रायसेन 31 मई (आरएनएस)। कलेक्ट्रेट के एनआईसी केंद्र में आयोजित वीडियो कान्फ्रेंसिंग में कृषि उत्पादन आयुक्त शैलेंद्र सिंह ने रीवा तथा शहडोल संभाग के कृषि आदान की समीक्षा की। उन्होंने आगामी फसल के लिए खाद, बीज एवं कीटनाश कों की उपलब्धता के संबंध में अधिकारियों को निर्देश दिए। कृषि उत्पादन आयुक्त ने कहा कि किसानों को फसल विविधीकरण के लिए प्रोत्साहित करें। रीवा तथा शहडोल संभाग में किसान मुख्य रूप से धान और गेहूं की फसल पर केंद्रित हैं। किसानों को बाजार की मांग के अनुसार अनाजों की खेती के लिए प्रोत्साहित करें। सिंगरौली,अनूपपुर तथा रीवा जिले में कृषि विविधीकरण के लिए अच्छे प्रयास हुए हैं। अनूपपुर और सिंगरौली में कोदौ तथा कुटकी की खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है।
इसके उत्पादक किसानों का पोर्टल में पंजीयन कराएं। पंजीकृत किसानों को कोदौ तथा कुटकी की खेती के लिए मिलने वाला अनुदान उनके बैंक खाते में दिया जाएगा। रीवा संभाग में फल तथा सब्जियों का अच्छा उत्पादन हो रहा है। संभाग फल उत्पादन में प्रदेश में चौथे स्थान पर है। यहां सब्जियों तथा फलों की खेती क्लस्टर में की जा रही है। दोनों संभागों में मसालों, औषधीय पौधों की खेती, आम तथा अन्य फल-सब्जियों के उत्पादन को बढ़ावा दें। कृषि के क्षेत्र में विकास होने से रोजगार के नए अवसर प्राप्त होंगे। कई शिक्षित युवा भी सफलतापूर्वक खेती, पशुपालन एवं मछलीपालन कर रहे हैं।
कृषि उत्पादन आयुक्त ने सहकारी बैंकों की समीक्षा करते हुए कहा कि रीवा संभाग के सभी जिलों में सहकारी बैंकों की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है। कलेक्टर बैंकों के कार्यों की नियमित समीक्षा करें। लंबित ऋणों की वसूली के लिए आरआरसी जारी कराएं। सहकारी बैंक द्वारा जिन किसानों को ऋण दिया गया है उनके ऋण की जानकारी भू अभिलेख पोर्टलपर अनिवार्य रूप से दर्ज कराएं। पोर्टल पर 15 जून तक शत-प्रतिशत किसानों की जानकारी दर्ज न करने पर संबंधितों का जून माह कावेतन रोका जाएगा। सभी सहकारी समितियों की तय समय सीमा में ऑडिट कराकर रिपोर्ट प्रस्तुत करें। समितियों के ऑडिट में देरी सहन नहीं की जाएगी। ऋणों की वसूली अच्छे से होगी तो आगामी फसल के लिए सहकारी बैंक किसानों को पर्याप्त मात्रा में ऋण दे सकेंगे।
बैठक में कृषि उत्पादन आयुक्त ने कहा कि दोनों संभागों में आगामी फसल केलिए पर्याप्त खाद उपलब्ध है। गत वर्ष 30 जून तक समितियों तथा अन्य क्षेत्रों में खाद की जितनी बिक्री हुई थी उससे अधिक खाद अब तक जिलों में भंडारित की जा चुकी है। किसी भी स्थिति में खाद की आपूर्ति में कमी नहीं आएगी। किसानों को डीएपी खाद के स्थान पर एनपीके तथा एसएसपी के उपयोग के लिए प्रोत्साहित करें। इसके लिए सभी जिलों में लगातार अभियान चलाएं। कृषि उत्पादन आयुक्तने कहा कि अमृत सरोवर में मछलीपालन अनिवार्य रूप से कराएं। इसके लिए अभी से पूरी कार्य योजना बना लें। प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत तालाबों के निर्माण तथा मछली पालन के अन्य संसाधनों का विकास से कराएं। मछली पालन कम लागत में अच्छा लाभ देने वाला व्यवसाय है। मछली पालक तथा पशुपालक किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड प्राथमिकता से जारी कराएं।
इनकी प्रगति संतोषजनक नहीं है। कृषि उत्पादन आयुक्त ने कहा कि पशुपालन विभाग की विभागीय योजनाओं में सभी जिलों में अच्छा कार्य हुआ है। रीवा संभाग में पशुओं की संख्या बहुत अधिक है। दुधारू पशुओं की नस्ल सुधार का विशेष अभियान चलाएं। रीवा जिले में 20 हजार लीटर प्रतिदिन दूध ठंडा करने वाला संयंत्र स्थापित किया जा चुका है। जिले में अभी लगभग 3 हजार लीटर प्रतिदिन दूध का संकलन हो रहा है। नए मिल्क रूट बनाकर, नई समितियां गठित करके तथा लोगों को पशुपालन से जोडक़र प्रतिदिन दूध का संकलन कम से कम 5 हजार लीटर तक बढ़ाएं। पशुपालन से भी रोजगार को बढ़ावा मिलेगा। राष्ट्रीय पशुधन विकास निगम से भी बकरी पालन, मुर्गी पालन डेयरी की स्थापना कराएं।
कृषि उत्पादन आयुक्त ने कहा कि रीवा तथा सतना जिले में नरवाई जलाने की हजारों घटनाएं हुई हैं। सेटेलाइट से जानकारी प्राप्त कर 24 घंटे के अंदर संबंधित कलेक्टरों को गांव के नाम के साथ ईमेल भेजा गया है। कलेक्टर नरवाई जलाने वाले सभी किसानों के विरूद्ध प्रकरण दर्ज कर दण्डात्मक कार्यवाही करें। कृषि उत्पादन आयुक्त ने जल संरचनाओं की जानकारी पोर्टल पर दर्ज कराने के भी निर्देश दिए। बैठक में रीवा संभाग के कमिश्नर अनिल सुचारी ने कहा कि संभाग के सभी जिलों में फसल विविधीकरण को बढ़ावा दिया जाएगा।
रीवा जिले में फल एवं सब्जी उत्पादन तथा बांस की खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है। सहकारी बैंक के कार्यों की नियमित समीक्षा की जाएगी। बैठक में कलेक्टर मनोज पुष्प ने रीवा जिले में खाद्य प्रसंस्करण, मछलीपालन,बांस की खेती तथा डेयरी के विकास के लिए किए जा रहे प्रयासों की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि जिले के कई उच्च शिक्षित युवा आधुनिक तरीके से कृषि, पशुपालन तथा मधुमक्खीपालन जैसे व्यवसाय कर रहे हैं। फूलों और स्ट्राबेरी की खेती भी की जा रही है। बैठक में मण्डी बोर्ड, दुग्ध संघ, कृषि अभियांत्रिकी के कार्यों की समीक्षा की गई। बैठक में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के भी निर्देश दिए गए। बैठक में संयुक्त संचालक कृषि केएस नेताम, संयुक्त संचालक पशुपालन डॉ राजेश मिश्रा, उप सांचालक कृषि यूपी बागरी, सहायक संचालक प्रीति द्विवेदी, कृषि वैज्ञानिक डॉ आरके जोशी तथा संबंधित विभागों के अधिकारी उपस्थित रहे।