प्रकाश मेहरा
एग्जीक्यूटिव एडिटर
नई दिल्ली। आम आदमी पार्टी (AAP) के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने 3 जुलाई को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में ऐलान किया कि “उनकी पार्टी आगामी बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में अकेले दम पर मैदान में उतरेगी। यह घोषणा बिहार की राजनीति में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है, क्योंकि AAP अब तक दिल्ली और पंजाब में अपनी मजबूत उपस्थिति के लिए जानी जाती है, और अब वह बिहार में अपनी राष्ट्रीय उपस्थिति को और मजबूत करने की कोशिश कर रही है।
अकेले चुनाव लड़ने का फैसला
केजरीवाल ने स्पष्ट किया कि “AAP बिहार में किसी भी राजनीतिक दल के साथ गठबंधन नहीं करेगी। उन्होंने कहा कि “I.N.D.I.A. गठबंधन केवल लोकसभा चुनाव 2024 के लिए था और अब उनकी पार्टी का किसी से कोई गठबंधन नहीं है। AAP बिहार की सभी 243 विधानसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगी, जैसा कि पार्टी के बिहार प्रदेश प्रभारी अजेश यादव और राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने पहले भी संकेत दिया था।
गुजरात में बदलाव का भरोसा अब हर गुजराती के दिल की आवाज़ बन चुका है।
अब गुजरात जुड़ेगा, अब गुजरात बदलेगा। https://t.co/H76pwC2Pcq— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) July 3, 2025
AAP की यह घोषणा दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 में मिली हार के बाद आई है, जहां पार्टी को भारतीय जनता पार्टी (BJP) के हाथों 48-22 सीटों से हार का सामना करना पड़ा। दिल्ली में हार के बाद AAP अब पंजाब, जहां वह सत्ता में है, और अन्य राज्यों जैसे बिहार में अपनी स्थिति मजबूत करने पर ध्यान दे रही है।
पार्टी ने बिहार में पहले ही अपनी तैयारियां शुरू कर दी हैं। 17 जून को पटना में AAP ने एक विशाल धरना-प्रदर्शन का आयोजन किया था, जिसमें बिहार में पार्टी की सक्रियता को प्रदर्शित किया गया।
बिहार में AAP की रणनीति !
AAP के नेता संजय सिंह ने कहा कि “पार्टी बिहार में मजबूती से सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। पार्टी का फोकस बिहार के उन मुद्दों पर होगा जो जनता से सीधे जुड़े हैं, जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली, और पानी की आपूर्ति, जो AAP की दिल्ली और पंजाब में सफल नीतियों का हिस्सा रहे हैं। AAP ने बीजेपी और कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि दोनों पार्टियां क्षेत्रीय दलों को कमजोर करने की कोशिश करती हैं, और AAP बिहार में एक विकल्प के रूप में उभरेगी। बिहार विधानसभा चुनाव अक्टूबर-नवंबर 2025 में होने की संभावना है।
बिहार में मुख्य मुकाबला राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) और महागठबंधन (RJD, कांग्रेस, और अन्य) के बीच होने की उम्मीद है। NDA में जनता दल (यूनाइटेड) (JD(U)) और BJP शामिल हैं, जबकि महागठबंधन में राष्ट्रीय जनता दल (RJD) और कांग्रेस प्रमुख हैं। इसके अलावा, प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी भी सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ रही है, जिससे मुकाबला बहुकोणीय होने की संभावना है।
केजरीवाल की विश्वसनीयता पर सवाल !
AAP के लिए बिहार में चुनौतियां बड़ी हैं, क्योंकि पार्टी का अभी तक राज्य में कोई मजबूत संगठनात्मक आधार नहीं है। दिल्ली और पंजाब के बाहर AAP का प्रदर्शन अब तक सीमित रहा है। हालांकि, AAP की वेलफेयर-केंद्रित नीतियां, जैसे मुफ्त बिजली, पानी, और बेहतर शिक्षा, बिहार के मतदाताओं को आकर्षित कर सकती हैं, खासकर शहरी और युवा वोटरों को। दिल्ली में हार के बाद केजरीवाल की विश्वसनीयता पर सवाल उठे हैं, खासकर शीशमहल और शराब नीति विवादों के कारण। बिहार में इन मुद्दों का असर उनकी छवि पर पड़ सकता है।
बिहार की राजनीति में एक नया मोड़
कुछ विपक्षी नेताओं, जैसे पंजाब कांग्रेस के नेता प्रताप सिंह बाजवा ने AAP पर आरोप लगाया कि केजरीवाल बिहार चुनाव के जरिए अपनी राजनीतिक स्थिति को मजबूत करने और संभवत राज्यसभा में प्रवेश करने की कोशिश कर रहे हैं। हालांकि, AAP ने इन आरोपों को खारिज कर दिया है। AAP के प्रवक्ता प्रियंका कक्कड़ ने कहा कि “ऐसी अटकलों का कोई आधार नहीं है, और पार्टी का ध्यान बिहार में जनता के मुद्दों पर केंद्रित है।
AAP का बिहार में अकेले चुनाव लड़ने का फैसला उसकी राष्ट्रीय महत्वाकांक्षा को दर्शाता है। दिल्ली में हार के बाद पार्टी के लिए बिहार एक नया अवसर हो सकता है, लेकिन संगठनात्मक कमजोरी और स्थापित क्षेत्रीय दलों की मजबूत उपस्थिति इसे एक कठिन चुनौती बनाती है। केजरीवाल और उनकी पार्टी की रणनीति और प्रदर्शन पर सभी की नजर रहेगी, क्योंकि यह बिहार की राजनीति में एक नया मोड़ ला सकता है।