प्रकाश मेहरा
मंगलवार 6 फरवरी को, दिल्ली के जंतर मंतर पर, उत्तराखंड एकता मंच के समर्थन द्वारा, संविधान की पांचवीं अधिसूची के तहत, प्रदेश को 5th शेड्यूल ट्राइब स्टेटस का दर्जा ना देने के लिए, एक दिवसीय विरोध प्रदर्शन किया। जिसमे प्रदेश के कई व्यक्ति शामिल रहे। और इस बाबत प्रधानमंत्री के नाम, एक ज्ञापन भी दिया। उत्तराखंड एकता मंच, बीतें लंबे समय से इसकी मांग करता रहा है। आइए आपको सुनाते है कि, इस अवसर पर प्रदर्शनकारियों ने क्या कहा।
उत्तराखंड सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल
वैसे इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि, अब तक किसी भी सरकार ने इस और ध्यान नहीं दिया। उत्तराखंड एक सीमावर्ती राज्य है। यहां सरकारों को ज्यादा चिंतन करने की आवश्यकता थी। लंबे समय से प्रदेश के संसाधनों, भूमि और सुरक्षा को लेकर सवाल उठ रहे है। उच्च शिक्षा, चिकित्सा और रोजगार के लिए, पहाड़ से लोगो का पलायन रुकने का नाम ही नहीं ले रहा। खेती, जंगल, गांव सिमटते जा रहे है। घुशबैठ की खबरें और हमारी चिंता को और भी बढ़ा देती है। ऐसे में सरकार को एक सशक्त निर्णय लेने की आवश्यकता है। अन्यथा उत्तराखंड को बनाने की, जो मूल अवधारणा पूरी होती नही दिखाई देती।
डबल इंजन की सरकार से उम्मीद
आपको बता दे कि, यह प्रदर्शन उत्तराखंड एकता मंच और उत्तराखंड विचार मंच द्वारा संयुक्त रूप से किया गया। जिसमे सैकड़ों की संख्या में व्यक्ति शामिल रहे। और यह उम्मीद जताई है कि, डबल इंजन की सरकार उनकी इस मांग को, उत्तराखंड में सुदूर पहाड़ी क्षेत्रों में रह रहे, पहाड़ी लोगो की सुध जरूर लेगी।
क्या हैं 5th सेड्यूल के लाभ
इसके साथ ही उत्तराखंड एकता मंच ने 5th सेड्यूल लागू होने पर क्या लाभ मिलेगा ये भी बताया उन्होंने कहा…
- ट्राइबल स्टेटस (Tribal Status) के परिणामस्वरूप युवाओं को शिक्षा, सरकारी नौकरियों जैसे क्षेत्रों में आरक्षण मिलेगा।
- हमारी नदियों, जंगलों, और पहाड़ों पर हमारा अधिकार होगा।
- उत्तराखंड के पर्वतीय इलाकों के विकास के लिए राज्य सरकार और केंद्र सरकार अलग से फंड देंगी।
- अनुसूचित जनजाति अधिनियम (ST Act) जैसे प्रभावी कानून हमारी बहन-बेटियों को सुरक्षा प्रदान करेंगे।
- मूल निवास 1950, भू – कानून, परिसीमन जैसे मुद्दे पांचवीं अनुसूची की व्यवस्थाओं के अंतर्गत स्वत: हल हो जाएंगे।
- भाषा एवं संस्कृति का संरक्षण सुनिश्चित हो पायेगा।
पूरी रिपोर्ट देखिए संवाददाता प्रकाश मेहरा के साथ