Upgrade
पहल टाइम्स
  • होम
  • दिल्ली
  • राज्य
  • राष्ट्रीय
  • विश्व
  • धर्म
  • व्यापार
  • खेल
  • मनोरंजन
  • गैजेट्स
  • जुर्म
  • लाइफस्टाइल
    • स्वास्थ्य
    • फैशन
    • यात्रा
  • विशेष
    • साक्षात्कार
  • ईमैगजीन
  • होम
  • दिल्ली
  • राज्य
  • राष्ट्रीय
  • विश्व
  • धर्म
  • व्यापार
  • खेल
  • मनोरंजन
  • गैजेट्स
  • जुर्म
  • लाइफस्टाइल
    • स्वास्थ्य
    • फैशन
    • यात्रा
  • विशेष
    • साक्षात्कार
  • ईमैगजीन
No Result
View All Result
पहल टाइम्स
No Result
View All Result
  • होम
  • दिल्ली
  • राज्य
  • राष्ट्रीय
  • विश्व
  • धर्म
  • व्यापार
  • खेल
  • मनोरंजन
  • गैजेट्स
  • जुर्म
  • लाइफस्टाइल
  • विशेष
  • ईमैगजीन
Home राज्य

‘तलाकशुदा पति को हर माह गुजारा भत्ता दे पत्नी’ हाईकोर्ट का बड़ा आदेश

पहल टाइम्स डेस्क by पहल टाइम्स डेस्क
March 31, 2022
in राज्य
A A
court
1
VIEWS
Share on FacebookShare on Whatsapp

मुंबई l बॉम्बे हाईकोर्ट की औरंगाबाद बेंच ने एक महिला टीचर को आदेश दिया है कि वह अपने पूर्व पति को हर माह गुजारा भत्ता दे, क्योंकि पति की सेहत ठीक नहीं रहती और माली हालत भी खराब है. दरअसल, नांदेड़ की निचली अदालत ने यह फैसला सुनाया था जिसे उच्च अदालत ने भी बरकरार रखा है.

दोनों का विवाह 17 अप्रैल 1992 को हुआ था. पत्नी ने बाद में क्रूरता को आधार बनाते हुए शादी को भंग करने की मांग की और आखिरकार 2015 में नांदेड़ की अदालत ने तलाक को मंजूरी दे दी थी.

इन्हें भी पढ़े

kisan

13 साल में किसानों को कितना दिया मुआवजा? SIT जांच शुरू

December 3, 2023
देह व्यापार

मॉल में चल रहा था ‘सेक्स बाजार’, पकड़ी गईं 44 लड़कियां और 21 लड़के

December 3, 2023
akhilesh yadav

पीडीए की बिसात पर मात खा गई सपा

December 3, 2023
Election Commission suspended Telangana DGP

चुनाव आयोग ने तेलंगाना के डीजीपी को किया सस्पेंड, जानिए वजह

December 3, 2023
Load More

इसके बाद पति ने नांदेड़ की निचली अदालत में याचिका दायर कर पत्नी से 15,000 रुपये प्रति माह की दर से स्थायी गुजारा भत्ता देने की मांग की. पति ने तर्क दिया था कि उसके पास आय का कोई साधन नहीं है जबकि पत्नी ने एमए और बीएड तक पढ़ी-लिखी है और और एक स्कूल में काम कर रही है.

पत्नी को पढ़ाने में योगदान दिया

पति ने दावा किया कि पत्नी को डिग्री दिलावाने के लिए उसने अपनी महत्वाकांक्षाओं को दरकिनार किया और घर से जुड़ी चीजों को मैनेज किया था. यह भी दलील दी गई कि नौकरी करने से पहले भी पत्नी ट्यूशन क्लास ले रही थी और परिवार के लिए आय अर्जित कर रही थी.

अपमान और उत्पीड़न भी सहा

महिला के पति ने अदालत से यह भी कहा था कि वैवाहिक संबंधों में उसे अपमान और अत्याचार का सामना करना पड़ा, क्योंकि पत्नी ने गलत और बेईमानी के इरादे से तलाक के लिए याचिका दायर की थी. पति ने यह भी कहा कि वह न तो कोई नौकरी कर रहा है, न ही उसके पास कोई चल-अचल संपत्ति है, और न ही उसकी कोई स्वतंत्र आय है.

30 हजार कमाती है पत्नी

यह भी दलील दी गई कि उसकी सेहत भी ठीक नहीं रहती है और जीवन यापन के लिए कोई नौकरी हासिल करने में असमर्थ है. वहीं, पत्नी हर महीने 30 हजार रुपये का वेतन अर्जित करती है और उसके पास मूल्यवान घरेलू सामान और अचल संपत्ति भी है.

‘मेरी कमाई पर निर्भर नहीं पति’

दूसरी ओर, पत्नी ने इस याचिका का विरोध किया और अदालत को बताया कि पति एक किराने की दुकान चला रहा है और वह एक ऑटो रिक्शा का भी मालिक है और उसे किराए पर देकर आमदनी अर्जित करता है. महिला ने इस बात से इनकार किया कि पति कमाई के लिए उस पर निर्भर है. खास तौर से यह दरख्वास्त भी की गई कि शादी से उनकी एक बेटी भी है, जो कि अपनी मां पर ही निर्भर है और इसलिए पति द्वारा भरण-पोषण का दावा खारिज किए जाने की अदालत से प्रार्थना की गई.

3 हजार रुपए का गुजारा भत्ता देने का आदेश

दरअसल, निचली अदालत ने 2017 में महिला को आदेश दिया कि पति को आवेदन की तारीख से याचिका के निपटारे तक 3,000 रुपये प्रति माह गुजारा भत्ता के रूप में भुगतान करे. इसी तरह का एक आदेश साल 2019 में स्कूल के हेडमास्टर को पति के अनुरोध पर दिया गया था, क्योंकि पत्नी ने भुगतान करने से इनकार कर दिया था. जिस स्कूल में महिला पढ़ाती है, अदालत ने उसके हेडमास्टर को भी एक आदेश दिया, जिसमें कहा गया कि महिला के मासिक वेतन से 5,000 रुपये काटकर और प्रति माह अदालत में वह राशि जमा की जाए.

महिला ने किया विरोध

  • दोनों आदेश को पत्नी ने हाईकोर्ट की जस्टिस भारती डांगरे की बेंच के समक्ष एक रिट याचिका में चुनौती दी थी. जस्टिस डांगरे ने हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 25 का हवाला दिया, जिसमें बेसहारा पत्नी या पति के लिए गुजारा भत्ता देने का प्रावधान है.
  • औरंगाबाद हाईकोर्ट ने आगे कहा कि 1955 के हिंदू मैरिज एक्ट की धारा 24 के तहत पति द्वारा दायर अंतरिम भरण-पोषण के लिए आवेदन पर निचली अदालत के जज द्वारा सही विचार किया गया है और पति को अंतरिम भरण पोषण का हकदार माना गया है, जबकि धारा 25 के तहत कार्यवाही लंबित है.
  • एक्ट की धारा 25 के तहत अदालत आवेदक के पक्ष में यह आदेश दे सकती है कि उसे जीवन भर के लिए एकमुश्त या मासिक राशि के रूप में गुजारा भत्ता दिया जाएगा. जबकि धारा 24 कानूनी प्रक्रिया के बीच ही भरण-पोषण और मुकदमा लड़ने की राशि से संबंधित है.

इन्हें भी पढ़ें

  • All
  • विशेष
  • लाइफस्टाइल
  • खेल

भारत प्लास्टिक मुक्त कैसे हो?

July 9, 2022
opposition to unite

पटना में विपक्ष का महामंथन! क्या होगा एजेंडा, किन मुद्दों पर होगी बात?

June 22, 2023

विश्व पर्यावरण दिवस धूमधाम से मनाया

June 6, 2022
पहल टाइम्स

पहल टाइम्स का संचालन पहल मीडिया ग्रुप्स के द्वारा किया जा रहा है. पहल टाइम्स का प्रयास समाज के लिए उपयोगी खबरों के प्रसार का रहा है. पहल गुप्स के समूह संपादक शूरबीर सिंह नेगी है.

Learn more

पहल टाइम्स कार्यालय

प्रधान संपादकः- शूरवीर सिंह नेगी

9-सी, मोहम्मदपुर, आरके पुरम नई दिल्ली

फोन नं-  +91 11 46678331

मोबाइल- + 91 9910877052

ईमेल- pahaltimes@gmail.com

Categories

  • Uncategorized
  • खाना खजाना
  • खेल
  • गैजेट्स
  • जुर्म
  • दिल्ली
  • धर्म
  • फैशन
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • राज्य
  • राष्ट्रीय
  • लाइफस्टाइल
  • विशेष
  • विश्व
  • व्यापार
  • साक्षात्कार
  • सामाजिक कार्य
  • स्वास्थ्य

Recent Posts

  • 13 साल में किसानों को कितना दिया मुआवजा? SIT जांच शुरू
  • मॉल में चल रहा था ‘सेक्स बाजार’, पकड़ी गईं 44 लड़कियां और 21 लड़के
  • पीडीए की बिसात पर मात खा गई सपा

© 2021 पहल टाइम्स - देश-दुनिया की संपूर्ण खबरें सिर्फ यहां.

  • होम
  • दिल्ली
  • राज्य
  • राष्ट्रीय
  • विश्व
  • धर्म
  • व्यापार
  • खेल
  • मनोरंजन
  • गैजेट्स
  • जुर्म
  • लाइफस्टाइल
    • स्वास्थ्य
    • फैशन
    • यात्रा
  • विशेष
    • साक्षात्कार
  • ईमैगजीन

© 2021 पहल टाइम्स - देश-दुनिया की संपूर्ण खबरें सिर्फ यहां.