नई दिल्ली l भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने रूस-यूक्रेन युद्ध से जुड़े कई सवालों का गुरुवार को राज्यसभा में जवाब दिया है. उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन की उस टिप्पणी पर भी अपनी प्रतिक्रिया दी है जिसमें बाइडन ने कहा था कि यूक्रेन संकट पर भारत की स्थिति कुछ हद तक डांवाडोल है. अमेरिका भारत पर लगातार यूक्रेन पर रूस के हमले की निंदा करने का दबाव बना रहा है. इसके बावजूद, भारत वैश्विक मंचों पर रूस के खिलाफ बोलने से बचता रहा है.
जो बाइडेन की टिप्पणी पर बोले जयशंकर
जो बाइडन ने यूक्रेन संकट पर भारत की स्थिति को कुछ हद तक अस्थिर बताया था. उनकी इस टिप्पणी को लेकर राज्यसभा में उनसे लिखित सवाल किया गया कि क्या इसका असर अमेरिका-भारत व्यापार पर पड़ेगा?
जवाब में विदेश मंत्री ने कहा, ‘यूक्रेन की स्थिति और व्यापार के मुद्दे को एक साथ जोड़ने का कोई सवाल ही नहीं पैदा होता. जहां तक यूक्रेन पर हमारे रुख की बात है, ये बहुत स्पष्ट है.’
उन्होंने आगे कहा, ‘हमारा रुख छह सिद्धांतों पर आधारित है: एक कि हम हिंसा और सभी तरह की शत्रुता को तत्काल समाप्त करने का आह्वान करते हैं. हम शांति के समर्थन में हैं. दूसरा, हमारा मानना है कि बातचीत और कूटनीति के रास्ते पर लौटने के अलावा और कोई रास्ता नहीं है. तीसरा, हम मानते हैं कि वैश्विक व्यवस्था अंतरराष्ट्रीय कानून संयुक्त राष्ट्र चार्टर और सभी देशों की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता के सम्मान पर आधारित है. चौथा, हम संघर्ष की स्थिति में मानवीय मदद का आह्वान करते हैं. पांचवां, हम स्वयं मानवीय मदद दे रहे हैं,
हमने अब तक यूक्रेन को 90 टन मानवीय मदद दी है. हम और अधिक मदद, विशेष रूप से दवाएं उपलब्ध कराने पर विचार कर रहे हैं. और छठवां, हम इस मामले में रूस और यूक्रेन दोनों के नेताओं के संपर्क में हैं.’
जयशंकर ने कहा, हमारा पक्ष ये नहीं है कि रूस-यूक्रेन संकट हमारी समस्या नहीं है. हमारा रुख ये है कि हम शांति के हिमायती हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने व्लादिमीर पुतिन से तीन बार और यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की से दो बार बातचीत की. हमने भारतीय छात्रों की सुरक्षित वापसी का मुद्दा उठाया. उस वक्त ये सबसे बड़ा मसला था लेकिन उसके अलावा हम दोनों देशों के बीच तनाव कम करने को लेकर प्रयास कर रहे थे. कई देश इस युद्ध को रोकना चाह रहे हैं और हमने भी अपनी राय बिल्कुल स्पष्ट तरीके से रखी है.
एस. जयशंकर ने रूस और चीन की बढ़ती करीबी पर भी टिप्पणी की है. उनसे सवाल किया गया कि क्या भारत इस परिस्थिति से निपटने को तैयार है? जवाब में उन्होंने कहा कि भारत को रूस-चीन से संबंधित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था में हो रहे सभी परिवर्तनों की जानकारी है.