अमेरिकी और नाटो के अधिकारी अब कह रहे हैं यूक्रेन को ले-देकर रूस से समझौता कर लेना चाहिए। तो उन्होंने हेनरी किसिंजर यह सलाह की पिछले महीने ही क्यों नहीं मान ली थी कि यूक्रेन को अपने कुछ इलाके देकर रूस से युद्धविराम कर लेना चाहिए?
अमेरिका में यूक्रेन युद्ध को लेकर सारा विमर्श बदलता दिख रहा है। हाल में यूक्रेन में रूसी सेना को मिली बड़ी कामयाबियों के बाद अब ऐसा लगता है कि अमेरिका में अपनी छवि बचाने की कोशिश शुरू हो गई है। कई अमेरिकी अधिकारी और यहां तक कि मीडिया घराने भी यूक्रेन में हो रहे नुकसान के लिए वहां के राष्ट्रपति वोलोदीमीर जेलेन्स्की को दोषी बताने लगे हैँ। खुद राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कह दिया कि जेलेन्स्की ने रूसी हमले के बारे में अमेरिकी चेतावनियों पर ध्यान नहीं दिया था। उधर एक पूर्व खुफिया अधिकारी ने कहा कि संभवत: एक बार फिर गाज खुफिया तंत्र की नाकामी पर गिराई जाएगी। खुफिया अधिकारियों की राय है कि यूक्रेन के जीतने की संभावना कभी नहीं थी। ये सारा नैरेटिव अमेरिकी और यूरोपीय राजनीतिकों तथा मीडिया ने खड़ा किया। खबरों के मुताबिक पश्चिमी नेताओं के रुख में आए ताजा बदलाव से यूक्रेन के अधिकारी नाराज हैँ। उन्होंने ध्यान दिलाया है कि बीते 25 अप्रैल को अमेरिकी रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन ने कीव आकर ये घोषणा की थी कि अमेरिका युद्ध छेडऩे की रूसी क्षमता को नष्ट कर देना चाहता है।
उसके लगभग एक महीने बाद राष्ट्रपति बाइडेन ने कहा था कि प्रतिबंधों के कारण रूसी अर्थव्यवस्था घट कर आधी हो जाने के कगार पर है। अब उनकी जुबान बदल रही है। ये हकीकत है कि यूक्रेन के दोनबास इलाके में रूसी फौज काफी आगे बढ़ चुकी है। सेवेरोदोनेत्स्क शहर से भी उसने यूक्रेन की सेना को खदेड़ दिया है। तो पश्चिम में कहानी पलटने लगी है। बीते हफ्ते अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स ने कहा कि अमेरिकी खुफिया तंत्र के पास उससे कम सूचनाएं हैं, जितनी उसे रखनी चाहिए। नाटो के महासचिव जेन्स स्टोलटेनबर्ग ने तो इसी हफ्ते यह साफ कह दिया कि यूक्रेन को ले-देकर रूस से समझौता कर लेना चाहिए। तो प्रश्न है कि अमेरिकी और नाटो अधिकारियों ने पूर्व अमेरिकी विदेश मंत्री हेनरी किसिंजर यह सलाह की पिछले महीने क्यों अनदेखी की कि यूक्रेन को अपने कुछ इलाके देकर रूस से युद्धविराम कर लेना चाहिए?