Upgrade
पहल टाइम्स
  • होम
  • दिल्ली
  • राज्य
  • राष्ट्रीय
  • विश्व
  • धर्म
  • व्यापार
  • खेल
  • मनोरंजन
  • गैजेट्स
  • जुर्म
  • लाइफस्टाइल
    • स्वास्थ्य
    • फैशन
    • यात्रा
  • विशेष
    • साक्षात्कार
  • ईमैगजीन
  • होम
  • दिल्ली
  • राज्य
  • राष्ट्रीय
  • विश्व
  • धर्म
  • व्यापार
  • खेल
  • मनोरंजन
  • गैजेट्स
  • जुर्म
  • लाइफस्टाइल
    • स्वास्थ्य
    • फैशन
    • यात्रा
  • विशेष
    • साक्षात्कार
  • ईमैगजीन
No Result
View All Result
पहल टाइम्स
No Result
View All Result
  • होम
  • दिल्ली
  • राज्य
  • राष्ट्रीय
  • विश्व
  • धर्म
  • व्यापार
  • खेल
  • मनोरंजन
  • गैजेट्स
  • जुर्म
  • लाइफस्टाइल
  • विशेष
  • ईमैगजीन
Home विशेष

असंसदीय शब्द: फिजूल की बहस

पहल टाइम्स डेस्क by पहल टाइम्स डेस्क
July 23, 2022
in विशेष
A A
1
VIEWS
Share on FacebookShare on Whatsapp

वेद प्रताप वैदिक

संसद के भाषणों में कौन-से शब्दों का इस्तेमाल सांसद लोग कर सकते हैं और कौन-से का नहीं, यह बहस ही अपने आप में फिजूल है। आपत्तिजनक शब्द कौन-कौन से हो सकते हैं, उनकी सूची 1954 से अब तक कई बार लोकसभा सचिवालय प्रकाशित करता रहा है। इस बार जो सूची छपी है, उसे लेकर कांग्रेस के नेता आरोप लगा रहे हैं कि इस सूची में ऐसे शब्दों की भरमार है, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा के लिए विपक्षी सांसदों द्वारा इस्तेमाल किए जाते हैं। जैसे जुमलाजीवी, अहंकारी, तानाशाही आदि।

इन्हें भी पढ़े

पीयूष प्रसाद ने एनडीए के लिए झोंकी ताकत, संजय सिंह के पक्ष में मांगा वोट

October 21, 2025
voters

ऐसे होगी बुर्के-घूंघट वाली वोटर्स की पहचान, चलेगा ये आदेश

October 17, 2025
RSS

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और घोष : घोष केवल संगीत और वादन नहीं, यह साधना है!

October 12, 2025
cough syrup

कफ सिरप बिक्री पर सख्त निगरानी, 350 से अधिक सैंपल लिए गए, दर्जनों मेडिकल स्टोर्स के लाइसेंस रद्द

October 12, 2025
Load More

दूसरे शब्दों में संसद तो पूरे भारत की है लेकिन अब उसे भाजपा और मोदी की निजी संस्था का रूप दिया जा रहा है। विरोधी नेताओं का यह आरोप मोटे तौर पर सही-सा लगता है लेकिन वह अतिरंजित है। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने साफ़-साफ़ कहा है कि संसद में बोले जाने वाले किसी भी शब्द पर प्रतिबंध नहीं है। सभी शब्द बोले जा सकते हैं लेकिन अध्यक्ष जिन शब्दों और वाक्यों को आपत्तिजनक समझेंगे, उन्हें वे कार्रवाई से हटवा देंगे। यदि ऐसा है तो इन शब्दों की सूची जारी करने की कोई तुक नहीं है, क्योंकि हर शब्द का अर्थ उसके आगे-पीछे के संदर्भ के साथ ही स्पष्ट होता है।

इस मामले में अध्यक्ष का फैसला ही अंतिम होता है। कोई शब्द अपमानजनक या आपत्तिजनक है या नहीं, इसका फैसला न तो कोई कमेटी करती है और न ही यह मतदान से तय होता है। कई शब्दों के एक नहीं, अनेक अर्थ होते हैं। 17 वीं सदी के महाकवि भूषण की कविताओं में ऐसे अनेकार्थक शब्दों का प्रयोग देखने लायक है। भाषण देते समय वक्ता की मन्शा क्या है, इस पर निर्भर करता है कि उस शब्द का अर्थ क्या लगाया जाना चाहिए। इसी बात को अध्यक्ष ओम बिड़ला ने दोहराया है।

ऐसी स्थिति में रोज़ाना प्रयोग होनेवाले सैकड़ों शब्दों को आपत्तिजनक की श्रेणी में डाल देना कहां तक उचित है? जैसे जुमलाजीवी, बालबुद्धि, शकुनि, जयचंद, चांडाल चौकड़ी, पि_ू, उचक्का, गुल खिलाए, दलाल, सांड, अंट-संट, तलवे चाटना आदि! यदि संसदीय सचिवालय द्वारा प्रचारित इन तथाकथित ‘आपत्तिजनक’ शब्दों का प्रयोग न किया जाए तो संसद में कोई भी भाषण पूरा नहीं हो सकता।

इसीलिए इतने सारे शब्दों की सूची जारी करना निरर्थक है। हां, सारे सांसदों से यह कहा जा सकता है कि वे अपने भाषणों में मर्यादा और शिष्टता बनाए रखें। किसी के विरुद्ध गाली-गलौज, अपमानजनक और अश्लील शब्दों का प्रयोग न करें। जिन शब्दों को ‘असंसदीय’ घोषित किया गया है, उनका प्रयोग हमारे दैनंदिन कथनोपकथन, अखबारों और टीवी चैनलों तथा साहित्यिक लेखों में बराबर होता रहता है।
यदि ऐसा होता है तो क्या यह संसदीय मर्यादा का उल्लंघन नहीं माना जाएगा? इस तरह की सूची प्रकाशित करके क्या संसद अपनी प्रतिष्ठा को हास्यास्पद नहीं बना रही है? भारत को ब्रिटेन या अमेरिका की नकल करने की जरुरत नहीं है। ये राष्ट्र आपत्तिजनक शब्दों की कोई सूची जारी करते हैं तो क्या हम भी उनकी नकल करें, यह जरुरी है? इस मामले में हमारे सत्तारुढ़ और विपक्षी नेता एक फिजूल की बहस में तू-तू—मैं-मैं कर रहे हैं।

इन्हें भी पढ़ें

  • All
  • विशेष
  • लाइफस्टाइल
  • खेल
election

देश में युवा मतदाताओं का वोट प्रतिशत कम क्यों?

May 11, 2024

उत्तराखंड : इन मांगों को लेकर कर्मचारी संगठन ने जल संस्थान से की वार्ता

December 16, 2022
PM Modi

यूपी में बना है व्यापार, विकास और विश्वास का माहौल : PM मोदी

February 20, 2024
पहल टाइम्स

पहल टाइम्स का संचालन पहल मीडिया ग्रुप्स के द्वारा किया जा रहा है. पहल टाइम्स का प्रयास समाज के लिए उपयोगी खबरों के प्रसार का रहा है. पहल गुप्स के समूह संपादक शूरबीर सिंह नेगी है.

Learn more

पहल टाइम्स कार्यालय

प्रधान संपादकः- शूरवीर सिंह नेगी

9-सी, मोहम्मदपुर, आरके पुरम नई दिल्ली

फोन नं-  +91 11 46678331

मोबाइल- + 91 9910877052

ईमेल- pahaltimes@gmail.com

Categories

  • Uncategorized
  • खाना खजाना
  • खेल
  • गैजेट्स
  • जुर्म
  • दिल्ली
  • धर्म
  • फैशन
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • राजनीति
  • राज्य
  • राष्ट्रीय
  • लाइफस्टाइल
  • विशेष
  • विश्व
  • व्यापार
  • साक्षात्कार
  • सामाजिक कार्य
  • स्वास्थ्य

Recent Posts

  • पीयूष प्रसाद ने एनडीए के लिए झोंकी ताकत, संजय सिंह के पक्ष में मांगा वोट
  • वोट चोरी पर अचानक चुप क्यों हो गए राहुल गांधी!
  • WhatsApp पर ऐसे डाउनलोड करें अपना आधार कार्ड, जानें तरीका

© 2021 पहल टाइम्स - देश-दुनिया की संपूर्ण खबरें सिर्फ यहां.

  • होम
  • दिल्ली
  • राज्य
  • राष्ट्रीय
  • विश्व
  • धर्म
  • व्यापार
  • खेल
  • मनोरंजन
  • गैजेट्स
  • जुर्म
  • लाइफस्टाइल
    • स्वास्थ्य
    • फैशन
    • यात्रा
  • विशेष
    • साक्षात्कार
  • ईमैगजीन

© 2021 पहल टाइम्स - देश-दुनिया की संपूर्ण खबरें सिर्फ यहां.