मेरठ. उत्तर प्रदेश के मेरठ शहर से 40 किलोमीटर दूर हस्तिनापुर की धरती नया राज़ उगलने वाली है. वर्ष 1952 के बाद 2022 में हुए उत्खनन कार्य में जो चीज़ें मिली हैं वो बेहद चौकाने वाली हैं. मसलन यहां हज़ारों वर्ष पुराना पांसा और मुहरें मिली हैं. खुदाई में पांसा मिलने से लोग इस बात की भी चर्चा करने लगे कि क्या ये वही पांसा है, जिससे दुर्योधन के मामा शकुनी चौसर खेला करते थे.
हस्तिनापुर में पांडव टीले पर उत्खनन में मिला यह पांसा कौतूहल का विषय बना हुआ है. अधीक्षण पुरातत्वविद् डॉक्टर डी बी गणनायक का कहना है कि ये पांसा हाथी के दांत यानी IVORY से बना हुआ है. इस पांसे में एक दो तीन चार इत्यादि चिह्न बने हुए हैं. एएसआई के सुप्रीटेंडेंट डॉक्टर डी बी गणनायक का कहना है कि ऐसा पांसा कोई अमीर आदमी ही इस्तेमाल कर सकता है जो हाथी के दांत से बना हुआ है. वो कहते हैं कि ये पांसा गुप्तकालीन हो सकता है और 1500 साल पुराना हो सकता है.
क्या ये पांसा महाभारतकालीन है? इस सवाल का जवाब वो मुस्कुरा कर टाल जाते हैं. डॉक्टर गणनायक कहते हैं कि पांसे की रिसर्च के बाद ही कुछ कहा जा सकता है. हालांकि वो ये बात पुख्ता तरीके से ज़रूर कहते हैं कि ये पांसा गुप्तकालीन है.
आमतौर पर हस्तिनापुर का नाम आता है तो शकुनी का पांसा और चौसर का खेल भी याद आता है. अगर शकुनी का पांसा न होता तो महाभारत ही न होता. हस्तिनापुर के पाडंव टीले की खुदाई के दौरान मिले पांसे की रिसर्च की जा रही है. इस पांसे के साथ-साथ उत्खनन के दौरान बीस से ज्यादा मिट्टी की मुहरें भी मिली हैं. राजा के नाम लिखी मुहरें मिलने से भी एएसआई की टीम में ख़ुशी है. मिट्टी की इन मुहरों पर श्रीविष्णु गुप्त लिखा हुआ है. डॉक्टर डीबी गणनायक का कहना है कि मुहरों पर लिखी लिपि का भी अध्यन किया जाएगा.
अधीक्षण पुरातत्वविद् डॉक्टर डी बी गणनायक का कहना है कि हड्डियों के तीर, हड्डियों के सुईयां इत्यादि भी खुदाई में मिला है. टेरोकोटा रिंग्स भी खुदाई में दिखाई दी हैं. उन्होंने कहा कि खुदाई में मिली हर चीज़ का साइंटफिक इनवेस्टिगेशन होगा. अलग-अलग एजेंसीज़ हस्तिनापुर की खुदाई में मिली चीज़ों की जांच करेंगी और कार्बन डेटिंग के बाद तय होगा कि खुदाई में मिली चीज़ें महाभारतकालीन हैं या नहीं.
उन्होंने कहा कि उत्खनन को लेकर ये बात यकीनी तौर पर कही जा सकती है कि हस्तिनापुर में वैदिक संस्कृति की झलक है. वो कहते हैं कि हस्तिनापुर को आईकॉनिक साइट के रूप में विकसित किया जाएगा. गौरतलब है कि एक बार फिर 1952 के बाद हस्तिानपुर की धरती पर 70 साल बाद उत्खनन हो रहा है. एएसआई की टीम हस्तिनापुर के अलावा 16 ज़िलों में 82 साइट्स पर भी फोकस कर रही है.