नई दिल्ली। दिल्ली की एकमात्र आरक्षित सीट उत्तर पश्चिमी दिल्ली पर भाजपा और इंडिया गठबंधन के प्रत्याशी के बीच कांटे की टक्कर है। इस सीट से भाजपा के योगेंद्र चंदोलिया का मुकाबला पूर्व सांसद उदित राज से है। आरक्षित सीट होने के नाते यहां की सियासत में जातीय समीकरण को साधने के साथ ही मेट्रो, रेलवे पुल समेत विकास के मुद्दों को भुनाने की दोनों प्रत्याशियों की कोशिश है। अभी तक इस क्षेत्र के बड़े हिस्से तक मेट्रो की पहुंच नहीं होने की वजह से रोजाना लाखों लोगों को आवागमन में दिक्कतों से जूझना पड़ रहा है।
उदित राज इसी सीट से 2009 में भाजपा के सांसद रह चुके हैं
उदित राज इसी सीट से 2009 में भाजपा के सांसद रह चुके हैं। इस बार इंडिया गठबंधन के प्रत्याशी होने के नाते उन्हें कांग्रेस और आप दोनों का समर्थन मिल रहा है। योगेंद्र चंदोलिया करीब दो दशक से सक्रिय राजनीति में हैं और क्षेत्रवासियों से जमीनी जुड़ाव के साथ ही विकास कार्यों को अमलीजामा पहनाने में अहम भूमिका निभाई। पूर्व सांसद उदित राज का दावा है कि अपने कार्यकाल के दौरान हमेशा लोगों की समस्याएं सुनीं और उन्हें आगे बढ़ाया। लोगों की समस्याओं को हमेशा मंत्रालयों तक पहुंचाया ताकि जल्द समाधान हो सके।
क्षेत्र के काफी हिस्से में अभी तक नहीं पहुंच सकी है मेट्रो
दोनों प्रत्याशियों का मेट्रो विस्तार का दावा है कि संसदीय क्षेत्र में कई ऐसे क्षेत्र हैं, जहां अब तक मेट्रो नहीं पहुंची है। इससे लोगों को आवाजाही की समस्या से जूझना पड़ रहा है। विकास के मुद्दे पर दोनों प्रत्याशी, मेट्रो विस्तार को तवज्जो दे रहे हैं। योगेंद्र चंदोलिया के मुताबिक नरेला तक मेट्रो को पहुंचाने और आगे पल्ला और रिठाला से आगे बवाना तक मेट्रो पहुंचाने की स्थानीय लोगों की मांग है।
प्रधानमंत्री ने घोषणा पत्र में मेट्रो के विस्तार की बात की गई है, इसलिए इसे यह काम आसान हो गया है। इंडिया गठबंधन के प्रत्याशी उदित राज का भी दावा है कि पहले की तरह विकास कार्यों को सिरे चढ़ाना प्राथमिकता होगी। नरेला तक मेट्रो निर्माण और दूसरे मार्गों पर विस्तार, रेलवे पुल का निर्माण समेत नए शिक्षण संस्थानों की शुरुआत और रोजगार के मुद्दे के साथ चुनावी मैदान में हैं।
दिल्ली की सर्वाधिक बड़ी सीट होने के साथ ही बुनियादी सुविधाओं की कमी की तरफ मतदाताओं का ध्यान है। साथ यहां दलित मतदाताओं का दबदबा है। उनका रुख जिस प्रत्याशी की तरफ होगा जीत की संभावना प्रबल हो सकती है। मेट्रो, रेलवे पुल, क्रासिंग समेत कुछ क्षेत्रों में बुनियादी सुविधाएं माकूल नहीं होने की वजह से क्षेत्र के मतदाताओं का रुझान उस तरफ दिख रहा है, जिस प्रत्याशी के जीतने से विकास कार्यों की रफ्तार तेज होगी।
उत्तर पश्चिमी दिल्ली में मतदाताओं की संख्या करीब 25 लाख है। इसमें जातीय समीकरण की अहम भूमिका होगी। कई क्षेत्र हरियाणा से नजदीक होने की वजह से अनुसूचित जाति की आबादी करीब 19 फीसद तो जाट करीब 15 फीसद हैं। मुसलिम करीब नौ फीसद, ब्राह्मण 11, अन्य पिछड़ा वर्ग के करीब 20 फीसद जबकि शेष मतदाता दूसरी जातियों और संप्रदाय के हैं। दलित मतदाताओं की संख्या अधिक होने की वजह से चुनाव में उनकी भूमिका अहम होगी। उत्तर पश्चिमी दिल्ली लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र 2002 में गठित परिसीमन आयोग की सिफारिशों के के तहत 2008 में अस्तित्व में आया। 2009 में कांग्रेस नेत्री कृष्णा तीरथ सांसद ने भाजपा की मीरा कांवरिया को हराकर निर्वाचित हुईं।
अगले चुनाव में 2014 में भाजपा प्रत्याशी के तौर पर उदित राज ने आम आदमी पार्टी की प्रत्याशी राखी बिड़ला को हराकर जीत हासिल की। 2019 में भाजपा प्रत्याशी सूफी गायक हंसराज हंस ने बड़े अंतर से इस सीट पर जीत दर्ज की। 2019 के चुनाव में हंसराज हंस ने आप प्रत्याशी गूगन सिंह को पांच लाख से भी अधिक मतों के अंतर से पराजित कर दिया था। उत्तर पश्चिमी दिल्ली लोकसभा सीट से भाजपा के योगेंद्र चंदोलिया का मुकाबला पूर्व सांसद व इंडिया गठबंधन की ओर से कांग्रेस उम्मीदवार उदित राज से है।