नई दिल्ली: वित्त मंत्रालय ने दिवाली से पहले सभी वित्तीय संस्थानों को खर्च में कटौती करने का जरूरी आदेश जारी किया है. मंत्रालय ने आरबीआई समेत सभी सरकारी बैंकों को सलाह दी है कि वे त्योहारों के दौरान उपहार जैसे अनावश्यक खर्चों को रोकें, ताकि वित्तीय अनुशासन को बढ़ावा दिया जा सके और गैर-जरूरी खर्चों पर अंकुश लगाया जा सके. सार्वजनिक उद्यम विभाग की सलाह का हवाला देते हुए वित्तीय सेवा विभाग (डीएफएस) ने अपने प्रशासनिक नियंत्रण में आने वाले संस्थानों को इस निर्देश का पालन करने के लिए कहा है.
यह सलाह ऐसे समय में आई है जब सरकार उपभोग को बढ़ावा देने और लोगों को खर्च करने के लिए प्रोत्साहित करने की कोशिश कर रही है. मध्यम वर्ग द्वारा खर्च को बढ़ावा देने के प्रयास में सरकार ने इस साल के बजट 2025-26 में आयकर के मोर्चे पर राहत प्रदान की है. सरकार ने सीधे 12 लाख रुपये तक आमदनी पर टैक्स छूट दे दी है. इतना ही नहीं, सरकार ने अगली पीढ़ी के जीएसटी 2.0 सुधारों के माध्यम से लगभग 375 वस्तुओं पर जीएसटी को काफी कम कर दिया है. यह दरें 22 सितंबर से लागू हो गई हैं.
जीडीपी में आएंगे 2.2 लाख करोड़
सरकार का अनुमान है कि टैक्स की कटौती और जीएसटी 2.0 का प्रभाव भारत के जीडीपी में 2.2 लाख करोड़ रुपये की वृद्धि करेगा, जो 4 ट्रिलियन डॉलर को छू रहा है. ये पहले पिछले महीने अमेरिकी प्रशासन द्वारा भारत से आने वाले शिपमेंट पर लगाए गए 50 प्रतिशत टैरिफ के प्रभाव को कम करने में भी मदद करेगी. सरकार पूरे देश में जीएसटी बचत उत्सव भी मना रही है. यह देखा गया है कि सरकारी संस्थान सबसे बड़े उपभोक्ताओं में से एक हैं और त्योहारों के दौरान मांग को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.
उद्यम विभाग ने क्या दी सलाह
डीएफएस ने कहा कि भारत सरकार के मंत्रालयों, विभागों और अन्य संस्थानों द्वारा दिवाली और अन्य त्योहारों के लिए उपहार और इससे संबंधित वस्तुओं पर कोई खर्च नहीं किया जाएगा. इस संदेश में वित्तीय विवेक और सार्वजनिक संसाधनों के जिम्मेदार उपयोग को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर जोर दिया गया. विभाग ने कहा कि यह देखा गया है कि कुछ केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों (सीपीएसई) में दिवाली और अन्य त्योहारों के अवसर पर उपहारों पर खर्च करने की प्रथा है. खर्चों पर रोक लगाने के लिए इस तरह की प्रथा पर प्रतिबंध जरूरी है.
सभी त्योहारों के लिए है निर्देश
सरकारी उद्यम विभाग की ओर से जारी यह सुझाव सिर्फ दिवाली के लिए नहीं, बल्कि सभी त्योहारों पर लागू होगा. विभाग ने कहा है कि आर्थिकता और सार्वजनिक संसाधनों के विवेकपूर्ण उपयोग के हित में यह जरूरी है कि ऐसे खर्चों को बंद कर दिया जाए. लिहाजा सरकारी विभागों और कंपनियों से अपील है कि वे दिवाली सहित किसी भी त्योहार पर उपहार आदि की प्रथा को बंद करके अनावश्यक खर्चों पर लगाम लगाएं.