नई दिल्ली : नई टेक्नोलॉजी आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस की वजह से हमारे कई काम आसान हो गये हैं। आजकल चैट जीपीटी और गूगल बार्ड जैसे टूल की मदद से हम अपने कई काम तेजी से कर पा रहे हैं। इसी एआई टेक्नोलॉजी ने केन्द्र सरकार की आयुष्मान भारत योजना के नाम पर प्राइवेट हॉस्पिटलों और नागरिकों द्वारा किए जा रहे बड़े फ्रॉड का पता लगाया है। इस टेक्नोलॉजी ने न सिर्फ फर्जीवाड़े का पता लगाया है, बल्कि 9.5 करोड़ रुपये की रिकवरी भी कराई है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने इस फर्जीवाड़े का पता चलते ही अवैध तरीके से बनाए गए करीब 5.3 लाख आयुष्मान भारत कार्ड को डिसेबल कर दिया। यही नहीं, इस फर्जीवाड़े में शामिल 210 अस्पतालों के खिलाफ कार्रवाई भी की गई है। इन अस्पतालों को आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य स्कीम योजना के पैनल से हटा लिया गया है।
चलाई गई एंटी फ्रॉड ड्राइव
द हिन्दू की रिपोर्ट के मुताबिक, आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस की मदद से फर्जीवाड़े का पता चलने के बाद नेशनल हेल्थ ऑथोरिटी (NHA) ने एक एंटी फ्रॉड ड्राइव चलाई। इस ड्राइव में आयुष्मान भारत स्कीम के तहत की गई करीब 0.18 प्रतिशत अस्पताल भर्तियां फर्जी पाई गईं। इसके बाद करीब 188 अतिरिक्त अस्पतालों को भी सस्पेंड कर दिया गया है और उनपर 20.17 करोड़ रुपये की पेनल्टी लगाई गयी है। NHA ने इस रूटीन जांच में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस की मदद ली। एआई के जरिए इस स्कीम से संबंधित फ्रॉड एक्टिविटी यानी फर्जीवाड़े का पता लगाना आसान हो गया है। नेशनल हेल्थ ऑथिरिटी के इस एआई टूल में ऐसे एल्गोरिदम का इस्तेमाल हुआ है, जो बड़ी मात्रा में डेटा को एनालाइज कर सकता है और होने वाले संदिग्ध ट्रांजेक्शन और संस्थाओं का पता लगा सकता है।
इससे पहले भी नेशनल हेल्थ ऑथोरिटी (NHA) आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य स्कीम को लेकर एंटी-फ्रॉड गाइडलाइंस जारी कर चुका है। जिसके लिए NHA ने राज्य और केन्द्र शासित प्रदेशों में भी नेशनल एंटी फ्रॉड यूनिट (NAFU) गठित की है, जो इस योजना से संबंधित फर्जीवाड़े को राज्य स्तर पर निगरानी कर सके। केन्द्र सरकार ने इस स्कीम को जीरो टॉलरेंस अप्रोच के तहत लागू किया है। इस योजना का लाभ उठाने वाले लाभार्थियों को इंश्योरेंस का लाभ लेने के लिए जरूरी दस्तावेजों को जमा करवाना पड़ता है। साथ ही, उन्हें रोगी की ऑन-बेड फोटो भेजनी पड़ती है। प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के लिए नेशनल हेल्थ ऑथिरिटी ने आधार बेस्ड वेरिफिकेशन प्रक्रिया का इस्तेमाल किया है, ताकि इसका फायदा केवल और केवल जरूरतमंदों को ही पहुंचे।
पहले भी हो चुकी कार्रवाई
इससे पहले भी पिछले साल अप्रैल 2022 में आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (AB-PMJAY) के नाम पर हो रही फर्जीवाड़े का पता चला था। स्वास्थ्य मंत्रालय ने 18,606 अस्पतालों पर फर्जी ट्रांजेक्शन को लेकर 29.72 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया। इसके अलावा 144 अस्पतालों को प्रधानमंत्री जन आरोग्य स्कीम के पैनल से बाहर किया गया। साल 2020 में भी नेशनल हेल्थ ऑथोरिटी ने आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत 171 अस्पतालों को पैनल से हटाया था। इनमें सबसे ज्यादा महाराष्ट्र के 60 और उत्तरप्रदेश के 46 अस्पताल शामिल थे। इनके अलावा तामिलनाडु के 21, झारखंड के 21 और उत्तराखंड के 19 अस्पताल शामिल थे। यही नहीं, हिमाचल प्रदेश और छत्तीसगढ़ के दो-दो अस्पतालों को भी प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के पैनल से बाहर कर दिया।
क्या है आयुष्मान भारत योजना?
मोदी सरकार ने आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (AB-PMJAY) की शुरुआत की है, जिसमें हर परिवार को प्रतिवर्ष 5 लाख रुपये तक का स्वास्थ्य बीमा दिया जाता है। केन्द्र सरकार की यह स्कीम कैशलेस और पेपरलेस है, जिसमें 1,393 हेल्थ बेनिफिट पैकेज दिए जाते हैं। सरकार की इस स्कीम में देश के 19,000 से ज्यादा अस्पताल और हेल्थ केयर इंस्टीट्यूट्स हेल्थ पैकेज ऑफर करती हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, इस स्कीम के तहत करीब 10.74 करोड़ परिवारों (करीब 50 करोड़ लोगों) को इसका फायदा मिलेगा।
नेशनल हेल्थ ऑथिरिटी ने इस योजना का लाभ सबको मिल सके इसके लिए एंटी फ्रॉड यूनिट का भी गठन किया है। यह फॉरेंसिंक टीम नई टेक्नोलॉजी जैसे आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का इस्तेमाल करके लगातार अस्पतालों की निगरानी करती है। यह टीम देश के सभी राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों में समय-समय पर मेडिकल ऑडिट करती है। यह टीम अब तक फर्जीवाड़े में शामिल सैकड़ों अस्पतालों को जांच के बाद शो कॉज नोटिस दे चुकी है।