रामभक्त और भगवान बजरंग बली को कई नामों से जाना जाता है। भगवान हनुमान को हर समस्या का संकटमोचक भी माना जाता है। हनुमान जी के भक्तों को पर उनका आशीर्वाद हमेशा बना रहता है। हनुमान जी कलयुग में जागृत देव हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार हनुमान जी को प्रसन्न करना काफी आसान होता है। हनुमान जी की कृपा से सभी तरह की मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। हर साल चैत्र शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को हनुमान जी का जन्मोत्सव मनाया जाता है। इसी पावन दिन माता अंजनी की कोख से हनुमान जी ने जन्म लिया था। इस दिन को बड़े ही धूम-धाम से मनाया जाता है।
हनुमान जन्मोत्सव पर शनि मकर राशि इस साल हनुमान जन्मोत्सव पर शनि मकर राशि में रहेगा, ऐसा योग 31 साल बाद बन रहा है। इस बार शनिवार, मकर राशि में शनि और हनुमान जन्मोत्सव का विशेष योग बना है। ऐसा योग 2022 से पहले 1991 में बना था। उस साल 30 अप्रैल को हनुमान जन्मोत्सव और शनिवार था। उस दिन शनि भी मकर राशि में था। चैत्र माह की पूर्णिमा तिथि 16 अप्रैल को हनुमान भक्त हनुमान जी का जन्म उत्सव मनाएंगे। पूर्णिमा तिथि सुबह 02:25 से शुरू होगी, जो रात्रि 12:24 मिनट पर समाप्त होगी। इसी दिन रवि योग, हस्त व चित्रा नक्षत्र भी रहेगा। रवि योग सुबह 05:55 से शुरू होगा, जो रात्रि 08:40 तक रहेगा उसके बाद चित्रा नक्षत्र शुरू होगा। हस्त नक्षत्र सुबह 08:40 बजे तक ही रहेगा।
बचपन में सूर्य को फल समझकर खा जाने वाले महाबली हनुमान का अवतार शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को हुआ था यानी रामनवमी के ठीक छह दिन बाद। बड़े-बड़े पर्वत उठाने वाले, समुद्र लांघ जाने वाले, स्वयं ईश्वर का कार्य संवारने वाले संकटमोचन का अवतरण दिवस नजदीक है। ये पर्व विश्वभर में हनुमत भक्तों द्वारा धूमधाम से मनाया जाता है। मान्यता है कि हनुमान जयंती के दिन विधि विधान से बजरंगबली की पूजा अर्चना करने से सभी विघ्न बाधाओं का अंत होता है और मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। हनुमानजी के पथ पर चलने वालों को कोई भी संकट नहीं मिलता है। हनुमान जयंती पर भगवान हनुमान की पूजा-आराधना का विशेष महत्व होता है।