भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर घर-घर भगवान गणपति विराजेंगे. 31 अगस्त से शुरू होकर 10 दिनों तक चलने वाला गणेश चतुर्थी पर्व 9 सितंबर तक चलेगा. पहले दिन यानी भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर विधि-विधान से भगवान गणेश की स्थापना की जाएगी. जबकि अनंत चतुर्दशी के दिन प्रतिमा का विसर्जन करते हुए गणेशोत्सव पर्व संपन्न होता है. ज्योतिष के अनुसार गणेश पुराण में बताया गया है कि भगवान गणेश का जन्म भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी के दिन हुआ था. उस दिन शुभ दिवस बुधवार था. इस साल भी कुछ ऐसा ही संयोग बन रहा है. इस साल भी भाद्र शुक्ल चतुर्थी तिथि बुधवार के दिन ही पड़ रही है.
गणेश चतुर्थी का महत्व: ज्योतिषाचार्य डॉ. नवीन चंद्र जोशी के मुताबिक घर में सुख-समृद्धि, शांति और बाधाओं को दूर करने के लिए घर पर गणपति की स्थापना और विधि-विधान के साथ भगवान गणेश की पूजा लाभकारी होती है. 30 अगस्त दिन मंगलवार को दोपहर के 3 बजकर 34 मिनट पर चतुर्थी तिथि शुरू हो रही है जो 31 अगस्त को दोपहर 3 बजकर 23 मिनट पर खत्म हो जाएगी. इस बार गणेश चतुर्थी पर रवि योग बन रहा है जो पूजा सदैव लाभकारी होती है. ज्योतिषाचार्य डॉ नवीन चंद्र जोशी के मुताबिक गणेश चतुर्थी पर व्रत का विशेष महत्व है. इस दिन घर, प्रतिष्ठान, मंदिर, पंडाल में गणेश प्रतिमा स्थापना कर विधि-विधान से पूजा करने से भगवान गणेश सभी मनोकामना पूरी करने के साथ सभी विघ्नों को हरते हैं.
किन बातों का रखें ध्यान: भगवान गणेश की स्थापना के दौरान इस बात को ध्यान रखें कि मूर्ति मिट्टी के अलावा सोने, चांदी की होनी चाहिए. भगवान गणेश की प्रतिमा जब भी स्थापित करें तो इस बात का ध्यान रखें कि उनकी मूर्ति खंडित अवस्था में नहीं होनी चाहिए. गणेशजी की मूर्ति में उनके हाथों में अंकुश, पाश, लड्डू, सूंड धुमावदार और हाथ वरदान देने की मुद्रा में होने चाहिए. इसके अलावा उनके शरीर पर जनेऊ और उनका वाहन चूहा जरूर होना चाहिए.
पूजा में इन चीजों को करें शामिल: गणेश चतुर्थी के दिन भगवान गणेश को कुछ खास चीजें अर्पित करने से विशेष लाभ मिलता है. इस दिन हल्दी, नारियल, मोदक, सुपारी, गेंदे के फूल, केला आदि चढ़ाने से गणपति प्रसन्न होते हैं. घर में सुख-समृद्धि बढ़ती है और जीवन में चल रही मुश्किलें खत्म होती हैं.