पिथौरागढ़ : उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में जल्द ही एक नई सुरंग बनने जा रही है, जिससे आदि कैलाश और ओम पर्वत की यात्रा अब और आसान और सुरक्षित हो जाएगी. केंद्र सरकार ने बुंदी से गर्ब्यांग के बीच 5.4 किलोमीटर लंबी सुरंग बनाने की मंजूरी दी है. इस सुरंग से यात्रा का रास्ता 22 किलोमीटर छोटा हो जाएगा और सफर में लगने वाला समय भी कम होगा. कैलाश मान सरोवर और आदि कैलाश की यात्रा मार्ग पर करीब 1600 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे. जिससे लोगों की पहुंच आसान होगी और समय भी कम लगेगा.
केंद्रीय राज्यमंत्री सड़क परिवहन, अजय टम्टा ने पिथौरागढ़ दौरे के दौरान बताया कि यह सुरंग छियालेख की पहाड़ी पर बनाई जाएगी. इस इलाके में सड़क की हालत काफी खराब है और बड़े वाहनों को गुजरने में कठिनाई होती है. सुरंग बनने के बाद यह दिक्कत खत्म हो जाएगी और यात्रा सुगम हो जाएगी.
धारचूलालिपुलेख सड़क का 90% काम पूरा
अजय टम्टा ने बताया कि फिलहाल धारचूला से लिपुलेख तक सड़क निर्माण का करीब 90 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है. हालांकि छियालेख का हिस्सा अभी भी चुनौती बना हुआ है. यहां ढलान और खतरनाक मोड़ हैं. धारचूला से गुंजी तक की सड़क में 27 तीखे मोड़ हैं, जिनमें कुछ लगभग 90 डिग्री के हैं. बरसात के समय यहां भूस्खलन और मलबा गिरने से सड़क अक्सर बंद हो जाती है, जिससे लोगों को परेशानी होती है.
सुरंग का निर्माण जल्द शुरू होगा
सुरंग की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (DPR) लगभग तैयार है और मंजूरी मिलने के बाद काम शुरू हो जाएगा. भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है. सरकार ने प्रभावित लोगों के मुआवजे के लिए 137 करोड़ रुपये तय किए हैं, जिनमें से करीब 60 प्रतिशत राशि पहले ही उनके खातों में भेजी जा चुकी है.
सामरिक दृष्टि से भी अहम परियोजना
यह सुरंग सिर्फ यात्रा और पर्यटन के लिए ही नहीं, बल्कि सामरिक दृष्टि से भी बहुत महत्वपूर्ण है. यह मार्ग चीन और नेपाल की सीमा के पास जाता है, जहां सेना, आईटीबीपी और एसएसबी की तैनाती है. सुरंग बनने से इन इलाकों तक पहुंच आसान होगी, जिससे सीमा सुरक्षा और तेज़ी से हो सकेगी.
स्थानीय लोगों और पर्यटन को फायदा
सुरंग बनने से गर्ब्यांग, गुंजी, नाबी, कुटी जैसे छह दूरस्थ गांवों के लोगों को बड़ा लाभ मिलेगा. अब उन्हें बाजार, अस्पताल और स्कूलों तक पहुंचने में आसानी होगी. साथ ही आदि कैलाश और ओम पर्वत जैसे धार्मिक स्थलों तक यात्रियों की संख्या भी बढ़ेगी. यह परियोजना उत्तराखंड के सीमांत इलाकों में विकास की दिशा में एक बड़ा कदम मानी जा रही है. इससे न केवल धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि स्थानीय लोगों का जीवन भी बेहतर होगा.







