प्रकाश मेहरा
नई दिल्ली : भारत की स्वास्थ्य मन्त्राणी राजकुमारी अमृतकौर ने आज संयुक्त राष्ट्र दिवस के उपलक्ष्य में अखिल भारतीय रेडियो के दिल्ली स्टेशन से भाषण करते हुए कहा कि संयुक्त राष्ट्र का जन्म मानवता को विनाश से बचाने का प्रयत्न करने के लिए हुआ है। अतः प्रत्येक पुरुष, स्त्री का यह कर्तव्य है कि वह इस महान संगठन को सजीव रखे और शक्तिशाली बनाये। विश्व के सारे राष्ट्र अपने साधनों को एकत्र करके उसे उस सम्मिलित प्रयत्न में लगाएं, जिसके द्वारा पीड़ित मानवता का त्राण हो सके। संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा स्थापित ‘सामाजिक एवं आर्थिक परिषद’ इस दिशा में एक निश्चित प्रयत्न है। उपयुक्त संस्था की ओर से बच्चों की देखभाल के लिए विश्व- पर्यन्त एक अपील निकाली गयी है। पहले यह अपील युद्ध क्षेत्रों के लिए ही थी, किन्तु बाद में सोचा गया कि उन देशों के लिए भी यह योजना महत्वपूर्ण है, जो युद्ध से क्षत तो नहीं हुए, किन्तु जहां निर्धनता, अज्ञानता एवं रोग के कारण भारी संख्या में बच्चों का जीवन नष्ट हो रहा है। अतएव, भारत की राष्ट्रीय सरकार के शासन संभालने के कुछ ही समय बाद निश्चय किया गया कि भारत संयुक्त राष्ट्र संघ के इस कार्य में भी सम्मिलित हो।
बच्चे राष्ट्र की अमूल्य सम्पत्ति हैं और उनके कल्याण पर ही देश का भविष्य निर्भर है। किन्तु दुःख है कि हमारे देश में उनकी दयनीय अवहेलना हुई है। हाल में ही मुझे यूरोप में भ्रमण करने के कई मौके मिले हैं। वहां मैंने देखा कि बच्चों की देखभाल के लिए कितना प्रयत्न किया जाता है। युद्ध काल में भी वहां बच्चों की शिक्षा की पूरी व्यवस्था कायम रखी गयी और खाद्याभाव होने के बावजूद बच्चों, बच्चे वाली स्त्रियों तथा गर्भवती स्त्रियों के लिए दूध का पूरा प्रबन्ध रखा गया। गरीब बालकों के स्कूल में मुझे एक बार (ब्रिटेन में) खाना खाने का भी अवसर मिला, और मैंने देखा कि वह भोजन बढ़िया से बढ़िया भोजनों में से एक था। ब्रिटेन में बच्चों की देखभाल एवं कल्याण के लिए प्रशंसनीय प्रयास हो रहा है। कस्बों और देहात दोनों ही इलाकों में स्वास्थ्य-शिक्षा पर अधिक से अधिक जोर दिया जाता है। इसके विपरीत, अब जरा भारत की दयनीय दशा पर एक दृष्टि डालिये। हमारे अगणित बालकों के लिए स्कूल तक नहीं है।