शिमला। हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस पार्टी की मुश्किलें टल तो जरूर गईं थी, लेकिन खत्म नहीं हुई है। छह बागियों सहित ग्यारह विधायक शनिवार को भाजपा शासित राज्य उत्तराखंड पहुंचे। यह इस बात के संकेत हैं कि देश की सबसे पुरानी पार्टी में अंदरूनी कलह अभी खत्म नहीं हुई है। न्यूज एजेंसी एएनआई की रिपोर्ट के मुताबिक, शनिवार सुबह हरियाणा की नंबर प्लेट वाली एक बस ऋषिकेश के ताज होटल पहुंची। बस में छह बागी और तीन निर्दलीय विधायकों सहित 11 विधायक सवार थे। बस की सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद थी।
आपको बता दें कि कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व ने इससे ठीक दो दिन पहले हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के दिल्ली तलब किया था। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस दौरान सुक्खू ने पार्टी आलाकमान के साथ हिमाचल के राजनीतिक हालात पर सौंपी गई रिपोर्ट और लोकसभा चुनाव को लेकर चर्चा की।
गुरुवार को जब सुक्खू से पूछा गया था कि क्या छह बागी विधयकों को वापस लेंगे तो उन्होंने कहा, “अगर किसी को अपनी गलती का एहसास होता है तो वह व्यक्ति एक और मौके का हकदार है।” इससे पहले हिमाचल प्रदेश के मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि उन्होंने कांग्रेस आलाकमान और विद्रोहियों के बीच मध्यस्थ की भूमिका निभाई है। अब गेंद राष्ट्रीय नेतृत्व के पाले में है।
आपको बता दें कि पिछले महीने छह बागियों और तीन निर्दलीय विधायकों ने राज्यसभा चुनाव में भाजपा के पक्ष में मतदान किया। इसके परिणामस्वरूप कांग्रेस उम्मीदवार अभिषेक मनु सिंघवी को शर्मनाक हार का सामना करना पड़ा।
कांग्रेस से बगावत करने वाले छह विधायकों मे सुधीर शर्मा, रवि ठाकुर, राजिंदर राणा, इंदर दत्त लखनपाल, चेतन्य शर्मा और देविंदर कुमार भुट्टो का नाम शामिल है। इसके बाद स्पीकर के द्वारा उन्हें अयोग्य घोषित कर दिया है। स्पीकर के इस कदम के खिलाफ बागी सुप्रीम कोर्ट चले गए हैं।
सुक्खू को क्यों बुलाया गया?
कांग्रेस के शीर्ष नेताओं ने पार्टी को संकट से उबारने में मदद के लिए कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार, हरियाणा के पूर्व सीएम भूपिंदर सिंह हुडा और छत्तीसगढ़ के पूर्व सीएम भूपेश बघेल को भेजा था। पर्यवेक्षकों को अपनी रिपोर्ट कांग्रेस नेतृत्व को सौंपनी थी। पार्टी के अंदरूनी सूत्रों ने बताया कि हाल ही में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को सौंपी गई रिपोर्ट में मुख्यमंत्री के राजनीतिक कौशल पर सवाल उठाए गए हैं।
फरवरी में कांग्रेस के पास बहुमत होने के बावजूद बीजेपी के हर्ष महाजन चुनाव जीत गए। कांग्रेस ने कहा था कि वह इस बात की जवाबदेही तय करेगी कि क्रॉस वोटिंग की अनुमति क्यों दी गई।