सतीश मुखिया
मथुरा। भारत गांवो का देश है और आज भी 80% आबादी गांवों में रहती है। भारतीय ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए 70 वर्ष पहले पंचायत राज अधिनियम की शुरुआत की गई जिससे गांव आम जनमानस मजबूत हो सके और गांव के लोगों का जीवन स्तर ऊपर उठ सके लेकिन आज भी 70 वर्ष बीतने के उपरांत भारतीय गांव 70 वर्ष पहले जहां खड़े थे आज भी वहीं पर खड़े हुए दिखाई दे रहे है। जिसका एक उदाहरण मथुरा भगवान श्री कृष्ण की नगरी ब्रज में स्थित जिला मुख्यालय से लगभग 10 किलोमीटर और आगरा-दिल्ली हाईवे संख्या 19 से 5 किलोमीटर दूरी पर स्थित ग्राम पंचायत फेंचरी में देखने को मिला। यह गांव आज भी विकास से कोसों दूर खड़ा नजर आता है।
आज से एक हफ्ते पहले उत्तर प्रदेश इलाहाबाद हाई कोर्ट द्वारा एक टिप्पणी आई कि जो महिलाएं ग्राम पंचायत में प्रधान पद पर चुनाव जीती हुई है और उनके पति उनकी जगह उनकी पावर का गलत इस्तेमाल कर रहे हैं उन प्रधानों पर हाईकोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि महिला सशक्तिकरण के लिए सरकारों द्वारा जो 50 परसेंट आरक्षण पंचायत में दिया गया था उसका दुरुपयोग हो रहा है। महिलाएं पंचायत चुनाव जीतने के बाद में सिर्फ कठपुतली की तरह रह गई है और उनकी प्रधानी के अधिकारों का उनके पति, उनके पुत्र और उनके देवर या अन्य व्यक्ति गलत इस्तेमाल कर रहे हैं और कोर्ट ने यह भी कहा कि उत्तर प्रदेश में प्रधान पति बड़ा ही प्रसिद्ध शब्द है इसी कड़ी में आज प्रस्तुत है ब्रज की दहलीज से पंचायत फेंचरी की ग्राउंड रिपोर्ट-
भाग/1
सुबह 08:00 बजे मोटरसाइकिल से एक मित्र के साथ गांव फेंचरी की तरफ प्रस्थान हुआ, जिसकी आबादी लगभग 1800 के आसपास है। इस पंचायत की प्रधान रजनी सिरोही है और जिस पंचायत को हम लोग मजबूत करने की बात कर रहे है वही पंचायत घर इस गांव में नगण्य है। गांव में घुसते ही टूटी सड़के, जाम नालिया और सड़क पर भरे हुए गंदे पानी ने हम लोगों का स्वागत किया। वहां राहगीरों से प्रधान जी के घर का पता पूछा और हम गांव के मध्य स्थित एक मंदिर के पास पहुंचे वहां पर हमने अपनी मोटरसाइकिल को खड़ा किया और एक परचून की दुकान पर एक युवा से बातचीत की जिस पर युवा प्रदीप चौधरी ने बताया कि प्रधान जी मथुरा रहते हैं और गांव में भी रहते हैं। जिस पर हमने प्रधान जी को दूरभाष के द्वारा संपर्क करने की कोशिश की जिस पर बड़ी मुश्किल से 5G नेटवर्क से संपर्क हुआ और कहा कि प्रधान जी हम आपसे मिलना चाहते हैं और हाई कोर्ट के द्वारा जो महिला प्रधानों के ऊपर टिप्पणी गई है उस पर आपकी राय जानना चाहते हैं इस प्रधान जी ने कहा कि आप इंतजार करिए रास्ते में है हम आपको प्राथमिक विद्यालय पर मिलेंगे।
इसी बीच हमने ग्राम का भ्रमण किया और देखा कि सुबह सुबह ग्रामीण जीवन जिस तरह से होता है उसी तरह से जीवन चल रहा था और गांव में जो व्रत प्रथा की हरिजन महिलाएं हैं वह गांव का कूड़ा करकट व नालियों से कचरा हटा रही थी, कुछ लोग अपना ट्रैक्टर लेकर खेत जोतने जा रहे थे। महिलाएं सिर पर पानी भरकर लेकर आ रही थी और बच्चे स्कूल जाने की तैयारी कर रहे थे। ग्राम पंचायत में चारो तरफ गंदगी का अंबार था, पूछने पर कि चौधरी साहब क्या यहां पर साफ सफाई वाला नहीं आता है तो गांव वालों ने कहा कि यहां पर दो साफ सफाई वाले सरकार की तरफ से नियुक्त है मगर वह कभी कभार ही दिखाई देते हैं एक तरफ केंद्र सरकार के मुखिया माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी स्वच्छ भारत मिशन चला रहे हैं वहीं उनके अधीनस्थ कर्मचारी साफ सफाई अभियान को ठेंगा दिखाए हुए हैं, इसी बीच हम लोग विद्यालय की तरफ गए और देखा कि सर्दी होने के कारण स्कूल खुलने में देरी थी कुछ बच्चे अपने बस्ते लेकर विद्यालय के अंदर पहुंच चुके थे और हाथ में झाड़ू लेकर के विद्यालयों की साफ सफाई करने में लग गए।
अब सवाल यह उठता है कि जब विद्यार्थी सुबह-सुबह विद्यालय की सफाई करेगा, तो सफाई कर्मी क्या करेगा। वह पढ़ाई कब करेगा क्या ऐसे पढ़ेगा भारत और ऐसे बढ़ेगा भारत। एक तो सरकारी विद्यालय में माता पिता बच्चो को पढाने में शर्माते है वही यह स्थिति देख कर रहे सहे बच्चे भी निजी विद्यालय की तरफ रुख कर लेंगे। प्रदेश सरकार और केंद्र सरकार पंचायतों को ओ डी एफ मुक्त घोषित कर रहे है वही दूसरी तरफ गांवों में सार्वजनिक शौचालय का बुरा हाल है। इसी बीच प्रधान जी का आगमन हुआ और हमने बताया कि मान्यवर हमारी आपसे बात हुई थी उस पर उन्होंने कहा जी आपका स्वागत है.हमने कहा कि क्या आप प्रधान हैं उस पर उन्होंने कहा नहीं मैं प्रधान नहीं हूं मेरी धर्मपत्नी प्रधान है तो अच्छा आप प्रधान पति है आप जो भी समझ ले,मैंने कहा कि हम प्रधान जी से मिलना चाहते हैं तो उन्होंने कहा कि उनकी तबीयत सही नहीं है जिस कारण हम ही आए हैं और हम आपसे बात करेंगे। हमने कहा कि पंचायत राज व्यवस्था पर इलाहबाद हाईकोर्ट की टिप्पणी है उसे पर आप क्या कहना चाहेंगे उस पर वह बोले कि हमारी धर्मपत्नी जो महिला प्रधान है वह काम करती हैं लेकिन स्वास्थ्य खराब होने के कारण आज वह यहां उपलब्ध नहीं है।
आज सरकार की तरफ से गांव में एक संकल्प यात्रा का आयोजन है जिसमे हम आए हुए है। आप थोड़ा सा हमको गांव घुमा दीजिए तो वह बोले कि आप लोगो को कुछ नाश्ता हुआ है मैंने कहा कि हमको नाश्ते की आवश्यकता नहीं है हमको अगर आप चाय पिला सकते हैं तो पिला दीजिए। इसी दौरान बातचीत करते हुए हम उनके घर पर पहुंचे तो रास्ते में हमने देखा कि जगह-जगह कूड़े गोबर के ढेर लगे हुए थे व नालियों में कचरा जाम था और तालाबों के बारे में पता करने पर बताया कि गांव में 05 तालाब थे जिनमें से दो तालाबों पर आंशिक रूप से कब्जा हो चुका है और तीन तलाक अभी भी है उनमें गंदगी की भरमार थी जिसको पशु पीने में असमर्थ है। आप लोगों ने क्या विकास किया है तो उन्होंने कहा कि विकास हम भी करना चाहते हैं और उसी उम्मीद से हमने चुनाव लड़ा था। हमको गांव वालों ने भारी समर्थन भी दिया लेकिन उस हिसाब से हम विकास कर नहीं कर पा रहे हैं, उन्होंने मौखिक बातचीत के दौरान कहा कि बहुत सारी समस्याएं हैं, प्रशासनिक अड़चने है, अधिकारियों का सहयोग,फंड की कमी और सही तरह से योजनाओं का क्रियान्वनन न होना।जितना फंड सरकार के द्वारा हम लोगों को मिलना चाहिए उतना फंड हम लोगो को नहीं मिलता। उस कारण हम सभी कार्यों को करने में असमर्थ हैं और उन्होंने कुछ पंचायत का उदाहरण दिया कि कुछ पंचायतों के सचिवों ने कैसे प्रधानों की नाक में दम किया हुआ है और उच्च स्तर की राजनीति के द्वारा प्रधानों के अधिकारों को सीज करवा दिया है।
प्रधान को 5000 रुपए मिलते है उससे गाड़ी के तेल की पूर्ति भी नही हो पाती. हमने अंत में कहा कि आप चलो श्मशान दिखा दीजिए तो बोले कि आज मेरे घर में एक शादी है तो फिर हमने उनको स्वयं ही मना किया कि आप शमशान मत जाइए बोले कि शमशान का रास्ता बहुत खराब है वहां जाने में असमर्थता है तो हमने कहा कि अंतिम स्थान पर सभी बराबर है क्या धर्म, जाति पंथ, उन्होंने कहा आपकी बात बिल्कुल सही है लेकिन कुछ परेशानियां है जिनके कारण हम पूर्ण रुप से विकास नहीं कर पा रहे है, हम विकास की पूरी कोशिश में लगे हुए हैं और हम इस पंचायत को एक अच्छी पंचायत बनाने की कोशिश करेंगे। हम आपको सफाई कर्मचारियों से मिलवा देते मिलवा देते हैं तब सफाई कर्मचारियों के मिलने पर हमने उनसे बात की तो उन्होंने कहा कि सर हम रेगुलर आते हैं कभी उत्तर प्रदेश सरकार हमें कहीं ड्यूटी पर लगा देती है और कभी कहीं। उन्होंने कहा कि अभी कुछ दिन पहले मथुरा में सूबे के मुख्यमंत्री माननीय योगी आदित्यनाथ जी और देश के प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी जी आए थे। जिस कारण हम लोग गांव में नहीं आ पाए।
गांव की महिलाओं से बात करने पर बताया कि गांव में पानी की बड़ी विकट समस्या है इसका निस्तारण कराया जाए इसी बीच हम बातचीत करते हुए गांव के प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालय में पहुंचे जिस पर हमने कुछ शिक्षकों से बात की तो उन्होंने बताया कि गांव है और हम लोग रोजाना कुछ समस्याओं का सामना करते हैं,आने में दिक्कत होती है , बायोमैट्रिक अटेंडेंस का जो मुद्दा चल रहा है उसके मुद्दे पर भी हमने शिक्षकों से बात करने की कोशिश की तो शिक्षकों ने अपना नाम छुपाने की शर्त पर बताया कि हम सब लोग उसका विरोध करते हैं और उसके उन्होंने बहुत सारे कारण है! हमने कहा कि सर विद्यालय बच्चे/ बच्चियां झाड़ू लगा रहे हैं उस पर आप क्या कहेंगे तो उन्होंने कहा कि सर या तो झाड़ू हम लगाते हैं या बच्चे झाड़ू लगाते हैं यहां सफाई कर्मचारी नहीं आते है। हमने कहा कि आप ने अपने खंड शिक्षा अधिकारी को उसके बारे में सूचना दिया और प्रधान जी को बताया तो बोले सर हमने बताया है और इस पर यथाशीघ्र कार्रवाई होगी। इसी मध्य लगभग एक कार विद्यालय में प्रवेश करती है ,पता करने पर पता लगता है कि एक अध्यापिका आई है। हमने कहा कि सर समय तो ज्यादा हो गया है तब वह बोले कि दूर से आती है लेकिन जो शिक्षामित्र है और उनकी तनख्वाह कम है उनका समय से आना जरूरी है, मध्यान भोजन का पता करने पर पता कि अक्षय पात्र के यहां से विद्यालय में भोजन किआपूर्ति की जाती है।
अंत में पंचायत के विकास का मुद्दा पीछे छूट चुका था क्या मनरेगा, मुफ्त राशन , प्रधान मंत्री आवास योजना, अमृत सरोवर योजना और क्या प्रधानपति पर की गई इलाहबाद हाईकोर्ट की टिप्पणी शायद यही भारत की जीवटता है कि सभी व्यस्त है और सभी मस्त है कि इतने विरोध होने पर भी हम अपने कर्तव्यों को निभा रहे है और बुरे वक्त में एक दूसरे का साथ निभाने को तैयार है।