नई दिल्ली। चंडीगढ़ को लेकर मोदी सरकार के प्रस्तावित विधेयक पर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। पंजाब सरकार ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई है, जबकि कांग्रेस ने भी इसके गंभीर परिणाम होने की चेतावनी दी है। इसी बीच गृह मंत्रालय सामने आया है और पूरे मामले पर सफाई दी है। मंत्रालय ने जोर देकर कहा है कि केवल कानूनी प्रक्रिया को सरल बनाया जा रहा है और चंडीगढ़ के प्रशासनिक ढांचे में किसी भी तरह का बदलाव नहीं होगा।
गृह मंत्रालय क्या बोला?
जारी बयान में गृह मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि केंद्र सरकार फिलहाल सिर्फ कानून बनाने की प्रक्रिया को आसान करने पर विचार कर रही है और प्रस्ताव पर कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है। मंत्रालय के अनुसार, चंडीगढ़ के गवर्नर और उसके एडमिनिस्ट्रेटिव स्ट्रक्चर में किसी तरह की छेड़छाड़ नहीं की जाएगी। साथ ही, पंजाब और हरियाणा के साथ चंडीगढ़ का जो पारंपरिक समझौता वर्षों से चला आ रहा है, वह जैसा है वैसा ही जारी रहेगा। मंत्रालय ने यह भी कहा कि सभी पक्षों से बातचीत के बाद ही कोई फैसला लिया जाएगा और चंडीगढ़ के हितों को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाएगी।
इसके अलावा, गृह मंत्रालय ने यह भी साफ कर दिया कि इस विषय पर किसी भी तरह की चिंता करने की आवश्यकता नहीं है। शीतकालीन सत्र में सरकार की ऐसी कोई मंशा नहीं है कि वह इस मामले में कोई बिल पेश करे।
आर्टिकल 240 क्या है?
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 240 उन केंद्र शासित प्रदेशों के प्रशासन से जुड़ा है जिनके पास अपनी कोई विधायिका नहीं होती। इस सूची में वर्तमान में अंडमान-निकोबार, लक्षद्वीप, दादरा और नगर हवेली आदि आते हैं। अगर नया विधेयक पारित हो जाता है, तो चंडीगढ़ भी इस सूची में शामिल हो जाएगा। दूसरे शब्दों में- चंडीगढ़ में एक स्वतंत्र प्रशासक (Administrator/LG) नियुक्त किया जाएगा।
चंडीगढ़ की जिम्मेदारी अभी कौन संभालता है?
फिलहाल पंजाब के राज्यपाल ही चंडीगढ़ के प्रशासक के रूप में कार्य करते हैं। राजधानी भले ही संयुक्त हो, लेकिन प्रशासनिक शक्ति लंबे समय से पंजाब के राज्यपाल के पास रही है। अगर यह विधेयक पारित हो जाता है, तो यहां भी बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा और प्रशासक की नियुक्ति केंद्र के स्तर से की जाएगी।







