नई दिल्ली। एलन मस्क की सैटेलाइट इटंरनेट कंपनी स्टारलिंक की आखिरकार भारत में शुरुआत हो गई है। Starlink ने भारत में अपनी वेबसाइट लाइव कर दी है। इसके अलावा, सैटेलाइट इंटरनेट की कीमत का भी पता चल गया है। भारत में सब्सक्रिप्शन प्लान के दाम का खुलासा भी कर दिया गया है। सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर का लक्ष्य देश के दूरदराज के इलाकों में अपनी सर्विसेज ऑफर करने का है। रेजेडेंशियल यानी आम ग्राहकों के लिए प्लान के मुख्य फीचर्स की भी जानकारी दी गई है।
लॉन्च के बाद अब कंपनी देश में अपनी उपलब्धता को बढ़ाने की योजना पर काम कर रही है। बता दें कि हाल ही में भारत में अपने बेंगलुरु ऑफिस के लिए स्टारलिंक ने 4 जॉब पोस्ट LinkedIn पर लिस्ट की थीं। इसके बाद एक रिपोर्ट में पता चला था कि कंपनी भारत में अलग-अलग शहरों में ग्राउंड स्टेशन बनाएगी।
स्टारलिंक मंथली रेजिडेंशियल सब्सक्रिप्शन प्लान की कीमत
सैटकॉम कंपनी ने Starlink India की वेबसाइट को अपडेट कर दिया है। और रेजिडेंशियल ग्राहकों के लिए सब्सक्रिप्शन की कीमत भी लिस्ट कर दी है। SpaceX अपनी स्टारलिंक सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस के लिए 8600 रुपये प्रतिमाह चार्ज करेगी। इसमें 34,000 रुपये की कीमत के हार्डवेयर की कॉस्ट भी शामिल है। फीचर्स की बात करें तो एलन मस्क के नेतृत्व वाली टेक कंपनी एक महीने के फ्री ट्रायल के साथ अनलिमिटेड डेटा भी ऑफर करेगी। कंपनी का कहना है कि सर्विस से संतुष्ट ना होने पर ग्राहक को पैसा वापस कर दिया जाएगा।
स्टारलिंक की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के मुताबिक, सर्विसेज ‘हर मौसम में काम’ करेंगी। कंपनी ने ग्राहकों से 99.9 प्रतिशत अपटाइम यानी बिना रुकावट इंटरनेट कनेक्शन मिलने का वादा किया है। यूजर्स सिर्फ प्लग इन करना होगा और वे इंटरनेट इस्तेमाल कर पाएंगे।
गौर करने वाली बात है कि स्टारलिंक रेजिडेंशियल सब्सक्रिप्शन प्लान की कीमत का खुलासा भारत में भले ही कर दिया गया है। लेकिन अभी तक बिजनेस सब्सक्रिप्शन की जानकारी कंपनी ने नहीं दी है। आने वाले दिनों में कंपनी इस प्लान से जुड़ी जानकारी शेयर कर सकती है।
भारत में ग्राउंड स्टेशन बनाने की तैयारी
हाल ही में आईं रिपोर्ट्स में पता चला था कि SpaceX की सब्सिडियरी कपनी देश में नोएडा, मुंबई, कोलकाता, लखनऊ, हैदराबाद और चंडीगढ़ समेत कई लोकेशन पर अपने गेटवे अर्थ स्टेशन बनाने की प्लानिंग कर रही है। यह स्टेशन स्पेसएक्स के सैटेलाइट्स और पृथ्वी पर मौजूद रिसीवर्स के बीच कनेक्शन स्थापित और बनाए रखने के लिए रिले पॉइंट के तौर पर बनाए जाएंगे।
कंपनी को इसी साल जुलाई में दूरसंचार विभाग (DoT) से अपने सैटेलाइट का इस्तेमाल करके भारत में कमर्शियल सर्विसेज शुरू करने के लिए पांच साल का लाइसेंस मिला था।
Starlink कैसे काम करता है?
ट्रेडिशनल सैटेलाइट प्रोवाइडर्स को आमतौर पर स्पीड और लैटेंसी की समस्या झेलनी पड़ती है। लेकिन Starlink हजारों छोटे सैटेलाइट के एक ग्रुप का इस्तेमाल करता है जो लो लैटेंसी के साथ हाई-स्पीड इंटरनेट डिलीवर करने के लिए एक-दूसरे के साथ कम्युनिकेट (बातचीत) कर सकते हैं।







