नई दिल्ली: स्मार्टफोन हमारी जिंदगी का अहम हिस्सा बन चुके हैं। लेकिन सिम कार्ड और मोबाइल नेटवर्क की अहमियत भी कम नहीं है। बैंकिंग ऐप्स एक्सेस करना हो, ईमेल चेक करना हो या फिर सोशल मीडिया सर्फिंग हो- इन सभी कामों के लिए मोबाइल नेटवर्क का होना बेहद जरूरी है। लेकिन ध्यान रहे कि स्कैमर्स आजकल, लोगों को टारगेट करने के लिए नए-नए हथकंडे आजमा रहे हैं। हाल ही में सामने आए साइबरक्राइम के कई मामलों में सिम स्वैपिंग (SIM Swapping) के जरिए लोगों को निशाना बनाने के मामले सामने आए हैं।
आखिर क्या है सिम स्वैपिंग?
जैसा कि नाम से जाहिर होता है सिम स्वैपिंग एक प्रोसेस है जिसमें स्कैमर्स, किसी यूजर के सिम कार्ड को एक्सेस हासिल कर लेते हैं। साफ शब्दों में कहें तो इसे डिजिटल आइडेंटिटी चोरी कहा जा सकता है। एक बारे सिम कार्ड का एक्सेस हासिल करने के बाद ये फ्रॉड, यूजर के दोस्तों और परिवार से पैसे मांगते हैं। ये स्कैमर्स, यूजर की ऑनलाइन बैंकिंग के अलावा सोशल मीडिया प्रोफाइल का कंट्रोल भी ले लेते हैं।
OTP बेस्ड टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन अब अधिकतर ऑनलाइन प्रोडक्ट्स और सर्विसेज के लिए मेनस्ट्रीम हो गई है। इनमें इटंरनेट बैंकिंग और सिम कार्ड तक अपराधियों की पहुंच जैसे नुकसान वाले कामों को रोका जा सके। इसलिए जरूरी है कि आप सतर्क रहें और जानें कि इस तरह के साइबरक्राइम से किस तरह से बचा जा सकता है।
जानें सिम स्वैपिंग जैसे फ्रॉड से बचने के टिप्स…
सुनिश्चित करें कि व्यक्तिगत पहचान प्रमाणपत्र ऑनलाइन उपलब्ध नहीं हों
कुछ स्कैमर्स यूजर की बहुत सारी जानकारी जैसे आधार कार्ड जैसे पहचान पत्र इकट्ठे कर लेते हैं और फिर डुप्लीकेट सिम कार्ड के लिए अप्लाई करते हैं। सफल होने पर ये साइबर क्रिमिनल्स आपके फोन नंबर का एक्सेस हासिल कर लेते हैं।
इसलिए ध्यान रहें कि हमेशा सजग रहें और आपके सिम कार्ड में हमेशा नेटवर्क कवरेज उपलब्ध हो। अगर आपके सिम कार्ड से नेटवर्क कनेक्टिविटी चली जाती है तो संभव है कि किसी और को आपके फोन नंबर का एक्सेस मिल गया हो। अगर आप अपने नंबर से मैसेज नहीं भेज पा रहे हैं और फोन कॉल नहीं कर पा रहे तो हो सकता है कि आप सिम स्वैप के शिकार हो गए हों।
फिशिंग और स्मिशिंग से बचकर रहें
बता दें कि स्मिशिंग और फिशिंग, साइबर क्रिमिनल्स द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले दो बेहद आम हैकिंग के तरीके हैं। इस तरह के फ्रॉड में ये स्कैमर्स, लोगों को असली जैसे दिखने वाले फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन और प्रॉम्प्ट भेजते हैं और पर्सनल डिटेल्स वाले फॉर्म को भरने के लिए कहते हैं। कई बार आपसे ये फ्रॉड फोन में कुछ ऐप्स डाउनलोड करने का लालच देकर फंसा सकते हैं। अगर आपने एक बार फोन में ये ऐप्स डाउनलोड कर लिया तो ये हैकर्स तो रिमोट लोकेशन से आपके फोन का कंट्रोल पा सकते हैं।
बता दें कि इस तरह के फ्रॉड में स्कैमर्स, किसी फिजिकल सिम कार्ड के एक्सेस के बिना ही आपके फोन और सिम कार्ड का रिमोट एक्सेस पा सकते हैं।
सिम स्वैपिंग को कैसे रोकें?
अगर आप अपने फोन या सिम कार्ड का एक्सेस गंवा बैठते हैं तो सबसे पहले अपने नेटवर्क प्रोवाइडर को संपर्क करें और सिम कार्ड को ब्लॉक करें। इसके बाद डुप्लीकेट सिम कार्ड लें। ध्यान रहे कि एक ही नंबर के लिए दो सिम कार्ड रखना गैर कानूनी है। इसलिए स्कैमर्स आपके सिम कार्ड का गलत इस्तेमाल नहीं कर सकेंगे।
अपना सिम कार्ड ब्लॉक कराकर, आप सिम स्वैपिंग से खुद को बचा सकते हैं। सिम कार्ड के एक्सेस के लिए एक पासवर्ड की जरूरत होती है। अगर आप पासवर्ड भूल गए हैं तो आपको डुप्लीटकेट सिम कार्ड के लिए अपने नेटवर्क प्रोवाइडर से कॉन्टैक्ट करना होगा। जब कोई सिम कार्ड एक फोन से दूसरे में ट्रांसफर किया जाता है तो सिम लॉक होता है और सही पासवर्ड के बिना आप नेटवर्क सर्विसेज को इस्तेमाल नहीं कर सकते।
फ्रॉड से बचने में कारगर हो सकते हैं eSIM कार्ड
अगर आपके पास ऐसा फोन है जो eSIM सपोर्ट करता है तो आप अपने फिजिकल सिम कार्ड को eSIM में कनवर्ट करा सकते हैं। ईसिम अपनाकर आप संभव सिम स्वैपिंग से खुद को बचा सकते हैं। और डिवाइस को अनलॉक किए बिना ईसिम को ट्रांसफर करना लगभग नामुमकिन है। अगर फोन चोरी भी हो जाता है तो भी यूजर ई-सिम कार्ड के साथ सिम-स्वैप फ्रॉड से बच सकते हैं।
सोशल मीडिया हैक से बचने के लिए जरूरी है कि OTP की जगह टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन का इस्तेमाल करें।