Upgrade
पहल टाइम्स
  • होम
  • दिल्ली
  • राज्य
  • राष्ट्रीय
  • विश्व
  • धर्म
  • व्यापार
  • खेल
  • मनोरंजन
  • गैजेट्स
  • जुर्म
  • लाइफस्टाइल
    • स्वास्थ्य
    • फैशन
    • यात्रा
  • विशेष
    • साक्षात्कार
  • ईमैगजीन
  • होम
  • दिल्ली
  • राज्य
  • राष्ट्रीय
  • विश्व
  • धर्म
  • व्यापार
  • खेल
  • मनोरंजन
  • गैजेट्स
  • जुर्म
  • लाइफस्टाइल
    • स्वास्थ्य
    • फैशन
    • यात्रा
  • विशेष
    • साक्षात्कार
  • ईमैगजीन
No Result
View All Result
पहल टाइम्स
No Result
View All Result
  • होम
  • दिल्ली
  • राज्य
  • राष्ट्रीय
  • विश्व
  • धर्म
  • व्यापार
  • खेल
  • मनोरंजन
  • गैजेट्स
  • जुर्म
  • लाइफस्टाइल
  • विशेष
  • ईमैगजीन
Home राष्ट्रीय

नेत्रदान से नेत्रहीनों की जिंदगियों में खुशियां

पहल टाइम्स डेस्क by पहल टाइम्स डेस्क
January 4, 2023
in राष्ट्रीय, विशेष
A A
13
SHARES
433
VIEWS
Share on FacebookShare on Whatsapp

लेखक : युद्धवीर सिंह लांबा


चिता में जाएगी तो राख बन जाएगी,
कब्र में जाएगी तो खाक बन जाएगी ।।
कर लो अगर दान नेत्रों का जिंदगी में,
दो लोगों की जिंदगी गुलजार हो जाएगी ।।

इन्हें भी पढ़े

iadws missile system

भारत का ‘सुदर्शन चक्र’ IADWS क्या है?

August 24, 2025
Gaganyaan

इसरो का एक और कारनामा, गगनयान मिशन के लिए पहला हवाई ड्रॉप टेस्ट पूरी तरह सफल

August 24, 2025
जन आधार

केवल आधार कार्ड होने से कोई मतदाता के तौर पर नहीं हो सकता रजिस्टर्ड!

August 24, 2025
D.K. Shivkumar

कर्नाटक में कांग्रेस का नया रंग, डी.के. शिवकुमार और एच.डी. रंगनाथ ने की RSS गीत की तारीफ!

August 24, 2025
Load More

नेत्र या आंखें प्रकृति की सबसे सुंदर, अनमोल और अमूल्य उपहार व धरोहर हैं । आंखों के बिना हमारा जीवन अधूरा व बेरंग है। नेत्र आंखें हैं, तो जहान है, वरना सब वीरान है। आंखें मानव शरीर का सबसे महत्वपूर्ण अंग है। मानव शरीर में भी पांच ज्ञानेन्द्रियां हैं, आंख, कान, नाक, जीभ और त्वचा। इनसे ही कोई व्यक्ति सौंदर्य, रस, गंध, स्पर्श व स्वाद महसूस करता है। चाणक्य ने भी आँखों को सभी इंद्रियों से उत्तम बताया है जैसे ‘सर्वौषधीनामममृतं प्रधानं सर्वेषु सौख्येष्वशनं प्रधानम्। सर्वेन्द्रियाणां नयनं प्रधानं सर्वेषु गात्रेषु शिरः प्रधानम्’ आचार्य चाणक्य कहते हैं कि सभी औषधियों में अमृत प्रधान है । सभी सुखों में भोजन प्रधान है । सभी इंद्रियों में आँखे मुख्य हैं । सभी अंगों में सिर महत्वपूर्ण है ।

नेत्रदान के जरिए दृष्टिहीनों लोगों के जीवन में उजाला संभव : आंख मनुष्य का अनमोल रत्न है । मृत्यु के पश्चात आंखों को जलाने की बजाए आंखों के दान से अगर किसी नेत्रहीन व्यक्ति की बेरंग जीवन में रंग और रोशनी आती है तो इससे बड़ा पुण्य-परोपकार की बात क्या हो सकती है। मनुष्य को सदैव दूसरों के हित को ध्यान में रखकर कर्म करने चाहिए। श्रीमद्भागवत में लिखा हुआ कि ‘दुर्लभो मानुषो देहो देहिनां क्षणभंगुर’ – देहधारियों में मनुष्यदेह दुर्लभ है, और वह भी क्षणभंगुर है। महर्षि दधीचि ने भगवान इन्द्र के माँगने पर अपने शरीर की हड्डियाँ, भगवान श्री कृष्ण के माँगने पर वीर बर्बरीक ने अपना शीश व विश्वामित्र के माँगने पर राजा हरिश्चन्द्र ने अपना सम्पूर्ण राज्य दान कर दिया था । राजा शिवि ने कबूतर की रक्षा के लिए अपने शरीर का मांस तक काट कर तराजू में रख दिया था । उपनिषद् भी कहते हैं कि ‘र्वे भवन्तु सुखिनः। सर्वे सन्तु निरामयाः।सर्वे भद्राणि पश्यन्तु। मा कश्चित् दुःख भाग्भवेत्’ अर्थात् संसार में सब सुखी रहें, सब नीरोग या स्वस्थ रहें, सबका कल्याण हो और विश्व में कोई दुःखी न हो ।

नेत्रदान महादान
कल हम ना होंगे तो हमारी यादें होंगी
कुछ नई कुछ पुरानी बातें होगी
चले जायेंगे जब हम इस जहां से कफन ओढ़कर
हमारे बाद इस जहान में हमारी आँखें होंगी ।

नेत्रहीन शिक्षक से मिली नेत्रदान की प्रेरणा : “कर सके जो दर्द कम किसी का, जीवन सफल होता है उसी का” यह बात हेलेन कॆलर ने लिखी थी। जब मैं महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय, रोहतक से संबंधित राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, झज्जर में 1998 से 2001 तक कला स्नातक में पढ़ रहा था तो मैंने उस दौरान श्री हुकम चंद जी तुम्बाहेडी, जिला झज्जर निवासी जो राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, झज्जर में संगीत शिक्षक पद पर कार्यरत को देखता था की किस तरह श्री हुकम चंद जी दृष्टिहीन की वजह से बड़ी मुश्किलों का सामना करते हुए तुम्बाहेडी से बस से यात्रा करके राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, झज्जर में पहुंचता था । राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त ने मनुष्य को दूसरों की भलाई के लिए तत्पर रहने के लिए ठीक ही कहा है कि, ‘वही पशु प्रवृत्ति है कि आप-आप ही चरे, वही मनुष्य है कि जो मनुष्य के लिए मरे’ । मैंने (युद्धवीर सिंह लांबा) ने 25 सितंबर, 2009 को पंडित भगवत दयाल शर्मा स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान, रोहतक, हरियाणा में आँखेंदान संकल्प फार्म भरा जिसके पंजीकरण क्रमांक 934 है।

मरणोपरांत दान दी गई आंखों से हजारों अंधेरी जिंदगियों हुई रोशन : मरणोपरांत दान की गई आंखों से सैकड़ों नेत्रहीन लोगों के जीवन में उजियारा फैल रहा है । स्वामी विवेकानन्द जी ने भी लिखा है कि “धन्य हैं वो लोग जिनके शरीर दूसरों की सेवा करने में नष्ट हो जाते हैं”। हमारे ग्रंथ भी प्रेरित करते हैं कि “चार वेद छह शास्त्र में बात मिली है दोय।सुख दीन्हें सुख होत है, दुख दीन्हें दुख होय । महर्षि व्यास जी ने भी लिखा है कि ‘अष्टादशपुराणेषु व्यासस्य वचनद्वयं, परोपकार: पुण्याय पापाय परपीडनम्’ ।। अठारह पुराणों में महर्षि व्यास के उपदेशों का सार यही है कि परोपकार से पुण्य प्राप्त होता है और दूसरे को सताने से पाप लगता है । परोपकराय फलंति वृक्षा: परोपकाराय वहन्ति नद्य:। परोपकाराय दुहन्ति गाव: परोपकारार्थ मिदं शरीरम। संस्कृत के इस श्लोक का मतलब है कि परोपकार के लिए वृक्ष फल देते हैं। नदियां बहती हैं। गाय दूध देती है और यह शरीर भी परोपकार के लिए है।

भारत में नेत्रदान प्राप्तकर्ताओं की प्रतीक्षा सूची बहुत लंबी : नेत्रदान के लिए जागरूक करने के लिए भारत में 25 अगस्त से 8 सितंबर तक ‘नेत्रदान पखवाड़ा’ मनाया जाता है। भारत में लाखों नेत्रहीन इंतजार में हैं कि उन्हें आंखें मिलेंगी और वे भी रंगीन दुनिया देख पायेंगे। नेत्रदान करना बड़ा ही पुण्य तथा शुभ कार्य है, सिखों के दसवें गुरु गुरु गोविन्द सिंह जी ने कहा था कि “देहि शिवा वर मोहि इहै शुभ करमन ते कबहूं न टरूं” हे भगवान शिव, मुझे यही वरदान दीजिए, कि मैं शुभ कार्यों को करने से कभी पीछे न हटूं,उन्हें कभी न टालूं।

क्या है नेत्रदान?
किसी की मृत्यु के बाद उसकी आंखें देने की प्रक्रिया नेत्रदान कहलाती है। नेत्रदान मृत्योपरांत ही किया जा सकता है। जीवित व्यक्ति नेत्रदान नहीं कर सकता है। नेत्रदान में आंखों से सिर्फ कार्निया निकाला जाता है। एक व्यक्ति की आंखों से निकाले दो कार्निया को दो दृष्टिहीनों व्यक्तियों में प्रत्यारोपित कर दिया जाता है। दृष्टिहीन व्यक्ति को नेत्रदान से प्राप्त आंख के प्रत्यारोपण से ही आंखों को रोशनी मिल सकती है।

मरणोपरांत नेत्रदान का संकल्प अवश्य लें : आंखें अनमोल हैं ये किसी नेत्रहीन की बेरंग दुनिया में खुशियां लौटा कर जिंदगी को रोशन कर सकती हैं इसलिए नेत्रदान का संकल्प जरूर लें । नेत्रहीन व्यक्ति को हम नेत्रदान करके ही उसके जीवन को प्रकाशमय बना सकते हैं। आंखें कों मरणोपरांत जलाने या दफनाने की बजाय दान करें, ताकि किसी दूसरे की अंधेरी जिंदगी को रोशनी मिल सके। एक व्यक्ति द्वारा दान किए गए नेत्र दो नेत्रहीन व्यक्तियों के जीवन को रोशन करते हैं।


लेखक युद्धवीर सिंह लांबा, वीरों की देवभूमि धारौली, झज्जर – कोसली रोड, हरियाणा 9466676211 एक समाजसेवी है ।

इन्हें भी पढ़ें

  • All
  • विशेष
  • लाइफस्टाइल
  • खेल
exchange for bottles

प्लास्टिक की बोतलों के बदले बच्चों की भूख मिटा रहा है 23 साल का ये लड़का!

June 21, 2023
Kochi KDS

प्रो पंजा लीग प्रेस कॉन्फ्रेंस में हुआ कोच्चि केडीएस टीम का परिचय

September 5, 2024
israel-iran war

इजरायल-ईरान संघर्ष में भारत किसके साथ, क्या हैं चुनौतियां!

June 14, 2025
पहल टाइम्स

पहल टाइम्स का संचालन पहल मीडिया ग्रुप्स के द्वारा किया जा रहा है. पहल टाइम्स का प्रयास समाज के लिए उपयोगी खबरों के प्रसार का रहा है. पहल गुप्स के समूह संपादक शूरबीर सिंह नेगी है.

Learn more

पहल टाइम्स कार्यालय

प्रधान संपादकः- शूरवीर सिंह नेगी

9-सी, मोहम्मदपुर, आरके पुरम नई दिल्ली

फोन नं-  +91 11 46678331

मोबाइल- + 91 9910877052

ईमेल- pahaltimes@gmail.com

Categories

  • Uncategorized
  • खाना खजाना
  • खेल
  • गैजेट्स
  • जुर्म
  • दिल्ली
  • धर्म
  • फैशन
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • राजनीति
  • राज्य
  • राष्ट्रीय
  • लाइफस्टाइल
  • विशेष
  • विश्व
  • व्यापार
  • साक्षात्कार
  • सामाजिक कार्य
  • स्वास्थ्य

Recent Posts

  • भारत का ‘सुदर्शन चक्र’ IADWS क्या है?
  • उत्तराखंड में बार-बार क्यों आ रही दैवीय आपदा?
  • इस बैंक का हो रहा प्राइवेटाइजेशन! अब सेबी ने दी बड़ी मंजूरी

© 2021 पहल टाइम्स - देश-दुनिया की संपूर्ण खबरें सिर्फ यहां.

  • होम
  • दिल्ली
  • राज्य
  • राष्ट्रीय
  • विश्व
  • धर्म
  • व्यापार
  • खेल
  • मनोरंजन
  • गैजेट्स
  • जुर्म
  • लाइफस्टाइल
    • स्वास्थ्य
    • फैशन
    • यात्रा
  • विशेष
    • साक्षात्कार
  • ईमैगजीन

© 2021 पहल टाइम्स - देश-दुनिया की संपूर्ण खबरें सिर्फ यहां.