इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फाइल करने की आखिरी तारीख बीते एक महीने से ज्यादा का वक्त हो चुका है. ITR भरने की आखिरी तारीख 31 जुलाई थी. जिन लोगों ने आखिरी तारीख तक अपना रिटर्न फाइल कर दिया था उनमें से ज्यादातर लोगों को रिफंड मिल भी चुका है. लेकिन अगर आपको अपना इनकम टैक्स रिफंड (Income tax refund) नहीं मिला है, तो चिंता करने की बजाय ये जांचने की जरूरत है कि रिफंड मिलने में देरी क्यों हो रही है.
इसके लिए इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की तरफ से दी जानी वाली सूचनाओं पर भी नजर रखना जरूरी है. अगर आप भी उन लोगों में शामिल हैं जिन्हें अब तक आयकर विभाग की तरफ से रिफंड नहीं मिला है तो आइए कुछ बातों पर नजर डालते हैं कि जिन वजहों से आपको रिफंड मिलने में देरी हो रही है.
गलत जानकारी फंसा देगी रिफंड
रिफंड में देरी की पहली वजह हो सकती है कि आपने इनकम टैक्स रिटर्न भरने में कोई गलती कर दी हो. आमतौर पर टैक्स रिफंड तुरंत न मिलने का एक सामान्य कारण आयकर रिटर्न फॉर्म में गलत या अधूरी जानकारी है. बैंकिंग डिटेल, घर का पता या ईमेल आईडी में कोई भी गड़बड़ी आपके टैक्स रिफंड में देरी का कारण बन सकती है. इसलिए अपना ITR दाखिल करते समय दी गई जानकारी सही है ये सुनिश्चित करना काफी महत्वपूर्ण है.
डेलॉयट इंडिया की पार्टनर आरती रावते ने हमारे सहयोगी बिजनेस टुडे से कहा,
“ITR प्रोसेसिंग में देरी का एक कारण ये हो सकता है कि टैक्सपेयर्स ने बैंक डिटेल ठीक से नहीं भरी हो. ITR रिफंड प्रोसेस करने के लिए यह जरूरी है कि आपका बैंक अकाउंट प्री-वैलिडेटेड हो, नहीं तो रिफंड जारी नहीं किया जाएगा. इसके अलावा आपके बैंक अकाउंट में रजिस्टर्ड नाम और पैन कार्ड में दर्ज नाम मेल खाते हों, तब भी रिफंड रोक लिया जाता है.”
ITR वेरिफिकेशन हैं जरूरी
टैक्स रिफंड न आने का दूसरा कारण हो सकता है ITR को वेरिफाई न करना. कभी-कभी, करदाता अनजाने में पोर्टल पर अपलोड किए गए रिटर्न को वेरीफाई करने से चूक जाते हैं. जो लोग ये गलती करते हैं उनका रिफंड अटक जाता है. इसलिए ITR फाइल करने के बाद अपने आयकर रिटर्न को आधार OTP के जरिए ई वेरीफाई करना ना भूलें. ITR भरने के 30 दिनों के अंदर ई-वेरिफिकेशन करना होता है. इसलिए दिए गए समय के भीतर अपने आईटीआर को ई-वेरिफाई जरूर करे लें. जितनी जल्दी ITR वेरिफाई करेंगे आयकर विभाग उतनी ही तेजी से रिफंड प्रक्रिया का काम शुरू कर देगा. डीवीएस एडवाइजर्स के फाउंडर और सीईओ दिवाकर विजयसारथी के मुताबिक, ‘पिछले कुछ वर्षों में रिफंड प्रोसेसिंग में लगने वाला समय काफी कम हो गया है.
टैक्स बकाया तो नहीं है!
रिफंड में देरी का तीसरा कारण ये हो सकता है कि इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के पास आपका कोई पिछली बार का टैक्स बकाया है. पिछले वित्तीय वर्ष का कोई बकाया होने की स्थिति में आपके आयकर रिफंड में देरी हो सकती है. ऐसे मामलों में इनकम टैक्स विभाग रिफंड का इस्तेमाल पिछले टैक्स बकाया में एडजस्ट कर लेता है.
हालांकि, इसके बारे में आपको आयकर विभाग की तरफ से सूचना दी जाएगी कि आपका पुराना टैक्स बकाया है और इस बकाये को आपके रिफंड से एडजस्ट कर लिया गया है. रिफंड में देरी का चौथा कारण ये हो सकता है कि आपने रिटर्न और फॉर्म 26AS में क्लेम किए गए TDS क्रेडिट के बीच अंतर पाया गया हो. AIS और रिटर्न के बीच आंकड़ों में समानता न होने से रिफंड प्रक्रिया में देरी होती है.
रिफंड में देरी का पांचवां कारण हो सकता है कि आयकर विभाग आपके ITR की जांच पड़ताल कर रहा हो. अगर आयकर रिटर्न जांच के दायरे में है, तो मूल्यांकन पूरा होने तक रिफंड रुका रहेगा. करदाताओं को सलाह दी जाती है कि वे आयकर विभाग से किसी भी सूचना या नोटिस के लिए नियमित रूप से ईमेल या ई-फाइलिंग लॉग-इन वेबसाइट की जांच करते रहें. अगर ऊपर बताई गई वजहें आपके केस से मेल नहीं खा रही हैं तो उचित अवधि तक रिफंड का इंतजार करें. उसके बाद भी अगर रिफंड न आए तो करदाता इस संबंध में अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं.