सतीश मुखिया
मथुरा : आज महिला सशक्तिकरण के हालात जानने को लेकर ऊंचा गांव पंचायत में जाना हुआ। यह पंचायत खंड-मथुरा, विधानसभा- गोवर्धन, जिला- मथुरा, उत्तर प्रदेश के अंतर्गत आती है। इसकी आबादी 2011 की जनगणना के अनुसार 3400 के आसपास है और इस पंचायत की प्रधान ओमवती देवी है जो कि आरक्षित वर्ग से आती है। यह ग्राम पंचायत 6 से 7 छोटे-छोटे मजरो से मिलकर बनी हुई है इस पंचायत के अंतर्गत नगला बहरावली, रामनगर कुदरवन, धनीपुरा ,नगला मेरठिया आदि शामिल है पेश है ग्राउंड रिपोर्ट-
आज सुबह तड़के आज सुबह 8:00 बजे मंडी चौराहे से सौंख रोड लेते हुए ऊंचा गांव पंचायत पहुंचे जो कि मंडी चौराहे से लगभग 6 से 7 किलोमीटर की दूरी पर स्थिति है। वहां पर ग्राम प्रधान का घर का पता पूछने पर ग्रामीणों ने बताया कि वह आरक्षित समाज से है और नगला रामनगर में रहती हैं वहां पर पहुंचकर प्रधान जी के पुत्र रोहतांग सिंह से मुलाकात हुई। इसी मध्य चर्चा के दौरान उन्होंने बताया कि यह इस गांव में मिश्रित आबादी है जिसमें ब्राह्मण, ठाकुर, जाट, दलित व अन्य समाज के लोग रहते हैं। उन्होंने बातचीत के दौरान बताया कि पास के ही कुदरवन में एक तालाब है जो कि काफी पुराना है उसमे बड़ी भारी मात्रा में जीव जंतु रहते है और उसकी गहराई काफी है और वहां पर पुराने मंदिर भी है जिनको सहेजने की जरूरत है, हम लोगो ने अमृत सरोवर योजना के तहत विभाग में योजना लगा दी है जिससे कि इस तालाब का संरक्षण किया जा सके।
हमारी माता जी जब गांव की प्रधान बनी उस समय गांव में काफी समस्या थी हमने उन पर काफी हद तक काबू पा लिया है। हमारे यहां प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत अभी कोई आवास नही बना है अभी 25 फाइल भरवाये है और गांव में खेल का मैदान भी नही है, ना ही श्मशान लेकिन गांव में राशन की दुकान खुलवाए है जिससे दलितों, वंचितों और सर्व समाज के लोगो को राशन समय से मिल रहा है। मनरेगा के तहत भी काम कराए है, पानी की समस्या है, खरा पानी है उसको हाल करने में लगे हुए है। हमारे यहां सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जे है जिनको हम मुक्त करा रहे है और अभी किसी के देहांत होने पर सभी ग्रामीण अपनी सुविधा अनुसार पार्थिव शरीर की अंतिम अंतिम क्रिया कर देते हैं। दिल्ली के एक सज्जन भास्कर जी द्वारा 15 लाख रुपए दिए है जिससे जमीन खरीद कर खेल का मैदान बना दिया गया है और अभी उसके रास्ते की समस्या आ रही है जिसको शीघ्र निपटा लिया जाएगा। जिससे कि बच्चे उसमें खेल कूद सके और खेलकूद का सामान अभी हम लोगों को नहीं मिला है। आपके पास कितने कर्मचारी है पूछने पर बताया कि पंचायत में दो नियमित सफाई कर्मचारी हैं और एक प्राइवेट कर्मचारी हम लोगों ने रखा हुआ है, स्वाथ्यकर्मी, एक पंचायत सहायक भावना, रोजगार सहायक का अभी हस्तांतरण हो गया है और इसकी जिम्मेदारी लाखन सिंह व पंचायत सचिव के नीलम अग्रवाल के रूप में कार्यरत है।
यह सभी लोग पंचायत घर में सुबह 10 बजे से शाम को 4 बजे तक लगातार बैठते है और दैनिक कार्यों को सुचारू रूप से निपटाते है।गांव का पंचायत भवन ऊंचा गांव में बना हुआ है और वहीं पर एक स्वास्थ्य विभाग का छोटा सा कार्यालय भी है। पंचायत में दो प्राथमिक विद्यालय है और एक आंगनबाड़ी है और इस पंचायत में बिजली ज्योति ग्राम योजना के अंतर्गत 2014 के आसपास आई है.
हम लोग गांव के विकास के लिए सतत रूप से अग्रसर है और गांव का विकास करना चाहते हैं। हम लोगो को जितनी धनरासी पंचायत के विकास के लिए चाहिए वह नही मिल पा रही है हम लोग चाहते है कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस और ध्यान दे और पंचायतों में फंड की मात्रा बढ़ाएं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी कहते है सबका साथ, सबका विकास वह इस सरकार में कारगर हो रहा है। डॉक्टर भीम राव अंबेडकर ने हम लोगो को सिखाया है कि संघर्ष करो और आगे बढ़ो इसी पंक्ति को ध्यान में रखते हुए हम हमारी माता जी के कामों में सहयोग करते है।माताजी गांव की प्रधान है और उनके सभी कार्य हम लोग देखते हैं, जरूरत पड़ने पर वह भी खंड विकास अधिकारी के कार्यालय मथुरा में जाती है हम सुचारू रूप से 3 महीने में बैठकों का आयोजन करते हैं जिसमें प्रस्तावों पर खुले रूप से चर्चा की जाती है और प्रस्तावों पर मुहर लगवाई जाती है। हमारे कार्यकाल के दौरान गांव में कोई भी झगड़ा नहीं हुआ है और ना ही हमने किसी पर हरिजन एक्ट लगने दिया है। यह सब लोग शांति से रहते है और आपसी विवादो को मिल बैठकर सुलझा लेते है।
आगे बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि अभी सरकार के द्वारा गांव-गांव में संकल्प यात्रा निकाली जा रही है उसका भी हमारे यहां एक-दो दिन में कार्यक्रम होने वाला है। इसी बीच प्रधान पुत्र के कहने पर पंचायत सहायक भावना द्वारा पंचायत भवन का निरीक्षण कराया और बताया कि यह पंचायत घर है। यह देख कर अच्छा लगा कि लड़कियां आगे बढ रही है और यह समाज व अपने परिवार के लिए नए आयाम स्थापित कर रही है, शायद इनमे ही कोई नई किरण बेदी हो या कल्पना चावला। वहीं पर मौजूद अन्य ग्रामीणों ने बात करने पर नाम न छापने की शर्त पर बताया कि वर्तमान प्रधान के द्वारा गांव में कोई भी काम नहीं कराया जा रहा है और हर काम के लिए वर्तमान प्रधान सुविधा शुल्क की मांग करते हैं और वह अपने लोगों का काम ही करते हैं।
हमने कहा कि प्रधान पुत्र बोल रहे हैं कि हमारे रहते गांव में कोई भी लड़ाई, झगड़ा, दंगा ,फसाद आज तक नही हुआ है और ना किसी पर हरिजन एक्ट लगा है तब ग्रामीणों ने कहा कि खुद प्रधान के परिवार के लोगों पर पोस्को एक्ट लगा हुआ है जिसकी आप सही तरीके से जांच पड़ताल करें। आरोप प्रत्यारोप का दौर शुरू हो चुका था और पंचायत के विकास का मुद्दा नेपथ्य में। क्या ऐसे होगा महिला सशक्तिकरण जिस महिला पर पर पंचायत को मजबूत करने की जिम्मेदारी है वह बात करने को भी तैयार नहीं है। प्रधानपुत्र के अनुरोध करने पर महिला प्रधान घर से आई और फोटो खींच लेने के उपरांत हमारे द्वारा पूछने पर बताया कि अम्मा क्या आप प्रधान है तो वह उठकर चली गई अब सवाल उठता है कि एक तरफ केंद्र सरकार और राज्य सरकार महिला सशक्तिकरण को लेकर के तमाम वादे कर रहे हैं मगर ग्रामीण स्तर पर महिला सशक्तिकरण होता नजर नहीं आ रहा है आज भी उनके सारे कार्य प्रधान पुत्र, प्रधान देवर, प्रधान पति ही कर रहे हैं। हालिया दिनों में इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा जो महिला प्रधानों को लेकर जो टिप्पणी की गई है वह जायज ही लगती है।
शायद गांव में विकास नाम के मुद्दे हम पीछे छोड़ चुके थे और चलने को तैयार थे तभी अचानक पंचायत भवन के पीछे की बाउंड्री वॉल पर नजर पड़ी जो टूटी हुई थी और उसके सामने टूटी सड़क पर भरा गंदा पानी, जगह-जगह फैला हुआ कचरा मुंह चिढ़ा रहा था और कर रहा था कि ऐसे स्वच्छ भारत मिशन का क्या फायदा जो कि सिर्फ कागजों में ही हो सब तरफ पंचायत ओ डी एफ हो चुकी है मगर आज भी जहां तहां आपको पंचायत में गंदगी का ढेर देखने को मिल जाएगा। हम इसी उम्मीद में वहां से चल चुके थे कि शायद जब अगली बार मौका मिलेगा तो इस पंचायत में विकास हो चुका होगा और यह पंचायत अपना नाम स्वर्ण अक्षरों में लिखा कर नए आयाम स्थापित करेगी।