शब्द है। इसे ही मेरी शपथ मानिए।” उन्होंने दावा किया कि उनके द्वारा पेश किए गए आंकड़े चुनाव आयोग के ही हैं, और आयोग ने इनका खंडन नहीं किया। उन्होंने इसे “बड़े पैमाने पर आपराधिक घोटाले” का हिस्सा बताया, जिसमें आयोग और सत्ताधारी पार्टी शामिल हैं।
8 अगस्त की मुलाकात
राहुल गांधी और कांग्रेस प्रतिनिधिमंडल को कर्नाटक के CEO से मिलने का समय दिया गया है। यह देखना बाकी है कि वे अपने दावों के समर्थन में क्या सबूत पेश करते हैं। यह विवाद चुनाव आयोग की निष्पक्षता और मतदाता सूची की विश्वसनीयता पर सवाल उठा रहा है, जिससे राजनीतिक माहौल गरमाया हुआ है।
कानूनी कार्रवाई की चेतावनी
आयोग ने स्पष्ट किया है कि यदि राहुल के सबूत गलत पाए गए, तो उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई हो सकती है। राहुल गांधी के गंभीर आरोपों और चुनाव आयोग के कड़े जवाब ने इस मुद्दे को राष्ट्रीय चर्चा का विषय बना दिया है। जहां राहुल ने मतदाता सूची में धांधली को लोकतंत्र पर हमला बताया, वहीं आयोग ने इसे बेबुनियाद और भ्रामक करार दिया। अब सबकी नजर 8 अगस्त 2025 की मुलाकात पर टिकी है, जहां राहुल को अपने “पुख्ता सबूत” पेश करने होंगे। इस बीच, आयोग ने अपनी पारदर्शिता और निष्पक्षता पर जोर देते हुए कांग्रेस को औपचारिक शिकायत दर्ज करने या कानूनी रास्ता अपनाने की सलाह दी है।