नई दिल्ली, 15 जून (आरएनएस) । भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि महात्मा गांधी के स्वयंभू उत्तराधिकारी भ्रष्टाचार के आरोप से बचने के लिए हिंसा का सहारा ले रहे हैं। सुधांशु त्रिवेदी कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी पर तंज कसते हुए कहा कि महात्मा गांधी के उत्तराधिकारी स्वयंभू, स्वघोषित सोल कॉपी राइट होल्डर वह लोग आजादी के बाद के दौर में सत्ता में रहते हुए सत्ताधारी लोगों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगा चुके हैं परंतु अपनी पार्टी के अंदर भ्रष्टाचार पार्टी की संपत्ति का हरण कर लेना या एक ऐसा विचित्र उदाहरण है। सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि महात्मा गांधी ने कहा था कि स्वराज्य के लिए सबसे जरूरी आत्म अनुशासन है। महात्मा गांधी ने असहयोग आंदोलन शुरू किया उन्हें लगा हिंसा हो रहा है तो उन्होंने कहा था कि यद्यपि इससे हमारा कोई संबंध नहीं है फिर भी नैतिक जिम्मेदारी लेते हैं और आंदोलन को समाप्त करते हैं। सब तत्कालीन कांग्रेसी अध्यक्ष लाला लाजपत राय ने कहा था कि हमारा आंदोलन विफल हो गया किंतु हमारे नेता की विराटता इससे स्थापित हुई इसका हमें संतोष है। सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि एक वह दौर था जब कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा था कि हमारे नेता की विराटता बड़ी है और आज यह कहा जाए कि जिस प्रकार की हरकतें विगत दिनों से दिखाई दे रही है और हिंसा की आग को लेकर भ्रष्टाचार को छिपाने का प्रयास हो रहा है तो कितनी लघु तथ कितनी छोटापन नेतृत्व दिखाई पड़ रहा है यह साफ दिख रहा है कि गांधी के दौड़ से सोनिया गांधी एवं राहुल गांधी तक आते-आते कितनी छोटी और कितनी बनी होती चली गई कांग्रेस पार्टी।
सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि यह विषय यूपीए के शासनकाल में नवंबर 2012 में शुरू हुआ और सरकार के किसी एजेंसी द्वारा इस मामले की जांच की शुरुआत नहीं की गई लेकिन हाईकोर्ट के निर्देश पर ही कार्रवाई हुई और हाईकोर्ट के निर्देश पर उनको बेल लेनी पड़ी। लेकिन हाई कोर्ट सुप्रीम कोर्ट या सरकार की एजेंसियों के सभी से बढक़र मानते हैं खुद को गांधी परिवार और कांग्रेस के नेतागन। सुधांशु त्रिवेदी ने कहां की जिस पार्टी के पूर्व प्रधानमंत्रियों ने सरकार में रहते अपने को ही भारत रत्न अर्पित कर लिया था मतलब आत्मार्पित किया था। उसी पार्टी के और उसी परिवार के लोगों ने अध्यक्ष बनने के बाद स्वतंत्रता संग्राम सेनानियो के सहयोग से बनी हुई संस्था के सारी संपत्ति और धन को अपने को अर्पित कर लिए, जिस संस्था को कांग्रेस पार्टी ने ही बनायी थी। यह दर्शाता है कि स्वतंत्रता संग्राम के स्वघोषित स्वयंभू उत्तराधिकारी वास्तविकता में उनके साथ क्या कर रहे हैं। सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि मैं एक अलग से एक बात कहना चाहूंगा हम सबने सुना स्वतंत्रता आंदोलन में कांग्रेस दावा करती थी कि आनंद भवन पार्टी को दे दिया था। यहां एजेएल के रूप् में इस हाथ से दिया और उसे हाथ से 90 करोड़ रूप्ये का लोन लिया फिर खुद ही 90 करोड़ रूप्ये का लोन वापस करके खुद ही अपने को मालिकाना हक दिखा दिया। यानी पार्टी के कितने भवन अपने नाम कर लिया और आनंद की अनुभूति की। यह दर्शाता है कि उनका रोल पुरी तरह से उलट गया है। सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि आज के घटनाक्रम पर देखे पहले पार्टी से जुड़े संस्था की संपत्ति अपने नाम किया और उसके बाद आज पार्टी कार्यालय में ही उपद्रवी गतिविधियों एवं आंदोलन में आगजनी की खबरें आई हैं। यह अपने आप में कांग्रेस के वास्तविक चरित्र को उजागर करता है। सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि मैं एक सवाल और पूछता हूं कि आज सवेरे कांग्रेस की प्रेस ब्रीफिंग में 2 राज्यों के मुख्यमंत्री भी उपस्थित थे मैं उन दोनों से पूछना चाहता हूं कि कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्री अपने अपने प्रदेश के कार्य को छोड़ विगत 3 दिनों से दिल्ली में क्या कर रहे हैं। सुधांशु द्विवेदी ने हंसते हुए कहा कि क्या उन राज्यों में कांग्रेस को लोकतांत्रिक तरीके से चुना नहीं गया था था उनके साथ छल और धोखा नहीं है।
सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि कांग्रेस में यह साबित हो गया कि कांग्रेस केवल और केवल परिवार की पार्टी है क्योंकि राहुल गांधी आज कांग्रेस के अध्यक्ष भी नहीं है और ना ही सदन में नेता प्रतिपक्ष ही है। राहुल गांधी केवल एक सांसद है और वह भी वरिष्ठ सांसद भी नहीं है उनसे कई बड़ी सांसद कांग्रेसमें है लेकिन कांग्रेस या प्रमाणित करता है कि कांग्रेस पद और कद दोनों का कोई महत्व नहीं है। राहुल गांधी के लिए सभी मुख्यमंत्रियों का 3 दिनों तक अपने राज्य का कार्य छोडक़र दिल्ली में आकर धरना प्रदर्शन करना और कोई कारण बताया नहीं जा सकता है। सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि सरकारी एजेंसियों को काम करने से रोकने के लिए दवा बनाना और दबाव को झड़प और आगजनी की सीमा तक ले जाना जो कुछ यह हुआ अगर 3 दिन में यह जमावड़ा हुआ था तो वास्तविक मंतव्य क्या था अब यह किसी से छिपा हुआ नहीं रहा। जांच एजेंसियों पर आरोप लगाना यह कांग्रेस पार्टी की पिछले 8 सालों से एक बड़ी पार्टी से बन गई । कांग्रेस पार्टी सत्ता में खुद सबसे ज्यादा दिन रही है और उसे पता है कि केंद्रीय जांच एजेंसियों पर केंद्रीय नेतृत्व का क्या अर्थ होता है। लेकिन उन्हें अगर कोई जांच एजेंसी जांच के लिए बुला रही है तो उनकी पार्टी एक प्राइवेट कंपनी के मालिक की तरह अपने मालिक की वफादारी के लिए कुछ भी करने को तैयार है यह देश की विपक्षी पार्टी के लिए दुर्भाग्य से ज्यादा कुछ नहीं है।
सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि जब कांग्रेस पार्टी ने एजेएल को 2010 में 90 करोड़ का लोन दिया। कांग्रेस पार्टी का अध्यक्ष सोनिया गांधी थी। एजेएल में कौन थे वही लोग। उसके बाद एजेएल की सारी संपत्तियां कांग्रेस पार्टी के पास आ गयी। उसके बाद कांग्रेस पार्टी ने ही लोन माफ कर दिया। सुधांशु त्रिवेदी में दोहे के तौर पर कहा कि जिस पार्टी का अध्यक्ष सोनिया जी।तेरा तूझको अर्पित, क्या लागे मेरा। यहां तो तेरा मुझको अर्पित, क्या लागे तेरा। यह भारत की जनता नहीं बल्कि कांग्रेस के कार्यकर्त्ताओ के साथ क्या किया। वही सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी का नेतृत्व यह कहता है तन समर्पित, मन समर्पित और यह जीवन समर्पित, चाहता हूं देश की धरती तूझको कुछ और दूं। वो ये कहते हैं कि तेरा तन, मन, धन सब मेरे को समर्पित। इसलिए यह प्रकारण भारत के जांच एजेंसियो के जांच के इतिहास का अपने आप में एक अदभूत और विचित्र उदाहरण है। सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि राहुल गांधी और सोनिया गांधी और यह पहला मामला यूपीए सरकार भी सामने आया दूसरा हाईकोर्ट के आदेश पर जमानत लेनी पड़ी तीसरा कांग्रेस पार्टी के अंदर की संपत्ति का अधिग्रहण किया गया चौथा पहली बार ऐसा हो रहा है कि भ्रष्टाचार को छुपाने के लिए हिंसा का सहारा लेने में किसी भी प्रकार की झिझक नहीं हो रही है कुंडला 557 दिखाई पड़ रही है कि अब कांग्रेस पार्टी एक राजनीतिक दल नहीं रह गई बल्कि एक परिवार की होकर रह गई है यह चिंता का विषय है भारत की जनता के साथ ही कांग्रेस कार्यकर्ताओं के लिए है।