प्रकाश मेहरा
एग्जीक्यूटिव एडिटर
नई दिल्ली: सिंधु जल समझौता (Indus Waters Treaty) 1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच विश्व बैंक की मध्यस्थता में हुआ था। इस समझौते के तहत छह नदियों (सिंधु, झेलम, चिनाब, रावी, ब्यास, सतलुज) का पानी बांटा गया। भारत को पूर्वी नदियों (रावी, ब्यास, सतलुज) का पूर्ण अधिकार मिला, जबकि पश्चिमी नदियों (सिंधु, झेलम, चिनाब) का पानी मुख्य रूप से पाकिस्तान को आवंटित किया गया। भारत इन पश्चिमी नदियों के पानी का सीमित उपयोग (20%) पीने और सिंचाई जैसे कार्यों के लिए कर सकता है। यह समझौता दोनों देशों के बीच जल बंटवारे का आधार रहा है।
हालिया विवाद का कारण
2025 में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले, जिसमें 26 नागरिक मारे गए, के बाद भारत ने सिंधु जल समझौते को निलंबित करने का फैसला लिया। भारत ने इसे औपचारिक रूप से पत्र लिखकर पाकिस्तान को सूचित किया। इस फैसले को भारत ने पाकिस्तान द्वारा समझौते की शर्तों के उल्लंघन और सीमा पार आतंकवाद को बढ़ावा देने के जवाब में लिया।
अमित शाह का बयान
22 जून को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने एक साक्षात्कार में कहा कि भारत सिंधु जल समझौते को बहाल नहीं करेगा। उन्होंने कहा, “राजस्थान के जरिए जो पानी पाकिस्तान जा रहा है, हम उसे बांध बनाकर रोक देंगे। पाकिस्तान पानी को तरस जाएगा।” शाह ने स्पष्ट किया कि भारत अब इन नदियों के पानी को अपने उपयोग के लिए, विशेष रूप से राजस्थान में, डायवर्ट करेगा।
बिलावल भुट्टो की प्रतिक्रिया
पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (PPP) के अध्यक्ष बिलावल भुट्टो जरदारी ने शाह के बयान पर तीखी प्रतिक्रिया दी। 23 जून 2025 को एक रैली में उन्होंने कहा, “पाकिस्तान तीन नहीं, बल्कि छह नदियों का पानी लेकर रहेगा।” उन्होंने भारत को युद्ध की धमकी देते हुए कहा कि यदि भारत ने पानी रोकने की कोशिश की तो यह संयुक्त राष्ट्र चार्टर का उल्लंघन होगा और पाकिस्तान युद्ध के लिए तैयार है। बिलावल ने इसे पाकिस्तान के अस्तित्व की लड़ाई करार दिया और कहा, “सिंधु हमारी सभ्यता का हिस्सा है, और हम इसकी रक्षा करेंगे।”
बिलावल ने पहले भी अप्रैल 2025 में इसी तरह के भड़काऊ बयान दिए थे, जब भारत ने पहलगाम हमले के बाद समझौते को निलंबित किया था। तब उन्होंने कहा था, “सिंधु में या तो हमारा पानी बहेगा या भारत का खून।”
पाकिस्तान की आधिकारिक प्रतिक्रिया
पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने शाह के बयान की निंदा की और कहा कि “समझौते को एकतरफा निलंबित करने का कोई प्रावधान नहीं है। मंत्रालय ने इसे “युद्ध की कार्रवाई” माना और अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत कानूनी चुनौती देने की बात कही। पाकिस्तान ने विश्व बैंक और संयुक्त राष्ट्र से हस्तक्षेप की मांग की है।
क्या है भारत की रणनीति
भारत ने सिंधु बेसिन की नदियों पर बांधों की क्षमता बढ़ाने की योजना बनाई है ताकि पानी को रोका जा सके। जल शक्ति मंत्रालय ने तीन चरणों में इस योजना को लागू करने का फैसला लिया है। केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सीआर पाटिल ने कहा, “पाकिस्तान को एक बूंद पानी नहीं मिलेगा।”
भारतीय नेताओं ने बिलावल के बयान को “बेवकूफी भरा” और “गीदड़ भभकी” करार दिया। केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा, “ऐसी धमकियों को गंभीरता से लेने की जरूरत नहीं।” असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा, “भारत को अपना बदला लेने से कोई नहीं रोक सकता।”
अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता की जरूरत !
यह विवाद भारत-पाकिस्तान संबंधों में तनाव को और बढ़ा रहा है। पाकिस्तान ने इसे युद्ध की धमकी के रूप में देखा है, जबकि भारत इसे आतंकवाद के खिलाफ जवाबी कार्रवाई मानता है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय, विशेष रूप से विश्व बैंक, इस मामले पर नजर रखे हुए है। सिंधु जल समझौता विवाद दोनों देशों के बीच पहले से तनावपूर्ण संबंधों को और जटिल बना रहा है। अमित शाह का बयान और बिलावल भुट्टो की युद्ध की धमकी ने इस मुद्दे को वैश्विक चर्चा का विषय बना दिया है। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता की जरूरत हो सकती है।