नई दिल्ली l यूक्रेन संकट को लेकर भारत ने पश्चिमी देशों की बार-बार अपील के बावजूद रूसी हमले की निंदा नहीं की है. भारत के इस रुख के पीछे एक बड़ी वजह सैन्य हथियारों को लेकर रूस पर निर्भरता भी है. अमेरिका भी भारत की इस मजबूरी को समझता है और अब उसने भारत को एक बड़ा ऑफर दिया है.
अमेरिका ने रूसी हथियारों की आलोचना करते हुए कहा है कि वो भारत को रक्षा क्षेत्र में सहयोग करने के लिए उत्सुक है. अमेरिका ने कहा है कि भारत को ये सोचने की जरूरत है कि क्या हथियारों के लिए रूस पर उसकी निर्भरता ठीक है क्योंकि रूस की लगभग 60 प्रतिशत मिसाइल काम करने की स्थिति में नहीं हैं. अमेरिका ने भारत से कहा है कि वो देखे कि रूस के हथियार युद्ध के मैदान में कितना खराब प्रदर्शन कर रहे हैं.
‘अमेरिका देगा भारत को हथियार’
राजनीतिक मामलों पर अमेरिका की विदेश सचिव विक्टोरिया नुलैंड ने बुधवार को द इंडियन एक्सप्रेस को दिए एक इंटरव्यू में ये बातें कही. उन्होंने कहा कि रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर उन्होंने भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर और विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला से बात की है और अमेरिका भारत को रक्षा आपूर्ति के लिए रूस पर निर्भरता खत्म करने में मदद करने के लिए तैयार है.
‘रूस-चीन की करीबी भारत-अमेरिका के लिए ठीक नहीं’
रूस-चीन संबंधों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, ‘यूक्रेन पर हमले के बीच रूस ने चीन से मदद की मांग की है. वो चीन से पैसों और हथियारों की मदद की मांग कर रहा है. इससे रूस और चीन के संबंध मजबूत हो रहे हैं जो कि न तो हमारे लिए सही है और न ही भारत के लिए. रूस केमिकल और जैविक हथियारों के इस्तेमाल को लेकर गैर-जिम्मेदाराना बयान दे रहा है. ऐसे वक्त में जब अतिवादी ताकतें एक हो रही हैं, भारत और अमेरिका जैसे लोकतांत्रिक देशों के लिए जरूरी है कि वो साथ खड़े हों.’
विक्टोरिया नुलैंड ने कहा कि अमेरिका समझता है कि भारत-रूस के बीच ऐतिहासिक संबंध रहे हैं लेकिन ये बात महत्वपूर्ण है कि यूक्रेन-रूस के मुद्दे पर हम एक साथ खड़े हों. उन्होंने कहा कि रक्षा आपूर्ति के लिए रूस पर भारत की निर्भरता को भी हम समझते हैं.
उन्होंने कहा, ‘हमने भारत के विदेश मंत्री से इस संबंध में बात की कि भारत सोवियत संघ और रूस से सुरक्षा सहायता उस समय से ले रहा जब अमेरिका और भारत के रिश्ते ज्यादा मजबूत नहीं थे. अब, निश्चित रूप से समय बदल गया है और हम भारत के साथ रक्षा क्षेत्र में अधिक से अधिक सहयोग करने के लिए बहुत उत्सुक हैं. अमेरिका, हमारे यूरोपीय सहयोगी और भागीदार भी ऐसा करने के लिए उत्सुक हैं.’
रूसी हथियारों पर उठाए सवाल
अमेरिकी विदेश सचिव ने आगे कहा, ‘हमने इस तथ्य के बारे में भी बात की कि क्या रूस वास्तव में भारत के लिए एक विश्वसनीय रक्षा आपूर्तिकर्ता है? क्या आप ऐसे देश से रक्षा हथियार खरीदना चाहते हैं? देखें कि युद्ध के मैदान में रूसी हथियार कितना खराब प्रदर्शन कर रहे हैं. उनकी सतह से हवा में मार करने वाली लगभग 60 प्रतिशत मिसाइलें भी चालू नहीं हैं. रूस को संघर्ष में इतनी जल्दी हथियारों का भारी नुकसान हुआ है.’
उन्होंने कहा, ‘तो फिर सवाल उठता है कि रूस के पास किसी को देने के लिए हथियार होंगे? अगर हम रूस से लड़ने के लिए यूक्रेन को हथियारों की सहायता दे सकते हैं तो भारत को क्यों नहीं दे सकते. क्या आप पुतिन जैसे इंसान पर निर्भर नहीं रहना चाहते होंगे? ऐसे में विकल्प के तौर पर हम आपका साथी बनने के लिए उत्सुक हैं.’
जब उनसे पूछा गया कि इस प्रक्रिया में तो बहुत समय लग सकता है तो उन्होंने जवाब दिया, ‘हम एक प्रक्रिया को छोड़कर आगे नहीं बढ़ रहे हैं. लेकिन हम कई चरणों में इस पर बहुत अच्छे तरीके से बातचीत कर रहे हैं और हम देखेंगे कि आगे इसका क्या निष्कर्ष निकलता है. लेकिन ये बात हमारे दिमाग में है कि अगर हम भारत के साथ मिलकर और अधिक आगे बढ़ना चाहते हैं तो एक प्रक्रिया के तहत हमें आगे बढ़ना होगा.’