नई दिल्ली: दिल्ली की ‘जहरीली हवा’ बच्चों को बीमार करने लगी है. खांसी, सिर दर्द और सांस लेने में बच्चों को दिक्कत महसूस हो रही है. बच्चे और बुजुर्ग प्रदूषण के प्रति संवेदनशील होते हैं. स्कूलों ने भी प्रदूषण की समस्या से निपटने की तैयारी शुरू कर दी है. स्कूलों में बच्चों को प्रदूषण के साथ जिंदगी जीना सिखाया जा रहा है. आठवीं क्लास के बच्चों में जागरुकता फैलायी जा रही है. बाल भवन स्कूल के प्रिंसिपल विविध गुप्ता ने बताया कि प्रदूषण की समस्या के बीच बच्चों को जागरूक करना बेहद जरूरी हो गया है.
दीवाली पर बच्चे पटाखे नहीं फड़ेंगे. उन्होंने घर पर मात्र दीये जलाने की प्रतिज्ञा ली है. स्कूल में बच्चों को दीया रंगीन करना सिखाया जा रहा है. बच्चे घर से लेकर बाहर तक प्रदूषण का मुकाबला करने को सीख रहे हैं. विविध गुप्ता ने बताया कि बच्चों को बताया गया है कि मास्क पहनना जरूरी है. बच्चों की आउटडोर एक्टिविटी बंद कर दी गयी है. दिवाली पर बच्चों से पटाखे नहीं जलाने का संकल्प लिया गया है. दिल्ली में दिवाली के बाद प्रदूषण का स्तर खतरनाक श्रेणी में पहुंच जाता है.
प्रदूषण के वजह से स्कूली बच्चों की बढ़ी स्वास्थ्य चिंता
पटाखे प्रदूषण को बढ़ाने में अहम भूमिका निभाते हैं. इसलिए बच्चों को बिना पटाखे के दीपावली मनाने को कहा गया है. स्कूलों में बच्चों को स्वास्थ्य के प्रति भी जागरूक किया जा रहा है. डॉक्टरों ने बच्चों और बुजुर्गों को प्रदूषण की चपेट में आने से बचने की सलाह दी है. निजी स्कूलों ने सुबह बच्चों की आउटडोर एक्टिविटी बंद कर दी है.
मास्क के साथ आने को बच्चों से कहा जा रहा है. अभिभावकों को भी बच्चों की सेहत पर विशेष देखभाल करने की सलाह दी गई है. प्रदूषण की स्थिति बिगड़ने पर स्कूलों की छुट्टियों की घोषणा कर दी जाती है. स्कूलों में छुट्टी होने के बाद बच्चों की ऑनलाइन क्लास ली जाती है.