नई दिल्ली। दिवाली और गोवर्धन पूजा के बाद कार्तिक शुक्ल द्वितीया को भाई दूज का पावन पर्व मनाया जाता है. यह दिन यमराज से जुड़े होने के कारण यम द्वितीया भी कहलाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन बहनें अपने भाई के माथे पर तिलक लगाकर उसकी दीर्घायु और सुख-समृद्धि की कामना करती हैं. भाई दूज के अवसर पर भाई अपनी बहन के घर जाकर तिलक करवाता है और उसके हाथों से बना भोजन ग्रहण करता है. ऐसा करने से अकाल मृत्यु का भय दूर होता है और जीवन में सुख-शांति बनी रहती है. भाई दूज का गुरुवार, त्योहार 23 अक्टूबर यानी कल मनाया जाएगा.
भाई दूज की तिथि
हिंदू पंचांग के मुताबिक, कार्तिक शुक्ल द्वितीया तिथि 22 अक्टूबर रात 8 बजकर 16 मिनट से प्रारंभ होगी और 23 अक्टूबर रात 10 बजकर 46 मिनट पर समाप्त होगी. ऐसे में उदिया तिथि के अनुसार, 23 अक्टूबर को भाई दूज का पर्व मनाना शुभ माना गया है.
भाई को तिलक करने के 4 शुभ मुहूर्त
- अभिजीत मुहूर्त: सुबह 11:43 से दोपहर 12:28 तक
- श्रेष्ठ मुहूर्त: दोपहर 1:13 बजे से दोपहर 3:28 बजे
- विजय मुहूर्त: दोपहर 1:58 बजे से दोपहर 2:43 बजे तक
- गोधूली मुहूर्त: शाम 05.43 बजे से शाम 06.09 बजे तक
भाई दूज की पूजन विधि
भाई दूज के दिन सुबह जल्दी उठकर भाई पहले चंद्रमा का दर्शन करें और फिर यमुना के जल या शुद्ध जल से स्नान करें. साफ वस्त्र धारण करने के बाद भाई अपनी बहन के घर जाए और उससे भाग्योदय का तिलक कराए.
तिलक के लिए बहन एक थाली तैयार करें जिसमें दीपक, अक्षत, रोली, फूल, सुपारी, नारियल, कलावा, सिक्का और मिठाई रखी जाती है. तिलक करने से पहले गणेश जी की पूजा की जाती है. फिर चौकी उत्तर-पूर्व दिशा में रखकर भाई को उस पर बैठाया जाता है. बहन पहले कलावा बांधती है, फिर माथे पर रोली और अक्षत से तिलक करती है, फूलमाला पहनाती है और मिठाई खिलाती है. इसके बाद भाई को नारियल देकर उसके मंगल, सौभाग्य और दीर्घायु की प्रार्थना की जाती है. भाई भी अपनी बहन को स्नेहपूर्वक उपहार देकर आशीर्वाद देता है.
भाई दूज की कथा
पौराणिक कथाओं के अनुसार, इसी दिन यमराज अपनी बहन देवी यमुना के घर मिलने गए थे. यमुना ने उनका आदरपूर्वक स्वागत किया, उनके माथे पर तिलक लगाया और स्वादिष्ट भोजन परोसा. अपनी बहन के प्रेम और आदर से प्रसन्न होकर यमराज ने आशीर्वाद दिया कि जो भी भाई इस दिन अपनी बहन के घर जाकर तिलक करवाएगा, उसे अकाल मृत्यु का भय नहीं रहेगा और उसे दीर्घायु प्राप्त होगी. तभी से इस दिन को भाई दूज के रूप में मनाने की परंपरा चली आ रही है.