अकसर लोग पेट में होने वाली परेशानियों को नजरअंदाज कर देते हैं, लेकिन ऐसा करना काफी खतरनाक हो सकता है. कई मामलों में पेट की ये समस्याएं बड़ी आंत के कैंसर का कारण बन सकती हैं. मेडिकल भाषा में इसको कोलन कैंसर कहते हैं. ये कैंसर बड़ी आंत (कोलोन) या रैक्टम में होता है. खानपान की गलत आदतों और खराब जीवनशैली की वजह से कोलोन कैंसर के मामले लगातार बढ़ रहे हैं. समय पर लक्षणों की पहचान और इलाज़ न होने से यह कैंसर दुनियाभर में लाखों लोगों को अपना शिकार बना रहा है. अगर आपको पेट में दर्द, बवासीर, मल मे खून आना या कब्ज की परेशानी है तो यह कोलोन कैंसर के शुरुआती लक्षण हो सकते हैं. डॉक्टरों का कहना है कि इन लक्षणों के शरीर में दिखने पर तुरंत इलाज कराने की जरूरत है. लापरवाही करने से यह परेशानियां घातक रूप ले सकती हैं.
दिल्ली के सर गंगाराम हॉस्पिटल के लिवर एंव गैस्ट्रोलॉजी विभाग के एचओडी प्रोफेसर डॉ. अनिल अरोड़ा ने बताया कि आंत के कैंसर के विकसित होने का कोई विशेष कारण नहीं है. जिन लोगों को कब्ज, अल्सरेटिव कोलाइटिस या अकसर पेट दर्द की शिकायत रहती है. उनको कोलन कैंसर होने का खतरा ज्यादा रहता है.
डॉ. के मुताबिक, कोलोन कैंसर दो प्रकार का होता है. इसमें एक होता है लेफ्ट साइड और दूसरा राइट साइड का कैंसर. लेफ्ट साइड के कैंसर के लक्षणों में पेट में दर्द और रैक्टम में खून आता है. इसमें उल्टी या थकावट नहीं होती है, जबकि राइट साइड के कैंसर होने पर थकावट, कमजोरी और एनीमिया की शिकायत होती है. कई मामलों में ये कैंसर जेनेटिक भी होता है. इस कैंसर की शुरुआत आंत में ट्यूमर से होती है. अगर टाइम पर इस ट्यूमर का पता चल जाए तो मरीज का इलाज़ आसानी से हो जाता है.
युवाओं को भी होता है ये कैंसर
डॉ. अरोड़ा बताते हैं कि कोलोन कैंसर युवाओं को भी अपनी चपेट में लेता है. ज्यादा उम्र के लोगों की तुलना में युवाओं मे इसका इलाज़ करना काफी कठिन होता है. अमूमन यह कैंसर 45 साल की उम्र के बाद होता है, लेकिन कोरोना महामारी के बाद 35 साल तक की उम्र के लोगों को भी यह अपनी चपेट में ले रहा है. ऐसे कई युवा इलाज़ के लिए आ रहे हैं. जिनमें इस कैंसर के शुरुआती लक्षण मौजूद हैं.
पाचन तंत्र का ठीक रहना जरूरी
डॉ. बताते हैं कि कि पाचन तंत्र में खराबी आने से पेट संबंधी परेशानियां होती हैं. इस कारण कब्जियत, पेट में ऐंठन दर्द या अन्य परेशानी हो सकती है. आंत के कैंसर की शुरुआत बड़ी आंत की दीवार के सबसे भीतरी परत में छोटी सूजन से होती है. इससें पीड़ित व्यक्ति को लगातार आंत से संबंधित समस्याओं का सामना करना पड़ता है. ऐसे व्यक्ति को हमेशा कब्ज रहता है. पॉटी के साइट और रंग में लगातार बदलाव होते रहते हैं. लोग इन लक्षणों को नजरअंदाज करते हैं. जिससे यह बाद में कैंसर का कारण बनते हैं.
ऐसे करें बचाव
डॉ. अरोड़ा के मुताबिक, पेट से संबंधित किसी भी बीमारी का सबसे बड़ा कारण हमारा गलत खानपान होता है. इसलिए कोलोन कैंसर से बचने के लिए सबसे जरूरी है कि अपनी डाइट का ध्यान रखा जाए. खाने में चीनी, नमक और मैदा का कम से कम उपयोग हो. जंक फूड और मसालेदार भोजन से बचें . खाने में फल, हरी सब्जी, फाइबर और प्रोटीन को जरूर शामिल करें. शराब का सेवन और धूम्रपान करते हैं तो इसे छोड़ दें. मोटापे से बचे और रोजाना व्यायाम करें.