स्पेशल डेस्क/नई दिल्ली: फादर्स डे के अवसर पर, हम आपके लिए एक प्रेरणादायक कहानी प्रस्तुत कर रहे हैं, जो पिता के बलिदान, प्रेम और प्रेरणा की भावना को दर्शाती है। यह कहानी पूरी तरह से मौलिक है।
लखनऊ के एक छोटे से मोहल्ले में रहने वाले रामप्रसाद एक साधारण रिक्शा चालक थे। उनकी जिंदगी की सबसे बड़ी पूंजी थी उनकी बेटी, अनन्या, जो पढ़ाई में होनहार थी लेकिन आर्थिक तंगी के कारण उसका सपना अधूरा रहने का डर था। अनन्या का सपना था कि वह एक दिन डॉक्टर बने और अपने गाँव के लोगों की सेवा करे। लेकिन रामप्रसाद की कमाई इतनी कम थी कि वह बमुश्किल घर का खर्च चला पाते थे, स्कूल की फीस तो दूर की बात थी।
मेरी बेटी मेरी शान है!
हर सुबह, रामप्रसाद सूरज उगने से पहले उठकर अपनी पुरानी रिक्शा लेकर निकल पड़ते। गर्मी, सर्दी, या बरसात, कोई भी मौसम उन्हें रोक नहीं पाता था। उनकी एक ही तमन्ना थी-अनन्या को पढ़ाना और उसे अपने सपनों तक पहुंचाना। कई बार, वह दिनभर में केवल एक समय का खाना खाते, ताकि बेटी की किताबों और कोचिंग की फीस का इंतजाम हो सके। पड़ोसियों और रिश्तेदारों ने उन्हें समझाया कि बेटी को पढ़ाने की बजाय उसकी शादी कर दें, लेकिन रामप्रसाद का जवाब हमेशा एक ही था, “मेरी बेटी मेरी शान है, और मैं उसका हर सपना पूरा करूंगा।”
एक दिन, अनन्या की स्कूल की शिक्षिका ने रामप्रसाद को बुलाया और बताया कि अनन्या ने मेडिकल प्रवेश परीक्षा के लिए मुफ्त कोचिंग का एक स्कॉलरशिप प्रोग्राम जीता है। यह सुनकर रामप्रसाद की आँखों में आंसुओं के साथ-साथ गर्व की चमक थी। उन्होंने अपनी बेटी को गले लगाया और कहा, “बस, यही मेरी जिंदगी की सबसे बड़ी कमाई है।”
आज, अनन्या एक मेडिकल कॉलेज में पढ़ रही है, और रामप्रसाद अब भी अपनी रिक्शा चलाते हैं, लेकिन अब उनके चेहरे पर एक अलग ही सुकून है। उनकी कहानी न केवल अनन्या के लिए, बल्कि पूरे मोहल्ले के बच्चों के लिए प्रेरणा बन गई है। बच्चे अब रामप्रसाद को “डॉक्टर साहब की मम्मी-पापा” कहकर बुलाते हैं, और वह हर बार मुस्कुरा देते हैं।
पिता का प्यार और प्रेरणा !
रामप्रसाद जैसे पिता हमें सिखाते हैं कि प्यार और समर्पण की कोई सीमा नहीं होती। एक पिता का विश्वास और मेहनत न केवल अपने बच्चों के सपनों को पंख देता है, बल्कि समाज को भी बेहतर बनाने की प्रेरणा देता है। इस Father’s Day पर, आइए हम सभी अपने पिता के संघर्ष और प्रेम को याद करें और उन्हें वह सम्मान दें, जिसके वे असली हकदार हैं।
पिता के प्रेम, त्याग और समर्पण को लेखक प्रकाश मेहरा ने कविता के माध्यम से “पिता-एक प्रेरणा” कविता से प्रस्तुत की है।
“पिता – एक प्रेरणा”: प्रकाश मेहरा
चुपचाप चलते हैं, पर राह दिखा जाते हैं,
अपने दर्द छुपाकर, हमें हँसना सिखा जाते हैं।
हर मुश्किल में दीवार बन खड़े हो जाते हैं,
सपनों को पंख दे, उड़ना सिखा जाते हैं।
न कोई शिकायत, न कोई गिला करते हैं,
बस परिवार की खातिर खुद को भुला करते हैं।
पिता सिर्फ शब्द नहीं, एक जीवन दर्शन है,
उनके बिना अधूरी सी ये हर एक धड़कन है।
Father’s Day पर संदेश !
“पिता वो नहीं जो सिर्फ़ जन्म देता है, पिता वो है जो अपने बच्चों के सपनों को अपने खून-पसीने से सींचता है।” यह कहानी पूरी तरह से काल्पनिक और प्रेरणादायक है, जिसे Father’s Day के अवसर पर विशेष रूप से लिखा गया है। इसे आप अपने पिता के साथ साझा कर सकते है।