सतीश मुखिया
मथुरा: आजादी के 78 वर्ष बीतने को है और अगले महीने देश 15 अगस्त को स्वाधीनता दिवस मनाएगा लेकिन भारत के गांवों में रहने वाली 70% आबादी आज भी मूलभूत सुविधाओं बिजली पानी, सड़क स्वास्थ्य, शिक्षा और सुरक्षा से वंचित है। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ उनके विकास हेतु प्रयासरत हैं और विकास योजनाओं को सफलतापूर्वक लागू कर रहे हैं।
केंद्र सरकार और प्रदेश सरकार की सोच बिल्कुल स्पष्ट है कि समाज में अंतिम पायदान पर खड़े हुए व्यक्ति का विकास बहुत जरूरी है और इसी को ध्यान में रखते हुए कार्य योजनाओं का संचालन किया जा रहा है लेकिन क्या यह योजनाएं जमीनी धरातल पर सही तरीके से लागू हो रही है यह देखना अति आवश्यक है। भारतीय अर्थव्यवस्था की रीड प्राथमिक सेक्टर है जिसका पुनः उत्थान करना अति आवश्यक है और उसके लिए सरकार द्वारा कुटीर उद्योग, मछली पालन, पशुपालन, डेयरी पालन, स्वयं सहायता समूह सहित विभिन्न कार्यक्रमों का संचालन किया जा रहा है जिससे कि गांव में रहने वाले लोगों की आय में इजाफा हो सके और उन लोगों का जीवन स्तर ऊपर उठ सके।
देश के सभी गांव को प्रधानमंत्री सड़क योजना के तहत ब्लॉक से जोड़ा जा रहा है और उन जनता को आवागमन के सुगम साधन उपलब्ध कराए जा रहे हैं। पंचायत राज मंत्रालय और ग्रामीण विकास मंत्रालय सहित सभी विभाग अंतिम व्यक्ति के विकास हेतु उसे नहीं संचालित कर रहे हैं और उनके क्रिया वर्णन की जिम्मेदारी जनपदों में तैनात पंचायत राज्य अधिकारियों और मुख्य विकास अधिकारियों के जिम्मे है। इन अधिकारियों द्वारा अपनी जिम्मेदारियां को सफलतापूर्वक निर्वहन किया जा रहा है लेकिन उनके कार्यालयो में पदस्थ कुछ कट्टर ईमानदार बाबू के द्वारा इन कार्य योजनाओं के क्रियावनन में जानबूझकर रुकावटें पैदा की जा रही है।
उत्तर सरकार द्वारा चयनित पंचायतो को प्रोत्साहन परफॉर्मेंस ग्रांट के तहत धनराशि आवंटित की जिससे कि यह पंचायत अपना विकास करके एक मॉडल तैयार करें जिससे अन्य पंचायत इनका अनुसरण करें और उनके रास्ते पर चले लेकिन जिला पंचायत कार्यालय में उपस्थित प्रधानों के रिश्तेदारों ने इन पंचायत के विकास पर पूर्ण विराम लगा दिया है। इन लोगो ने परफॉर्मेंस ग्रांट के तहत मिली हुई धनराशि को खुर्द बुर्ध कर दिया है। जब पंचायत के स्थानीय निवासियों ने इसकी शिकायत विभाग को की तब इन्होंने उन फाइलों को दबबा दिया और उस पर यह कट्टर ईमानदार कुंडली मारकर बैठ गए।
यह कट्टर ईमानदार लोग इतने सामर्थवान और मजबूत है कि ब्लॉक में पदस्थ खंड विकास अधिकारियों और सहायक विकास अधिकारियों की भी कतई सुनने को तैयार नहीं है और उनके आदेशों की खुले आम अवहेलना कर रहे हैं। सूत्रों ने बताया कि यह खुले आम कहते हैं कि आप किसी को भी शिकायत कर लो कुछ नहीं होने वाला रिपोर्ट तो हमको ही भेजनी है जो हम भेजेंगे वही होगा, अधिकारी का क्या है आते हैं जाते हैं, पहले भी आए हैं और फिर आएंगे, ज्यादा उधम पे लोगे तो किसी मुकदमे में धरवा देंगे। अब सवाल यह उठता है एक तो गरीब आदमी रोजमर्रा की समस्याओं से ग्रसित है और ऊपर से वह अपने आपको कानूनी मकड़ जाल में फंसाकर अपना और अपने परिवार का बेड़ा गर्ग कर ले क्या इसीलिए डॉ०भीमराव अंबेडकर ने भारतीय संविधान लिखा था कि शोषण करने वाले शोषण करते रहें और अंतिम व्यक्ति सवाल भी ना पूछ पाए।