नई दिल्ली: उत्तराखंड के खटीमा में धर्मांतरण की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं। इसके लिए जनजाति और अनुसूचित जाति के लोग सॉफ्ट टारगेट बन रहे हैं। इसी तरह के एक मामले में शुक्रवार को झनकईया मेलाघाट निवासी एक व्यक्ति पर मुकदमा दर्ज किया गया।
धर्मांतरण कराने वाले लोगों के अंधविश्वास और समाज में उनके साथ होने वाले भेदभाव का लाभ उठाकर उन्हें चमत्कार का भरोसा दिलाते हैं। कहा जाता है कि किसी ईश्वर की पूजा करने से उनकी बीमारियां ठीक हो जाएंगी, परिवार में समस्याएं दूर होंगी और शराब जैसी आदतें छूट जाएंगी। इस तरह की कथित सफलताओं के बहाने लोगों को पूजा स्थलों पर लाया जाता है। एक बार जब लोग नियमित रूप से यहां आने लगते हैं तो उन्हें वहां मौजूद लोग अपने जीवन में हुए बदलावों के बारे में बताते हैं।
धर्मांतरण के बाद इन लोगों को हर रविवार को पूजा के लिए इकट्ठा किया जाता है और पुराने रीति-रिवाज छोड़कर नए तरीकों को अपनाने के लिए कहा जाता है। गांव-गांव में भूत-प्रेत बाधा से मुक्ति जैसी कथित कहानियां बनाई और सुनाई जाती हैं। इस प्रकार के लोग स्थानीय भाषा में ‘विश्वासी’ कहे जाते हैं। पहले मुख्य रूप से जनजाति के लोग निशाने पर थे, जबकि अब अनुसूचित जाति के लोग भी निशाने पर हैं। प्रमुख प्रभावित क्षेत्र मेलाघाट, सिसैया, बरी अंजनिया, नौसर, दियां शामिल हैं।
मुकदमा दर्ज, जांच जारी
धर्मांतरण को लेकर हुए बवाल के मामले में पकड़िया निवासी जितेंद्र विश्वकर्मा की तहरीर पर झनकईया क्षेत्र के सिदारी प्रसाद के खिलाफ प्रलोभन देकर धर्मांतरण कराने का झनकईया थाने में मुकदमा दर्ज किया गया है। प्रभारी निरीक्षक देवेंद्र गौरव ने बताया कि मामले की जांच की जा रही है और जांच पूरी होने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।







