जयपुर। सरकार के आदेश हैं कि आठ बजे के बाद शराब की दुकानें किसी भी हालत में नहीं खुलेंगी। लेकिन ये आदेश सिर्फ आदेश ही हैं… ठेकेदार इनको मानते नहीं हैं। दरअसल इन आदेशों की पालना नहीं करने पर धडाधड नोट छपते हैं तो फिर ये आदेश कोई क्यों मानेगा। दरअसल आठ बजते ही शराब की दुकानें तो बंद हो जाती हैं लेकिन फिर खुलता है जादू का झरोखा। वहां से पर्ची अंदर जाती है… फिर वापस पर्ची बाहर आती है। पर्ची में रुपए लिखे होते हैं, ये रुपए अंदर भेजो और मनचाही शराब डेढ से दुगनी कीमत में हाथ में लो। ये हाल तो जयपुर में हैं जो कि राजधानी है। प्रदेश के अन्य जिलों में क्या हाल होंगे इसका अंदाजा आप खुद लगा सकते हैं। आबकारी और पुलिस का दावा है कि शराब की कोई दुकान खुली नहीं रहती और रहती भी है तो उसके खिलाफ एक्शन होता हैं।
जयपुर के सात इलाकों में की पडताल, आधी से ज्यादा शराब की दुकानों में आठ बजे बाद भी लाइटें जलती मिली
दरअसल शराब की देर तक बिक्री के बारे में शिकायतें मिलने के बाद शहर के बड़े क्षेत्रों में पडताल की गई तो वहां पर आधी से ज्यादा दुकानों में रात ग्यारह बारह बजे तक भी शराब मिलती दिखी। हांलाकि शटर लगे हुए थे, लेकिन नीचे से खुले जादुई झरोखों से लेनदेन हो रहा था। ऐसा नहीं है इस बारे में लोकल पुलिस को पता नहीं, पुलिस का पता रहता है लेकिन पुलिस आती ही नहीं है। जयपुर के मानसरोवर, संजय सर्किल, शास्त्री नगर, विद्याधर नगर, मुरलीपुरा , आगरा रोड पर कई जगहों पर शराब देर रात तक बिकती हुई दिखी।
शहर में चार सौ दुकानों को मंजूरी, सवेरे दस से रात आठ बजे तक है समय, ये हैं नियम
जयपुर के अंदर आबकारी विभाग द्वारा कुल 404 दुकानें स्वीकृत हैं। इन शराब दुकानों पर कम्पोजिट व्यवस्था के तहत देशी और अंग्रेजी शराब तथा बीयर की बिक्री की जाती हैं। आबकारी विभाग के नियमों के मुताबिक यह शराब दुकान सुबह 10 बजे से रात्रि 8 बजे तक ही खोली जा सकती हैं। इन दुकानों पर बाकायदा लाइसेंसी का नाम, उपलब्ध शराब की दर, पोस मशीन, सीसीटीवी कैमरा और संबंधित जिला आबकारी अधिकारी का नाम और उसका मोबाइल नंबर अंकित होना चाहिए। यही नहीं दुकान पर काम करने वाले सभी सेल्समैन का आबकारी विभाग से स्वीकृति नौकरनामा भी होना चाहिए। दुकान पर किसी तरह का लुभावना विज्ञापन नहीं होना चाहिए। दुकान का आकार और उस पर लगे होर्डिंग का साइज भी आबकारी विभाग द्वारा स्वीकृत होना चाहिए। यह शराब दुकान किसी भी धार्मिक स्थल, स्कूल कॉलेज, अस्पताल, अनुसूचित जाति जनजाति बस्ती और किसी मजदूर बस्ती के 200 मीटर के दायरे में नहीं होनी चाहिए।