नई दिल्ली: भारत में कर्मचारी लंबे समय से लेबर कोड के नियमों को लागू करने की मांग कर रहे हैं। इससे कर्मचारियों को हफ्ते में 2 दिन की जगह 3 दिन छुट्टी मिलेगी। हालांकि, काम के घंटे बढ़ जाएंगे लेकिन तीन दिन छुट्टी का आराम मिलेगा। हालांकि, अगले साल होने वाले आम चुनावों के कारण लेबर कोड के नियम लागू होने की संभावना कम है। आम चुनावों से पहले इसके लागू होने की उम्मीद कम है। लेबर कोड के नियम कर्मचारियों के हितों को बेहतर बनाने के लिए बनाए गए हैं।
लेबर कोड के नियम लागू होने से आएंगे ये बदलाव
लेबर कोड के नियमों के तहत कर्मचारियों के काम के घंटे 8 से 9 घंटे से बढ़कर 12 घंटे हो सकते है। हालांकि, नए नियमों के तहत कर्मचारियों को हफ्ते में 3 दिन छुट्टी मिलेगी। मोदी सरकार की योजना जल्द से जल्द लेबर कोड के नियमों को लागू करने की है, लेकिन अगले साल चुनावों से पहले इसके लागू होने की उम्मीद काफी कम हैं। लेबर कोड के नियमों को लेकर सभी राज्यों में सहमति नहीं बन पाई है।
लेबर कोड में शामिल हैं ये नियम
लेबर कोड के नियमों के तहत कंपनियों के पास यह अधिकार होगा कि वह काम के घंटों को बढ़ाकर एक दिन में 12 घंटे कर सकती है लेकिन फिर एक दिन छुट्टी अधिक मिलेगी। यानी 3 दिन कर्मचारियों को छुट्टी मिल सकेगी। कर्मचारियों को चार दिनों के लिए प्रति दिन 10 से 12 घंटे काम करना होगा। नए कानूनों का मतलब है कि ओवरटाइम के अधिकतम घंटे 50 (कारखाना अधिनियम के तहत) से बढ़कर 125 घंटे हो जाएंगे।
घट जाएगी हाथ में आने वाली सैलरी लेकिन बढ़ जाएगा पीएफ
लेबर कोड के नियमों के अनुसार बेसिक सैलरी कुल वेतन का 50% या अधिक होनी चाहिए। इससे ज्यादातर कर्मचारियों की वेतन का स्ट्रक्चर बदल जाएगा, बेसिक सैलरी बढ़ने से पीएफ और ग्रेच्युटी का पैसा ज्यादा पहले से ज्यादा कटेगा और हाथ आने वाला पैसा कम हो जाएगा। ग्रेच्युटी और पीएफ में योगदान बढ़ने से रिटायरमेंट के बाद मिलने वाला पैसा बढ़ जाएगा। पीएफ और ग्रेच्युटी बढ़ने से कंपनियों के लिए लागत में भी बढ़ोतरी होगी क्योंकि उन्हें भी कर्मचारियों के लिए पीएफ में ज्यादा योगदान देना होगा। इसका सीधा असर उनकी बैलेंस शीट पर भी होगा।
नहीं बन पाई है सभी राज्यों में सहमति
चारों लेबर कोड नियमों के लागू होने से देश में लेबर को बेनेफिट होगा। हालांकि, इन नियमों को लेकर सभी राज्यों में सहमति नहीं बन पाई है। भारत में 29 सेंट्रल लेबर कानून को 4 कोड में बांटा गया है। कोड के नियमों में वेतन, सामाजिक सुरक्षा, औद्योगिक संबंध (Industrial Relations) और व्यवसाय सुरक्षा (Occupation Safety) और स्वास्थ्य और काम करने की स्थिति आदि जैसे 4 लेबर कोड शामिल है। संसद द्वारा इन चार संहिताओं को पारित किया जा चुका है, लेकिन केंद्र के अलावा राज्य सरकारों को भी इन संहिताओं, नियमों को अधिसूचित करना जरूरी है। उसके बाद ही ये नियम राज्यों में लागू हो पाएंगे।